रैलवे स्टेशन के पास स्थित बस स्टैंड का निर्माण वर्ष 1982 में किया गया था। 29 दिसंबर 1982 को तत्कालीन श्रम मंत्री तारा सिंह वियोगी और मप्र राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष रघुनंदन प्रसाद वर्मा की मौजूदगी में इस बस स्टैंड का उद्घाटन कराया गया था। यहां यात्रियों के प्रतीक्षा करने के लिए तैयार कराया गया भवन 40 वर्ष पुराना हो चुका है। इस भवन में कई जगहों पर छत से प्लास्टर टपककर गिर रहा है। इससे कई बार यात्री चोटिल भी हुए हैं। इस स्टैंड पर बसों के प्रवेश का मार्ग ही खुदा हुआ है, जिसके कारण बसें हिचकोले खाती हुई स्टैंड में प्रवेश करती हैं। वहीं यात्रियों के प्रवेश के मार्ग पर बसों का जमावड़ा लगा रहता है। इसके चलते यात्रियों को स्टैंड में प्रवेश करने में ही समस्या का सामना करना पड़ता है। दूसरी तरफ झांसी रोड पर पालीटेक्निक महाविद्यालय के पास बनाए गए बस स्टैंड पर भी लगभग यही स्थिति बनी रहती है। यहां बसों का निकास द्वार इतना छोटा है कि एक बार में ही एक बस निकल पाती है। ऐसे में यहां बस आपरेटरों के बीच ज्यादा सवारियों को बैठाने की प्रतिस्पर्धा लगी रहती है।

पुराने बस स्टैंड पर सीवर व पानी की लाइन का काम चल रहा है। इसके चलते सड़क खुदी हुई है। हम पुरानी बिल्डिंग की पूरी तरह से मरम्मत भी कराएंगे। इसको लेकर काम शुरू कराया गया है। अतेंद्र सिंह गुर्जर, अपर आयुक्त नगर निगम

पुराने बस अड्डे से चलती हैं ये बसें

रैलवे स्टेशन के पास बने पुराने बस स्टैंड से 24 गंतव्यों के लिए बसों का संचालन किया जाता है। इसमें ग्वालियर से भिंड, इटावा, बरेली, मैनपुरी, माधौगढ़, लहार, गोहद, मुरैना, दिल्ली, हरिद्वार, चंदेरी, जबलपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, झांसी, दतिया, खनियाधाना, डबरा, भांडेर, गुना, शिवपुरी, मेरठ, सोनागिर व कानपुर की बसें शामिल हैं।

आमखो बस स्टैंड को किया था झांसी रोड पर शिफ्ट

झांसी रोड पर बस स्टैंड का निर्माण वर्ष 2018-19 में अलग-अलग चरणों में पूरा हो पाया था। यहां आमखो स्थित बस स्टैंड को बड़ी मुश्किल से शिफ्ट किया जा सका था, क्योंकि बस आपरेटर यहां आना नहीं चाहते थे। ऐसे में नगर निगम ने यहां दुकानें तैयार कराई थीं। वर्तमान में यहां से झांसी, डबरा, शिवपुरी, गुना, भिंड, मेहगांव आदि जगहों के लिए प्रतिदिन 100 से अधिक बसें संचालित होती हैं, लेकिन यहां यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां यात्री प्रतीक्षालय के नाम पर एक टीनशेड बना है, जहां पंखे तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा यहां सड़क भी टूटी हुई है।

आइएसबीटी से सुलझ सकती है समस्या

ट्रिपल आइटीएम के पास 70 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित स्मार्ट सिटी के आइएसबीटी(इंटरस्टेट बस टर्मिनल) प्रोजेक्ट पूरा होने पर इस समस्या से निजात मिल सकती है। नए बस टर्मिनल में 52 प्लेटफार्म बनाए जाएंगे। इससे पांच से 10 मिनट के अंतराल में एक साथ 52 बसें अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकेंगी। इस अंतरराज्यीय बस अड्डे का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। यहां 132 बसें खड़ी की जा सकेंगी। इनमें से 52 प्लेटफार्म और 80 बसें पार्किंग में खड़ी रहेंगी।

मुझे काम के सिलसिले में इटावा जाना है। बस स्टैंड पर पंखे बंद पड़े हुए हैं। इस गर्मी के मौसम में मुझ सहित अन्य यात्रियों को भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इमारत भी बहुत जर्जर दिख रही है और सड़क भी खुदी हुई है।

आशुतोष कुलश्रेष्ठ, यात्री

मैं चितौरा का रहने वाला हूं और ग्वालियर में रहकर पढ़ाई कर रहा हूं। बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। अफसरों को यात्रियों के बारे में सोचना चाहिए।

संजू मांझी, यात्री