6 घंटे पहले इंटेलिजेंस ने दी थी रिपोर्ट …?
यूपी के जिन 17 जिलों में प्रशासन हाई-अलर्ट पर था, उन्हीं में से 3 में हिंसा कैसे?
10 जून 2022 को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर जुमे की नमाज के लिए लोग इकट्ठा हुए। नमाज खत्म होने के ठीक 30 मिनट बाद 8 शहरों में लोग सड़कों उतर आए। नारेबाजी, पत्थरबाजी और आगजनी होने लगी। तब यूपी का पुलिस, प्रशासन और इंटेलिजेंस क्या कर रहा था?
जुमे के एक दिन पहले यानी 9 जून को यह हुआ
इंटेलिजेंस ने प्रशासन को कुछ अहम जानकारियां दीं। डीजी इंटेलिजेंस और कार्यवाहक डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस यानी DGP डीएस चौहान का कहना है कि उस जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया सकता। लेकिन उन जानकारियों पर उन्होंने 9 जून को ही एक्शन ले लिया।
9 जून की रात ही 17 जिलों में हाई-अलर्ट जारी कर दिया
प्रशासन ने 9 जून की रात से 17 जिलों कानपुर, उन्नाव, वाराणसी, रामपुर, फैजाबाद, लखनऊ, आगरा, बरेली, मथुरा, मेरठ, बिजनौर, बुलंदशहर, अलीगढ़, गोंडा, प्रयागराज, सहारनपुर और मुरादाबाद में हाई अलर्ट जारी किया।
कानपुर में धारा 144 लगाई। वाराणसी को 6 जोन व 30 सेक्टर में बांटा। हर जोन को अलग से अलर्ट पर रखा। मेरठ समेत 15 जिलों में 12 कंपनी PAC यानी प्रादेशिक सुरक्षा बल और RAF यानी रैपिड एक्शन फोर्स दी गई। अति-संवेदनशील जगह पर ड्रोन लगाए।
अब हिंसा वाला दिन यानी 10 जून…
इंटेलिजेंस ने नमाज के 6 घंटे पहले ताजा रिपोर्ट दी, लेकिन उन्हीं 17 में से 3 जिलों में बड़ी हिंसा
इंटेलिजेंस की ताजा रिपोर्ट के बाद अलर्ट वाले 17 में से 3 जिलों प्रयागराज, सहारनपुर, मुरादाबाद में सबसे ज्यादा बवाल हुए। सिर्फ प्रयागराज में जब पुलिस ने सड़क के पत्थर हटवाए तो 25 ट्रक भर गए। अलर्ट वाले अलीगढ़ और बिना अलर्ट वाले 4 जिलों हाथरस, अंबेडकर नगर, फिरोजाबाद और जालौन में भी बवाल हुआ।
कार्यवाहक DGP का दावा- बहुत डिटेल्ड व्यवस्था थी, इसीलिए बचा यूपी
कार्यवाहक DGP डीएस चौहान का कहना है, ‘पुलिस की बहुत डिटेल्ड व्यवस्था थी, जिसकी वजह से यूपी के बहुत सारे सेंसेटिव जिले, जिसमें मेरठ, बुलंदशहर अलीगढ़, मुरादाबाद, कानपुर और बनारस जैसे शहरों में अमन चैन रहा। पुलिस और प्रशासन की पूरी तैयारी थी, इसी वजह से कोई जनहानि नहीं हुई।’
अब हम एक-एक करके उन जिलों में चलते हैं, जहां पुलिसिया दावों और हकीकत में साफ फर्क नजर आ रहा है।
प्रयागराज: दावा- 10 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात थे, हकीकत- पुलिस पर देसी बम चले
पुलिस का दावा: एसएसपी अजय कुमार का दावा था कि 10 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हुए थे। संवेदनशील इलाका करेली और अटाला में अफसर निगरानी कर रहे थे। सोशल मीडिया पर 46 लोगों को चिह्नित किया जा चुका था। 72 लोगों की टीम उनकी फेसबुक और वाट्सऐप की पोस्ट जांच रही थी।
हकीकत: अटाला इलाके में भड़की हिंसा में हमलावरों ने देसी बमों से पुलिस पर हमला किया है। एडीजी प्रेम प्रकाश का गनर पथराव में गंभीर रूप से घायल हो गया। आईजी प्रयागराज राकेश सिंह पत्थर लगने से बुरी तरह चोटिल हुए। DM संजय कुमार खत्री और SSP अजय कुमार को पत्थर लगा। हिंसक भीड़ ने सड़क पर खड़े वाहनों में तोड़फोड़ की। उनको फूंक दिया। उपद्रवियों ने PAC की गाड़ी को आग लगा दी।
