RTI संशोधन बिल लोकसभा में पास, जानें- नए और पुराने कानून में क्या बदलाव किए गए हैं?

नई दिल्ली: सूचना का अधिकार (आरटीआई) संशोधन विधेयक, 2019 को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है. इस बिल में मुख्य सूचना आयुक्तों और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल से लेकर उनके वेतन और सेवा की शर्तें तय करने का फैसला केंद्र सरकार के हाथों में आ गया है. बिल में संशोधन को लेकर विपक्षी दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और तमाम बुद्धिजीवी इस पर सवाल उठा रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस कानून के बारे में विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंता को बेवजह करार दिया है. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी, सरलीकरण, मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस को लेकर प्रतिबद्ध है.

 

सोमवार को पास हुए बिल के तहत सरकार ने आरटीआई कानून, 2005 की धारा 13 और 16 में संशोधन किया है. धारा 13 में नए संशोधन के बाद मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह होंगी.

वहीं धारा 16 के मुताबिक पुराने बिल के तहत केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल (या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो) के लिए निर्धारित किया गया था.

दोनों धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है कि अब सबकुछ केंद्र सरकार के हाथों में होगी. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर संशोधन के बाद इसमें क्या बदलाव हुए हैं.

सेवा की शर्त
2005 एक्ट के मुताबिक केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल (या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो) के लिए निर्धारित किया गया था. संशोधन के बाद अब यह फैसला केंद्र सरकार के हाथों में होगी.

सेवा के दौरान सैलरी
2005 एक्ट के मुताबिक सूचना आयुक्तों और मुख्य सूचना आयुक्तों की सैलरी चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों के लगभग बराबर था. नए संशोधन के बाद अब सैलरी, भत्ता और अन्य सभी शर्तों को लेकर केंद्र सरकार फैसला लेगी.

सेवा के दौरान कटौती
2005 एक्ट के मुताबिक अगर किसी की नियुक्ति सूचना आयुक्त या मुख्य सूचना आयुक्त के तौर पर होती है और वह व्यक्ति सरकारी नौकरी के तहत पेंशन या भत्ता पा रहा है तो उसकी सैलरी से उतने पैसे की कटौती कर ली जाती है. नए नियम के मुताबिक अब इस बात का फैसला केंद्र सरकार के हाथों में आ गया है.

अगर हम उदाहरण के तौर पर समझें तो सूचना आयुक्त की सैलरी अगर 100 रुपये तय की जाती है और वह पहले से 5 रूपये पेंशन और भत्ता पा रहा है. तब उस हालत में सरकार सूचना आयुक्त के खाते में 105 रूपये नहीं देगी. पेशन और भत्ता पाने की स्थिति में भी सरकार पेंशन और भत्ते के पैसे को काट कर देती थी. यानि आपको हर हालत में 100 रूपये से ज्यादा नहीं मिलेंगे.

क्या है आरटीआई एक्ट 2005

करीब 14 साल पहले यानी अक्तूबर 2005 में देश को एक नया कानून मिला था. इस कानून को “सूचना का अधिकार” यानी आरटीआई कानून के नाम से जाना जाता है. इसके तहत किसी भी नागरिक को सरकार के किसी भी काम या फैसले के बारे में सूचना लेने का अधिकार मिला हुआ है.

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