दलाली का अड्डा बनी यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल, शुल्क 1550 रुपये, वसूले जा रहे 13 हजार
दलाली का अड्डा बनी यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल, शुल्क 1550 रुपये, वसूले जा रहे 13 हजार…

दलाल से बातचीत के अंश :
रिपोर्टर- भइया, कई दिन से चक्कर लगा रहे हैं, पर पंजीकरण नहीं हो पा रहा।
दलाल- कागज दिखाओ… यह तो गैर जनपद का है, काम हो जाएगा पर खर्च लगेगा।
रिपोर्टर- कितना खर्च आएगा और कब तक काम हो पाएगा।
दलाल- 12 हजार रुपये दोगे तो कागज घर पर डाक से पहुंचेगा। 13 हजार दिए तो 15वें दिन हाथों-हाथ कागज मिल जाएगा। नियम से चलोगे तो नौ महीने तक घूमते रहो।
रिपोर्टर- फार्मेसी काउंसिल कर्मचारी बोल रहे कि किसी के चक्कर में न फंसना।
दलाल- फार्मेसी काउंसिल में बैठे कर्मचारी ही हमारे जरिये सेटिंग करवाते हैं। हमारी यहां दुकान है, कोई फरेबी नहीं जो रुपये लेकर निकल जाएंगे।
रिपोर्टर- भइया, 12 हजार ले लीजिए, हाथ में पेपर दिलवा दीजिए, बहुत दिन से दौड़ रहे हैं।
दलाल- नहीं, 12 हजार में काम नहीं हो पाएगा।
रिपोर्टर- चलिए, आपका नंबर मेरे पास है। रुपये का जुगाड़ करके मिलता हूं।
फार्मेसी का रजिस्ट्रेशन करवाने आने वालों की फाइल बिना सुविधा शुल्क लिए जमा तक नहीं होती है। सुबह 11 बजे फार्मेसी काउंसिल के हॉल में अभ्यर्थियों को बुलाया जा रहा था। कर्मचारी दस्तावेज की पड़ताल के बाद सभी से फाइल चार्ज के नाम पर सौ रुपये वसूल रहे थे। इसका वीडियो बनने के बाद भी उन पर फर्क नहीं पड़ा। सुबह से शाम तक 200 से अधिक अभ्यर्थियों से करीब 20-25 हजार रुपये वसूलने का आरोप

मुजफ्फरनगर से हरीश चौधरी भतीजे का बीफार्मा का पंजीकरण कराने के लिए सुबह छह बजे ही पहुंच गए थे। ऑफिस खुला तो पंजीकरण के लिए मिले स्लॉट के आधार पर हॉल में चले गए। उनके भतीजे ने रुपये नहीं दिए तो फाइल में खामी निकालकर उसे धक्के देकर हॉल से निकाल दिया। यह देख हरीश चौधरी ने विरोध जताया तो कर्मचारी उनसे भिड़ गए। करीब दस मिनट तक हंगामा होता रहा।

फार्मेसी काउंसिल परिसर की सीढ़ी पर शराब-बीयर के खाली केन और बोतलों का ढेर मिला। आरोप है कि शाम को ऑफिस बंद होने के बाद यहां कर्मचारी पैग लड़ाते हैं। यह भी कहा जाता है कि अफसरों को इसकी जानकारी है, फिर भी कार्रवाई नहीं होती।