एडीजी प्रयागराज प्रेम प्रकाश ने कहा कि पथराव में छोटे बच्चे आगे आ गए थे, तो पुलिस ने ज्यादा बल प्रयोग नहीं किया।
सहारनपुर: दावा- धर्मगुरुओं से बात हो चुकी है, हकीकत- सड़कों पर उतरी भीड़
पुलिस का दावा: एसएसपी आकाश तोमर का दावा था कि धर्म गुरुओं से बात हो चुकी है। 250 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया। जबकि देवबंद में भी 300 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया। निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाए गए। फ्लैग मार्च किया।
हकीकत: सहारनपुर की जामा मस्जिद से जुमे की नमाज के बाद निकली भीड़ ने अचानक से अल्लाह हू अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिए। देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई। पथराव शुरू कर दिया। पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। वहीं, देवबंद में भी मस्जिदों से निकले लोगों के हाथ में नुपूर शर्मा को लेकर पोस्टर थे। पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई। 36 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया।
मुरादाबाद: दावा- धर्म गुरु हमारे साथ, हकीकत- नूपुर शर्मा का गला कलम करने के पोस्टर लेकर निकले
पुलिस का दावा: डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह का दावा था कि मुरादाबाद पीसफुल है। धर्म गुरुओं से बातचीत हो गई है। यहां समस्या नहीं होगी। संवेदनशील इलाकों में 200 पुलिस के जवान तैनात किए गए है। यहां जुमे की नमाज के दौरान कुछ भी नहीं होगा।
हकीकत: मुरादाबाद में जामा मस्जिद से लोग बाहर निकले। नूपुर शर्मा की तुलना आतंकवादी से करते हुए भीड़ ने “नूपुर शर्मा को फांसी दो” के नारे लगाए। बवाल होने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। यहां से जो वीडियो सामने आए उसमें दिख रहा है कि नाबालिग बच्चे गिरते-पड़ते वहां से भाग रहे हैं। मुरादाबाद में नमाज के बाद नूपुर शर्मा का सिर कलम करने का पोस्टर बैनर लेकर सड़कों पर उतरे।
5 शहर और हैं…
फिरोजाबाद: दावा- पीस कमेटी की बैठक की है, हकीकत- जुलूस निकले
पुलिस का दावा: एसएसपी आशीष तिवारी के मुताबिक पीस कमेटी की बैठक हो चुकी हैं। संवेदनशील इलाकों में पुलिसबल तैनात है। फेसबुक और वाट्सएप की निरागनी आईटी सेल कर रही हैं।
हकीकत: नमाज होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर आ गए। झंडे लहराते हुए उन्होंने नारेबाजी शुरू की। लोग जुलूस निकालना चाहते थे। लेकिन, पुलिस ने घेराबंदी कर दी। हंगामा हुआ, यहां उपद्रव करने का प्रयास करने 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
हाथरस: दावा- 500 जवान लगाए हैं, धर्मगुरु से बात की है, हकीकत- पुतला फूंकने की कोशिश
पुलिस का दावा: एसपी विकास कुमार वैद्य के मुताबिक संवेदनशील इलाकों में 500 जवान तैनात हैं। स्थितियां नियंत्रित है। इसलिए माहौल खराब की कोशिशें नाकाम रहेंगी। जुमे की नमाज को लेकर धर्मगुरुओं से बातचीत हो चुकी है।
असलियत: यहां इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल रही। यहां मस्जिद में नमाज होने के 30 मिनट बाद सड़क पर भीड़ जमा होने लगी। वो नूपुर शर्मा का पुतला फूंकना चाहते थे। लेकिन, पुलिस ने लोगों को खदेड़ दिया। अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है।
अलीगढ़: दावा- संवेदनशील इलाकों में पुलिस लगी है, हकीकत- पोस्टर लेकर सड़क पर आ गए लोग
पुलिस का दावा: एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक ऊपरकोट, देहलीगेट, फूल चौराहा समेत विभिन्न इलाकों में पुलिस के साथ आरएएफ और पीएसी के जवान भी तैनात रहेंगे। धर्मगुरुओं ने आश्वासन दिया था कि कई कोई अनहोनी नहीं होगी।
हकीकत: अकबराबाद में नमाज के बाद लोग नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी के पोस्टर लेकर सड़क पर उतर आए। पुलिस ने लाठी चार्ज करके सबको खदेड़ दिया।
अंबेडकरनगर: पुलिस लोगों के बीच लगाई है, हकीकत- नारेबाजी और पत्थरबाजी हुई
पुलिस का दावा: एसपी अजित कुमार सिन्हा के मुताबिक पुलिस लोगों के बीच है। इसलिए हंगामा नहीं होगा। कानपुर की घटना के बाद अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
हकीकत: लोग सड़कों पर उतर आए। नारेबाजी होने लगी। टांडा में भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। 50 उपद्रवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हंगामा शुरू होने के बाद भीड़ की तुलना में पुलिसबल बहुत कम दिखा।
पूर्व DGP का दावा- PFI, लश्कर-ए-तैयबा है इन सब के पीछे
पूर्व DGP बृजलाल ने कहा, “मैं इसमें इंटेलिजेंस फेल्योर नहीं मानता हूं। पुलिस अलर्ट थी, इसका ही नतीजा है कि सेंसेटिव शहरों में कोई घटना नहीं घटी। इन घटनाओं के पीछे PFI जैसी देश विरोधी शक्तियां है। पहले सिमी देश के बाहर की ताकतों से मिलकर बम ब्लास्ट जैसी घटनाओं को अंजाम देता था। अब अपनी नाकामियों से ये फ्रस्टेशन में है। लिहाजा PFI पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के साथ मिलकर इस तरह अशांति फैलाकर देश को अस्थिर करना चाहता है।”
पूर्व DGP विक्रम सिंह का दावा- पुलिस कमरों में बैठी रही
पूर्व DGP विक्रम सिंह कहते हैं, ‘पुलिस अधिकारियों को अपने एसी कमरों से निकलकर ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए पहले से पूरी तैयारी करनी चाहिए थी। हर जिले में दंगा नियंत्रण योजना के तहत दंगा नियंत्रण का पूर्वाभ्यास करना चाहिए था। अपने लोकल इंटेलिजेंस को और मजबूत करने की जरूरत होती है। जहां लोकल इंटेलिजेंस फेल हुआ, वहां हिंसा की घटना हुई।’
पूर्व डीजीपी एके जैन का दावा- प्रशासन को धोखे में रखकर यह हिंसा की गई
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं, ‘PFI, ISI और अलकायदा जैसे संगठन नहीं चाहते कि देश में स्थिरता हो। लिहाजा, ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं। इस तरह के पोस्टर के पीछे कौन हैं? ये पोस्टर कहां बने और किसने बनवाए, अब इनकी जांच जरूरी है। जांच में साफ होगा कि आखिर इस तरह की हिंसा के पीछे कौन-कौन से चेहरे हैं? कुछ जगहों पर प्रशासन को धोखे में रखकर यह हिंसा की गई। ये पैटर्न हमेशा से रहता है। जुमे के दिन बड़ी संख्या में समुदाय विशेष के लोग एक जगह इकट्ठे होते हैं। इसकी तैयारी पहले से होती है।’