स्कूल माफिया की खुलेआम लूट, 60 प्रतिशत तक कमीशन खा रहे ये नामी स्कूल
तीन गुना तक बढ़ाए दाम, कपड़े में गुणवत्ता पर भी सवाल
यूनिफॉर्म में भी मुनाफाखोरी का खेल, नए रेट में दे रहे पुरानी ड्रेस!
स्कूलों में कमीशनखोरी का धंधा सिर्फ किताब कापियों तक सीमित नहीं है बल्कि यह यूनिफार्म के नाम पर भी जमकर फल फूल रहा है। इस बार कोविड के चलते अधिकांश पढ़ाई ऑनलाइन संचालित हुई। बेहद कम बच्चोँ ने नई यूनिफार्म खरीदी। इस सत्र से फुल मोड पर स्कूल लगने के साथ ही यूनिफार्म की भी खरीदी शुरू हो गई है। इसे भुनाते हुए शिक्षा माफिया और यूनिफार्म विक्रेता जमकर कमीशनखोरी में जुट गए हैं।
1000 से 1500 रुपए की यूनिफार्म
दो साल पुरानी यूनिफार्म के टेग नए रेट लिखकर दोगुनी कीमत में बेचा जा रहा है। शहर की अधिकांश दुकानों में यह गोरखधंधा चल रहा है। अभिभावकों को यूनिफार्म के लिए 1000 रुपए से 2500 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। पहले तक जो यूनिफार्म 250 से 350 रुपए में मिल रही थी उसके दाम अब 1000 रुपए से ज्यादा हो गए हैं। हर अभिभावक को दो जोड़ी यूनिफार्म बच्चों के लिए लेनी होती है। इसके लिए 25 सौ रुपए तक खर्चने पड़़ रहे हैं।
अभिभावकों की पीड़ा
अभिभावक सोमेंद्र चक्रवर्ती यूनिफार्म लेने मालवीय चौक स्थित एक दुकान में यूनिफार्म लेने पहुंचे। इसकी कीमत करीब दो हजार के आसपास थी। पुरानी यूनिफार्म पर टेग पर अलग से दाम लिखे हुए थे। जब पूछा तो कीमत बढऩे का हवाला दिया गया।
केस-दो
अभिभावक तनवी ङ्क्षमज ने बताया कि एक जोड़ी यूनिफार्म उन्हें हजार रुपए की पड़ी। जबकि एक साल पहले मुश्किकल से 600 रुपए में यह उपलब्ध थी। इसपर भी यूनिफार्म की क्वालिटी भी ठीक नहीं थी। दुकानदार ने कहा कि लेना हो तो लो हमारे पास यही है।
केस-तीन
अभिभावक अमित रायजादा ने बताया कि कुछ दिनों पहले गोरखपुर स्थित एक दुकान में बेटी की टूयनिक लेकर आए थे। पहली ही धुलाई में कपड़े में रेशे निकल आए। इसकी शिकायत दुकानदार से की तो दुकानदार ने सुनने से इंकार कर दिया।
साठ फीसदी तक मुनाफा
यूनिफार्म के नाम पर दुकानों में पचास से लेकर साठ फीसदी तक मुनाफाखोरी की जा रही है। शिक्षा माफियाओं ने पहले से दुकानें फिक्स कर रखी हैं। यूनिफार्म की कीमत भी शिक्षा माफिया और दुकान संचालक मिलकर तय करते हैं। इसमें स्कूल का भी कमीशन जुड़ा होता है। शहर की कुछ दुकानों के पास इसका ठेका है। मालवीय चौक, गोरखपुर, सदर, रांझी, आधारताल क्षेत्र में स्कूलों की दुकानें फिक्स हैं।