गोल अचीव करने के 7 टिप्स ..!

गोल को टुकड़ों में बांटें, एबिलिटी को ईमानदारी से समझें …

‘एक मंजिल है मगर राह कई हैं ‘अजहर’, सोचना ये है कि जाओगे किधर से पहले’

गोल सेटिंग पर सटीक बात

क्या आप या आपका अपना कोई कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी में लगा हुआ है?

लखनऊ के जाने-माने शायर अजहर लखनवी ने लक्ष्य निर्धारित करने करने और उसे अचीव करने पर क्या सटीक लाइंस कही हैं! आज मैं आपको बताऊंगा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए लक्ष्य कैसे सेट करें और उनकी तरफ कैसे बढ़ें।

तीस सालों से स्टूडेंट्स को अनेक एग्जामस के लिए तैयारी करवाते हुए मैंने देखा कि सही स्ट्रेटेजी के बिना बात नहीं बनती है। तो सीख लीजिए सही स्ट्रेटेजी आज!

गोल सेटिंग और अचीविंग के 7 स्ट्रेटेजिक स्टेप्स

1) गोल आपके पर्सनल महत्व का होना चाहिए: सबसे पहली बात जो गोल सेट करते वक्त पूछनी होगी वो है कि क्या आपने वो लक्ष्य सामाजिक दबाव के कारण रखा है, या आपका अपना पर्सनल गोल है जिसके लिए आप जमीन आसमान एक कर देंगे? हमारी खुशी से जुड़े गोल हम ज्यादा तेज गति से प्राप्त कर सकते हैं, और बिना बाहरी दबाव के भी, इसलिए प्रयास वही होना चाहिए। तो अपने माता पिता से सीधी बात करें, और वही करें जो दिल से आप चाहते हैं।

2) गोल्स एकदम स्पेसिफिक शब्दों में लिखें: एक बार अपने दिल से आपने गोल सेट कर लिया, तो दूसरी बात है उसे बहुत स्पेसिफिक बनाना। जनरल गोल जो मोटे-मोटे शब्दों में लिखे जाते हैं, उनका कोई महत्व नहीं होता। गोल एकदम लिमिटेड शब्दों में लिखना आना चाहिए, तभी उसको हासिल करने का तरीका भी तैयार होगा।

उदाहरण: यदि आप कहते हैं ‘मैं मैथ्स में इस साल अच्छा करूंगा’ तो ये जनरल गोल है, जिसका कोई मतलब नहीं। तो आप कहिए ‘मैं मैथ्स में इस साल 80 % स्कोर करूंगा।’ अब ये स्पेसिफिक गोल बन गया, और आपकी पूरी एनर्जी इस पर सही लग सकती है।

3) अपने गोल को टुकड़ों में बांट दें: डेली, वीकली, मंथली और ईयरली अलग-अलग लक्ष्य सेट करें। इससे आप को अपनी परफॉर्मेंस लगातार मापने में आसानी होगी। एक लम्बी विश्व-विजेता छलांग लगाने का प्लान न बनाएं, बल्कि छोटी-छोटी छलांगे लगाएं। लगातार खुद का असेसमेंट करें। गलतियां सुधारें। हां, यदि कॉम्पिटिटिव एग्जाम के आगे जाकर जीवन भर के लिए मिशन स्टेटमेंट बनाना है, तो आप बड़ी बात कर सकते हैं!

उदाहरण: मैं एक अच्छा इंसान बनूंगा, जो दयालु, क्षमाशील और मददगार होगा, और रोजाना एक इंसान की मदद करेगा ही रहूंगा।

4) लक्ष्य चुनौतीपूर्ण लेकिन यथार्थवादी हो: कठिन या चुनौतीपूर्ण लक्ष्य मध्यम या आसान लक्ष्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन देते हैं। लक्ष्य जितना अधिक चैलेंज से भरा होगा, प्रदर्शन उतना ही अधिक होगा। लेकिन याद रहे, जोश जोश में इतना चैलेंज मत सेट कर लेना कि कुछ भी न हो पाए, और हर दिन थोड़ा दिमाग पर बोझ और बढ़ जाए। अपनी एबिलिटी को ईमानदारी से समझें, और फिर डिसाइड करें।

5) लक्ष्य ‘पत्थर की लकीर’ नहीं: लक्ष्य निर्धारण एक लगातार बदलने वाली प्रक्रिया है। इसलिए अपने लक्ष्यों को संशोधित करते रहें, और उन्हें गाइडलाइंस के रूप में इस्तेमाल करें। एब्सोल्यूट लक्ष्य-प्राप्ति के बजाय कितना अचीव हो गया है उसकी डिग्री पर ध्यान दें। उदाहरण ‘आज मैंने 80% लक्ष्य अचीव किया।’ ये शर्म की नहीं गर्व की बात है।

6) छोटे कदमों की शक्ति: मैंने आपको बताया कि बड़े लक्ष्यों को छोटे-छोटे, डेली और वीकली अचीव किए जाने वाले लक्ष्यों में तोड़ दें। इसे अपनी जीवन शैली बना लें। कहा भी गया है ‘हजारों मील की यात्रा एक कदम से शुरू होती है।’ जापान में इस फिलॉसोफी को काइजेन का नाम दिया गया है जिसके अनुसार यदि आपको अपनी ‘वोकैब्युलरी’ बढ़ाना है, तो शुरुआत आज ही से करें: एकदम छोटी: अर्थात रोज केवल एक नया वर्ड सीखें। धीरे-धीरे यह करते रहें, बिना ब्रेक के। आप चलते जाएंगे, कारवां बनता जाएगा।

7) प्रेरणा, विश्लेषण और सतत प्रयास: लक्ष्य प्राप्त करने के लिए केवल प्रेरणा ही पर्याप्त नहीं है। आपको उस प्रेरणा को सबसे प्रभावी तरीके से उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए। इसके लिए अपनी स्ट्रेटेजी को बदल-बदल कर भी देख सकते हैं कि कौनसी सबसे ज्यादा काम आती है। फिर आप पाएंगे कि थोड़ा-थोड़ा इम्प्रूवमेंट होता जा रहा है, और उससे मिलने वाली प्रेरणा किसी भी मोटिवेशनल स्पीकर से मिलने वाली प्रेरणा से अधिक ठोस होगी।

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