राजनीतिक किरदार और किस्से … कहानी महराजगंज के कब्रिस्तान में लगे उस पेड़ की, जिसे काटा गया तो योगी की गाड़ी पर पत्थर चला और सिपाही का मर्डर हो गया
राजनीतिक किरदार और किस्से सीरीज की तीसरी कहानी में आज के किरदार हैं योगी आदित्यनाथ। उनसे जुड़ी यह लगातार तीसरी कहानी है। इस कहानी का सोर्स योगी आदित्यनाथ के जीवन पर लिखी दो किताबें हैं।
कब्रिस्तान के विस्तार में पीपल का पेड़ काट दिया
1999 में प्रदेश में बीजेपी गठबंधन की सरकार थी। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। महराजगंज जिले के भिटौली कस्बे में कब्रिस्तान और तालाब की जमीन को लेकर विवाद था। एक पक्ष कब्रिस्तान को बढ़ाना चाहता था। दूसरा पक्ष बढ़ाने वाले क्षेत्र को ग्राम सभा का तालाब बता रहा था। इन सबके बीच कब्रिस्तान बढ़ गया।
कब्रिस्तान बढ़ा तो 6 फरवरी को एक पीपल के पेड़ को काट दिया गया। यह निर्णायक साबित हो गया। खबर महराजगंज से निकलकर पड़ोसी जिले गोरखपुर पहुंच गई। योगी आदित्यनाथ एक साल पहले ही सांसद बने थे। उन्होंने पीपल काटने को गलत बताते हुए ऐलान किया कि वह 10 फरवरी 1999 को पचरुखिया गांव जाएंगे और उसी जगह पर पीपल का पेड़ लगाएंगे।
10 फरवरी 1999 को सपा का विरोध प्रदर्शन चल रहा था
10 फरवरी को उसी भिटौली कस्बे में सपा नेत्री तलत अजीज की अगुवाई में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा था। उनका मुद्दा अलग था। तभी कुछ लोगों ने उन्हें पचरुखिया चलने को कहा। तलत अजीज वहां अपने समर्थकों के साथ पहुंच गई। दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ का भी एक बड़ा काफिला उसी रास्ते से वहां पहुंचने वाला था। इस बात की खबर भी सभी को थी।
योगी के काफिले में आखिरी नंबर पर चल रही गाड़ी पर हमला हो गया। एक के बाद एक पत्थर फेंके गए। जो गाड़ी में थे वह उतरकर भागे। यह खबर काफिले में सबसे आगे चल रहे योगी आदित्यनाथ तक पहुंची। योगी ने कहा, गाड़ी घुमाओ। साथ चल रहे लोगों ने समझाया कि आप उधर नहीं जाएं तो ज्यादा सही रहेगा। योगी ने कहा, “जब हमारे लोग मुसीबत में फंसे हो तो हमें पीठ दिखाकर नहीं भागना चाहिए।”
शांतनु गुप्ता अपनी किताब “योगीनामा” में लिखते हैं, “योगी आदित्यनाथ तलत अजीज की सभा की तरफ पहुंचे। वहां उनकी भी गाड़ियों पर पथराव शुरू हो गया। हवाई फायरिंग शुरू हो गई। अफरातफरी के बीच एक गोली तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव को आकर लगी। सत्य प्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई।”
तलत ने कहा, मुझे निशाना बनाकर गोली मारी गई पर गनर को लग गई
बीबीसी ने 2018 में इसी मामले पर एक रिपोर्ट छापी। तलत अजीज बताती हैं, “योगी आदित्यनाथ अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और हंगामा कर दिया। हवाई फायरिंग शुरू हुई तो अफरातफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। इसी बीच किसी ने मुझे टारगेट करके गोली चलाई लेकिन सत्य प्रकाश यादव आगे आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।”
एक मौत और तीन तरफ से दर्ज हुई FIR
सांप्रदायिक हिंसा के बीच सरकारी गनर की हत्या से प्रशासन हिल गया। तीन तरफ से FIR हुई। पहली FIR सपा की तलत अजीज ने दर्ज कराई। दूसरी योगी आदित्यनाथ ने और तीसरी FIR पुलिस ने करवाई। तलत की FIR में योगी आदित्यनाथ और उनके साथियों के नाम थे। योगी आदित्यनाथ की FIR में कहा गया, “तलत अजीज ने हत्या के इरादे से उनपर फायरिंग करवाई।”
एक साल बाद जांच एजेंसी ने कहा, पता नहीं किसने गोली चलाई
उस वक्त महराजगंज के DIG आर.पी सिंह ने योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। पुलिस को जानकारी मिली, “अपराधी लाल रंग की टाटा सुमो से जा रहा है।” पुलिस ने पूरा इलाका घेर लिया। योगी आदित्यनाथ इलाके में ही गए थे। वह वहां से चले तो पुलिस ने लाल सूमो देखकर रुकवा लिया। उसमें देखा तो सांसद योगी आदित्यनाथ थे। गाड़ी को जाने दिया। ऐसा तीन जगहों पर हुआ पर गिरफ्तारी कहीं नहीं हो सकी।
कल्याण सिंह सरकार पर दबाव बढ़ा तो उन्होंने इस पूरे मामले की जांच CBCID यानी क्राइम ब्रांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट को दे दी। हर तरह से साक्ष्य जुटाने की कोशिश की गई। कुछ हासिल नहीं हुआ। घटना के 16 महीने बाद सन 2000 में जांच एजेंसी ने फाइनल क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। रिपोर्ट में कहा गया कि भीड़ में किसने गोली चलाई इसके सबूत नहीं मिल सके। ऐसे में किसी को आरोपी बनाना सही नहीं है। कोर्ट ने तीनों केसों में इसे मान लिया।
हरिशंकर तिवारी और श्रीप्रकाश शुक्ला चाहते थे गिरफ्तार हों आदित्यनाथ
शांतनु गुप्ता अपनी किताब में लिखते हैं, “उस वक्त गठबंधन की सरकार में गोरखपुर के दबंग नेता हरि शंकर तिवारी और शिव प्रताप शुक्ला मंत्री बनकर बैठे थे। गोरखपुर में इनके दिन लदने लगे। दूसरी तरफ योगी ब्रांड की राजनीति महत्वपूर्ण हो चली। योगी के समर्थक आज भी मानते हैं कि यह दोनों नेता चाहते थे कि आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर लिया जाए। ये तो महंत अवैद्यनाथ के दखल और उस वक्त के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बीच-बचाव से मामला शांत हुआ।”
सपा की सरकार बनी तो फिर से खुल गई फाइल
2003 में मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बन गए। 2006 में तलत अजीज ने CBCID की फाइनल रिपोर्ट को महराजगंज की सीजेएम कोर्ट में चुनौती दे दी। 12 साल तक केस पर चर्चा चला। 13 मार्च 2018 को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। तलत इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद HC चली गई। कोर्ट ने CJM कोर्ट के फैसले को निरस्त किया और योगी आदित्यनाथ को नोटिस भेज दिया।
इलाहाबाद की MP-MLA कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने हत्याकांड से जुड़े सारे पक्ष देखे। 16 जुलाई 2019 को कोर्ट ने तलत अजीज की याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद यह केस बंद कर दिया गया।