”समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार की जड़े गहरी” …!

मंत्री असीम अरुण ने पत्र में लिखा- प्रमोशन छोड़िए…अधिकारियों के जेल जाने की नौबत है …

योगी सरकार में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण अपने महकमे में फैले भ्रष्टाचार से परेशान है। इससे उबरने के लिए मंत्री ने विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारियों को एक पत्र लिखा है। पत्र की कॉपी दैनिक-भास्कर के पास भी मौजूद है। इस पत्र में मंत्री ने बताया है कि समाज कल्याण अधिकारियों के कैडर में 122 में से 87 अधिकारी दाग़ी हैं।

असीम अरुण ने अपने पत्र की शुरुआत एक विभागीय घटना से की है। पत्र में लिखा है,” हाल में समाज कल्याण अधिकारी से उप निदेशक पद पर प्रमोट हुए तीन अधिकारियों को बहुत बधाई। लेकिन इस प्रमोशन में मेरे लिए आश्चर्य की बात है कि जब 4 उप निदेशक के पद खाली थे तो केवल तीन का ही प्रमोशन क्यों हुआ?”

प्रमोशन तो छोड़िए जेल जाने की नौबत है

मंत्री आगे लिखते है,”पता चला कि 15 अधिकारियों की सेवा अवधि पूर्ण हो रही थी लेकिन 12 की पदोन्नति संभव नहीं थी, क्योंकि उनके खिलाफ कोर्ट में केस, आर्थिक अपराध शाखा में जांच या फिर प्रशासनिक जांच चल रही है। यह तो अत्यंत खेदजनक स्थिति हुई। लेकिन,आखिर ऐसा क्यों है। मैंने थोड़ा समझने की कोशिश की तो पता चला कि पिछली सरकारों में हुए भ्रष्टाचार की शिकायतों और जांचों की कालिख से बड़ी संख्या में समाज कल्याण अधिकारी रंगे हुए है। प्रमोशन तो छोड़िए… जेल जाने की नौबत है। समाज कल्याण अधिकारियों के संवर्ग में 122 अधिकारी हैं। जिनमें से केवल लगभग 35 बेदाग है। कुछ ऐसा ही हाल अन्य संवर्ग की भी है।”
”आपको तय करना है विभाग का भविष्य”

राज्यमंत्री असीम अरुण ने अपने पत्र में लिखा है कि आपका और विभाग का भविष्य क्‍या होगा यह आपको ही तय करना है। पिछले पांच वर्षों में बहुत प्रगति हुई है लेकिन अब भ्रष्टाचार की हर संभावना को खत्म करना है। उन्होंने भ्रष्टाचार दूर करने के लिए अपनी तरफ से कुछ सुझाव देते हुए 28 अक्टूबर तक विभाग के लोगों की राय मांगी है।

14 अक्टूबर को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंट करते हुए।
14 अक्टूबर को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंट करते हुए।

महकमे में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मंत्री असीम अरुण ने दिए ये खास टिप्स

  1. आंतरिक विजिलेंस का सशक्तिकरण- मुख्य सतर्कता अधिकारी की व्यवस्था को सशक्त करना और स्थापित नियमों का पालन कराना।
  2. सिद्धांतवादी, पारदर्शी कार्य संस्कृति का विकास-जीरो टॉलरेंस सरकार और नागरिक का रिश्ता राजा प्रजा का नहीं सेवा प्रदाता और सेवा प्राप्त कर सका है इस सिद्धांत को नियमित प्रशिक्षण सेमिनार आदि द्वारा विकसित किया जाएगा।
  3. भ्रष्टाचार की शिकायत लेने का चैनल और त्वरित जा का प्रबंध-इसके लिए फोन नंबर, ई-मेल, सोशल मीडिया आईडी बनाई जाएंगी, जहां भ्रष्टाचार की शिकायत गोपनीय रूप से दर्ज होंगी। तेज कार्रवाई के लिए विभागीय टीमें गठित की जाएंगी।
  4. जाचों का शीघ्र निस्तारण –विभागीय जांच एजेंसियों में प्रचलित जांच मेरे स्तर से नियमित समीक्षा हो ताकि कोई हीला-हवाली ना कर सके।
  5. सिस्टम आधारित भ्रष्टाचार- इसके लिए ई-रूपे, बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था को अपनाकर सिस्टम आधारित भ्रष्टाचार खत्म किया जाएगा
  6. ना मजबूरी, ना बहाना- सभी कार्यालयों को संसाधनों से परिपूर्ण करना होगा ताकि भ्रष्टाचार के पैसे से वाहन का इंधन आदि जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति की मजबूरी रहे और न कोई बहाना।

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