पति आकर पीटेगा या प्यार करेगा, पत्नी डरती है … बेल्ट से पिटने पर भी किस्मत को कोसना, ऐसी सोच असल में बीमारी है
‘तुम क्यों इतना सह रही हो, मैं होती तो छोड़ देती’ किसी ऐसी महिला, जिसका पति उसे अक्सर प्रताड़ित करता हो, उसे मारता हो उसे ये सलाह देना बहुत आसान होता है। मगर, इसके अलावा ये समझना मुश्किल है कि ऐसे महौल में वो किस तरह की परेशानियों से जूझ रही है। उसके मन में कौन सा डर घर कर चुका है, उसकी मानसिक स्थिति क्या है? कहीं वो किसी मानसिक परेशानी या ‘बैटर्ड वुमन सिंड्रोम’ से तो पीड़ित नहीं है।
रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर गीतांजली शर्मा का कहना है कि लंबे समय से घरेलू हिंसा की शिकार रही महिलाओं को ये डर रहता है कि उसका पति घर आएगा तो मारपीट करेगा या प्यार। कई तरह की स्टडी में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि ‘बैटर्ड वुमन सिंड्रोम’ और घरेलू हिंसा के कारण महिलाएं सुस्त हो जाती हैं या फिर किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं।
पति से बात करने में डर लगता है
डॉक्टर गीतांजली शर्मा ने घरेलू हिंसा से परेशान एक महिला की कहानी बताई। उन्होंने बताया हुए कहा कि कपल के बीच में प्यार था, बच्चे थे। मगर, जब भी ससुराल वालों से बहस हो जाती, खाना बनाने में देर हो जाती तो उसे पति का गुस्सा करना, प्रताड़ित करना, हाथ उठाना पसंद नहीं था। कई बार पति उसे बेल्ट से भी मारता था, लेकिन वो अपनी शादी नहीं तोड़ना चाहती थी। वो चाहती थी कि उसका पति सुधर जाए। उसने कई बार कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
धीरे-धीरे ये चीजें बढ़ती गईं और वो चुप रहना सीख गई। उसे कई बार लगता कि उसमें ही कोई कमी है, वो ठीक से काम नहीं कर पाती, बच्चों की देखभाल नहीं कर पाती, परिवार को खुश नहीं रख पाती, इसलिए पति उसे मारता है। इस चुप्पी के कारण वह मानसिक तौर पर परेशान रहने लगी। एक समय ऐसा आया जब उसे पति से बात करने, चीजों को डिस्कस करने में डर लगने लगा। कई बार तो शाम से ही सोचना शुरू कर देती थी कि पति ऑफिस से लौटेगा तो किसी बात पर कलह करेगा या आज मूड थोड़ा सही हो तो प्यार से बात कर ले।
‘बैटर्ड वुमन सिंड्रोम’ क्या है
‘बैटर्ड वुमन सिंड्रोम’को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)का ही एक रूप माना जाता है। इससे पीड़ित महिला खुद को असहाय महसूस करती है। उसे विश्वास हो जाता है कि वो दुर्व्यवहार के लायक है और कितनी भी कोशिश कर ले उसे इससे छुटकारा नहीं मिल सकता। यही कारण है कि कई महिलाएं अपने साथ हुई हिंसा के बारे में किसी दूसरे से बात नहीं करना चाहतीं। ‘बैटर्ड वुमन सिंड्रोम’ कई तरह के होते हैं।
1- महिला यह स्वीकार नहीं करना चाहती कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है या फिर ‘बस एक बार’ कह कर अपने रिश्ते को मौका दिए जाती है।
2- ये मान लेना कि उससे ही कोई गलती हुई होगी।
3- महिला ये स्वीकार करती है कि उसके साथ ये सब नहीं होना चाहिए और ये उसके पार्टनर की गलती है।
जाल में फंसी रहती हैं महिलाएं
कई बार ऐसे पार्टनर अपनी गलती को मान लेते हैं। इसे ना दोहराने की बात कहते हैं और पत्नी को मना लेते हैं। इसके अलावा कई महिलाएं जो आत्निमर्भर नहीं होतीं, वो ऐसे रिश्ते से चाहकर भी नहीं निकल पातीं। अगर बच्चे हैं तो महिला पति से अलग होने की कभी नहीं सोच पाती। वो पति से इस कदर इमोशनली जुड़ी होती है और इतना प्यार करती है कि उसे छोड़ना नहीं चाहती, बल्कि अक्सर उसे समझाने की, उसे बदलने की जद्दोजहद में लगी रहती है। गंभीर अवसाद या आत्मसम्मान की कमी होने से उसे लगता है कि क्या पता उसकी ही गलती हो। वो मानने लगती है कि अगर पति उससे प्यार करता है, तो धीरे-धीरे वो अपने व्यवहार को बदल ले।
महिलाएं ऐसे रिश्तों को छुपाती हैं
पार्टनर उसे मारता है। पत्नी दिखाने की कोशिश करती हैं कि उसका रिश्ता परफेक्ट है और वो खुश है। बार-बार चोट लगने के बाद भी वो झूठ बोलती है। वो कुछ भी करने से पहले कई बार सोचती है।
‘बैटर्ड वुमन सिंड्रोम’ के साइड इफेक्ट और इलाज
डिप्रेशन, आत्मसम्मान का कम होना, दोस्तों और मायके वालों से कम मिलना, निराशा महसूस करना ये ऐसे प्रभाव हैं जो इस बीमारी में तुरंत देखे जाते हैं। कई प्रभाव लॉन्ग टर्म के लिए रह जाते हैं, जैसे पुरानी बातें याद करते रहना में रहना, दुर्व्यवहार करने वाले के खिलाफ हिंसक हो जाना, तनाव के कारण सेहत बिगड़ना, डायबिटीज, अस्थमा, डिप्रेशन जैसी बीमारियां भी घर कर सकती हैं।
इन लक्षणों से पीड़ित है तो उसे हिंसा करने वाले व्यक्ति से तुरंत दूरी बनाने की कोशिश करनी चाहिए। साइकॉलजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। PTSD या घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं का इलाज करने वाले डॉक्टर से राय लेना चाहिए और मेडिटेशन करना चाहिए। थेरेपिस्ट की मदद लेकर यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी।