100 करोड़ के घोटाले का खुलासा किया तो जानलेवा हमला, 7 गोलियां लगीं; 16वें अटेम्प्ट में रिंकू बने IAS
साल 2009, दिन 28 फरवरी, शाम के करीब 7 बजे। उत्तर प्रदेश का एक PCS अधिकारी प्लेग्राउंड में बैडमिंटन खेल रहा था। तभी कुछ लोगों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियों की बरसात कर दी। 7 गोली कनपटी से होते हुए निकल गईं। चेहरा पहचानने लायक नहीं बचा। जबड़ा डैमेज हो गया। एक आंख की रोशनी चली गई। जिंदगी और मौत से 4 महीने लड़ता रहा।
उस अधिकारी के साथ ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उसने 2008 में मुजफ्फरनगर के जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए 100 करोड़ के कथित घोटाले का पर्दाफाश किया था। उस वक्त राज्य में मायावती की सरकार थी।
इस जानलेवा हमले के बावजूद वह मरा नहीं, जिंदा बच गया। जिद ऐसी थी कि 13 साल बाद उसने UPSC क्रैक कर लिया।
हम उत्तर प्रदेश के राजकीय IAS-PCS कोचिंग सेंटर हापुड़ के प्रभारी रिंकू सिंह राही की बात कर रहे हैं। राही ने अपने आखिरी 16वें अटेम्प्ट में UPSC-2021 परीक्षा क्रैक कर 683वां रैंक हासिल किया है।

आज की खुद्दार कहानी में जब आप ये पूरी स्टोरी पढ़ेंगे तो जानेंगे कि कैसे रिंकू सिंह राही ने आटा-चक्की चलाकर, मजदूरी कर, सरकार-दर-सरकार भ्रष्टाचार उजागर करने पर सस्पेंशन और चार्जशीट झेलने के बावजूद ये मुकाम हासिल किया है। पूरी कहानी जानने के लिए हमने रिंकू सिंह राही से खास बातचीत की है।
रिंकू कहते हैं, पिता ने घर चलाने के लिए हर छोटे-छोटे काम किए। गरीबी में पैदा हुआ। सरकारी स्कूल में पढ़ा। गांव में कुछ विवाद हुआ तो घर छोड़कर पूरा परिवार अलीगढ़ आ गया। आर्थिक तंगी थी तो पापा ने आटा चक्की की दुकान खोल ली। मैं भी दुकान पर बैठता था।
बचपन से गरीबी देखते हुए बड़ा हुआ। गांव में न छत थी, न जमीन। कई बार मेरे कामों को सरकारी विभागों में अटका दिया जाता था।
रिंकू एक किस्सा बताते हैं, पिता को ओल्ड पेंशन स्कीम में नाम जोड़ना था। उन्हें कई दिनों तक परेशान किया गया। इसलिए सोचता था कि सरकारी अधिकारी बनूं और सिस्टम को ठीक करूं। B Tech के बाद UPSC की तैयारी करनी शुरू कर दी। UPPSC 2004 की परीक्षा पास की और 2007 में जॉइन किया।

2008 में जब रिंकू सिंह राही ने सर्विस जॉइन की, तब राज्य में मायावती की सरकार थी। रिंकू उस घोटाले को लेकर बताते हैं, ये घोटाला 10 साल से चल रहा था।
सामाजिक कामों के लिए जो फंड आते थे, उसमें फर्जी नामों को आधार बनाकर पैसे निकाल लिए जाते थे। जब मैंने जांच की तो पता चला कि करीब 100 करोड़ रुपए गबन हुआ है। इसके पीछे राजनीतिक पार्टी के अलावा पूरा गैंग था।
जब ये बात बाहर आई तो प्लान करके मुझ पर अटैक किया गया। पहले से 2 बार मारने का प्लान किया गया था, लेकिन वो फेल हो गया। हालांकि, मुझे लग रहा था कि मुझे मारने की साजिश रची जा रही है।
रिंकू कहते हैं, मारने के लिए 50 हजार रुपए में समझौता हुआ था।
रिंकू सिंह कहते हैं कि इमानदारी की वजह से कई बार उन्हें चार्जशीट, सस्पेंशन का सामना करना पड़ता रहा है। वो कहते हैं, पिछले 4-5 सालों से मेरा इंक्रिमेंट नहीं हुआ है। मैंने हमले के समय जो 4 महीने की छुट्टी ली थी, उसे 14 साल बाद भी अप्रूव नहीं किया गया है, यानी छुट्टी में गिनती नहीं की गई है।

रिंकू सिंह राही दावा करते हैं कि उन्हें साजिश के तहत पागलखाना भी भेज दिया गया था और उन्हें पागल घोषित करने की प्लानिंग की गई थी।
2012 का एक मामला रिंकू बताते हैं। कहते हैं, विभाग से संबंधित कुछ जानकारी के लिए RTI के तहत सूचनाएं मांगी थीं, लेकिन एक साल के बाद भी कोई जानकारी नहीं दी गई।
26 मार्च 2012 को लखनऊ में अनशन कर रहा था। मेरे खिलाफ साजिश करके और डॉक्टर से तालमेल कर अधिकारियों ने मेंटल हॉस्पिटल लखनऊ भेज दिया। पूरी तरह से पागल घोषित करने की योजना थी।
रिंकू बताते हैं कि जबड़ा न होने की वजह से उन्हें आज भी खाने में दिक्कतें होती है। एक कान से सुनाई भी नहीं देता है। फिजिकली चैलेंज्ड होने के बाद भी उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की है।
रिंकू सिंह राही अपनी कामयाबी को लेकर कहते हैं, यदि मैं राजकीय IAS-PCS कोचिंग सेंटर हापुड़ का प्रभारी नहीं होता तो शायद UPSC क्रैक नहीं कर पाता। हालांकि, यहां होने की वजह से एग्जाम की तैयारी के लिए बहुत कम समय मिल रहा था। बच्चों के मोटिवेशन से मैं अपने आखिरी कोशिश में यह मुकाम हासिल कर पाया।