सोशल मीडिया पर मेल के प्रेग्नेंट होने की चर्चा, क्या वाकई मर्द भी हो सकते हैं प्रेग्नेंट, जानिए इसका पूरा प्रोसेस
आप सोचते होंगे कि मां बनने का सुख सिर्फ महिलाओं को ही मिलता है, लेकिन यह पूरा सच नहीं है। फैशन ब्रांड केल्विन क्लेन का नया विज्ञापन भी यही कह रहा है। इस विज्ञापन में ब्राजील के रियलिटी टीवी स्टार और ट्रांसमैन रॉबर्टो बेते को प्रेग्नेंट दिखाया गया है। इसमें उनकी पार्टनर एरिका फर्नांडीस भी है।
ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या कोई पुरुष मां बन सकता है? यदि बन सकता है तो इसके लिए उसे किस मेडिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है?
पहले जानते हैं कि क्या है पूरा मामला?
मशहूर फैशन ब्रैंड केल्विन क्लेन ने मदर्स डे पर एक अनोखा कैंपेन शुरू किया। मातृत्व के हर रूप को सपोर्ट करते हुए ब्रैंड ने एक ट्रांसमैन रॉबर्टो को प्रेग्नेंट दिखाया। इसमें उनके साथ उनकी पार्टनर एरिका फर्नांडीस भी नजर आईं। विज्ञापन सामने आने के कुछ दिन बाद रॉबर्टो ने अपने और एरिका के बेटे नोआह को जन्म दिया है। मातृत्व को सराहने वाला ये विज्ञापन रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसको लेकर कुछ लोग केल्विन क्लेन की तारीफ कर रहे हैं। वहीं एक बड़ा वर्ग सोशल मीडिया पर इसे जमकर ट्रोल और बॉयकॉट कर रहा है।
अब जानते हैं कि प्रेग्नेंसी का प्रोसेस क्या होता है?
प्रेग्नेंसी के लिए आमतौर पर तीन चीजों की जरूरत होती है। स्पर्म, एग, यूट्रस और कुछ हॉर्मोन्स। नेचुरल प्रोसेस में मेल के सीमेन से स्पर्म रिलीज होते हैं। इनकी संख्या लाखों में होती है। फीमेल की ओवरी से एग रिलीज होते हैं। जब मेल और फीमेल आपस में संबंध बनाते हैं तो सीमेन के जरिए स्पर्म मैच्योर एग तक पहुंचता है और फैलोपियन ट्यूब (फीमेल पार्ट) में उसे फर्टिलाइज करता है। फर्टिलाइज होने के बाद यह एग महिला के यूट्रस में चला जाता है।
इसके साथ ही प्रग्नेंसी की शुरुआत होती है। प्रेग्नेंसी को सपोर्ट करने के लिए hCG, hPl, एस्ट्रोजेन जैसे हॉर्मोन्स की जरूरत होती है, जो महिला की बॉडी से रिलीज होते हैं।
ट्रांसजेंडर हो सकते हैं प्रेग्नेंट?
आमतौर पर, लोग जन्म के साथ ही या तो पुरुष होते हैं या फिर महिला, लेकिन कुछ लोग जिस जेंडर में पैदा होते हैं वैसा ही महसूस नहीं करते। ऐसे लोग या तो ट्रांसमैन होते हैं या ट्रांसवुमन। ट्रांसमैन यानी बर्थ के समय महिला और बाद में मर्द। ऐसे लोग मां बन सकते हैं, क्योंकि उसके पास ओवरी और यूट्रस होता है। ऐसे में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF की मदद से एग और स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है और फिर उसे यूट्रस में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। प्रेग्नेंसी को सपोर्ट करने के लिए हॉर्मोन्स थेरेपी की मदद ली जा सकती है।
यानी ट्रांसमैन प्रेग्नेंट हो सकते हैं। रॉबर्टो बेते भी ट्रांसमैन ही हैं। इस तरह के ज्यादातर मामलों में सिजेरियन डिलीवरी ही होती है।
अब बात ट्रांसवुमन की। यानी जन्म के समय मर्द और बाद में महिला। ऐसे लोगों के लिए मां बनना एक मुश्किल डगर है, क्योंकि इनके पास न तो ओवरी होती है और न ही यूट्रस। जहां तक यूट्रस ट्रांस्प्लांटेशन की बात है, ऐसे लोगों को लिए यह भी खतरे से खाली नहीं है। हालांकि, इसको लेकर काफी रिसर्च चल रही है और जल्द ही पॉजिटिव रिजल्ट मिल सकता है।
क्या नॉर्मल मर्द हो सकता है प्रेग्नेंट?
सामान्य तौर पर मर्द मां नहीं बन सकता है, क्योंकि उसके पास प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी चीजों में से स्पर्म तो होता है, लेकिन एग और यूट्रस नहीं होते हैं। अब सवाल उठता है कि क्या IVF और यूट्रस ट्रांसप्लांटेशन के जरिए मर्द प्रेग्नेंट हो सकता है। तो इसका जवाब भी नहीं है, क्योंकि अगर IVF की मदद से लैब में फर्टिलाइजेशन करा भी लिया जाए तो मर्द के शरीर में यूट्रस को ट्रांसप्लांट करना आसान नहीं है। यूट्रस को सपोर्ट करने के लिए कई बायोलॉजिकल प्रोसेस की जरूरत होती है, जो मेल के शरीर में संभव नहीं हो पाता है।
हालांकि, अगर कोई मर्द मां बनना ही चाहता है तो उसके लिए दूसरा तरीका भी है। यह तरीका है एब्डॉमिनल प्रेग्नेंसी। यह काफी रेयर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर 10 हजार प्रेग्नेंसी में से एक एब्डॉमिनल प्रेग्नेंसी होती है। मजेदार बात यह है कि इस तरीके से मर्द ही नहीं, बड़ी संख्या में वो महिलाएं भी प्रेग्नेंट होती हैं, जिनके पास किन्हीं कारणों से यूट्रस नहीं होता है।
तो चलिए इसकी प्रोसेस भी समझ लेते हैं…एब्डॉमिनल प्रेग्नेंसी में सबसे पहले इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF की मदद से एग और स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। फिर इसे लैब में ही एंब्रियो के रूप में डेवलप किया जाता है। इसके बाद इसे एब्डॉमन में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। हालांकि यह काफी रिस्की होता है और कई बार जान भी चली जाती है। यानी, इसमें गुड न्यूज के लिए गुड लक काफी मायने रखता है।
जब सफलतापूर्वक एंब्रियो एब्डोमेन में ट्रांसप्लांट हो जाता है तो प्लासेंटा डेवलप हो जाता है। यानी, बेबी को न्यूट्रीशन मिलने लगता है। इसके बाद प्रेग्नेंसी के सपोर्ट के लिए हॉर्मोन्स थेरेपी की मदद ली जाती है। तब जाकर एक मर्द मां बन पाता है।