चुनाव जीतीं महिलाएं, सरकार चला रहे पुरुष …!
चुनाव जीतीं महिलाएं, सरकार चला रहे पुरुष:कारण- माननीयों ने इनके पति, बेटा, देवर को प्रतिनिधि बनाकर हक छीनने का रास्ता निकाला
प्रदेश सरकार ने सख्ती दिखाते हुए बैठकों में महिला जनप्रतिनिधियों के पुरुष परिजन का प्रवेश रोकने के लिए कलेक्टरों को आदेश भी जारी किया। लेकिन पुरुष परिजनों ने इस सख्ती का भी तोड़ निकाल लिया है। यह तोड़ भी किसी और ने नहीं बल्कि सरकार के ही मंत्री, सांसद और विधायकों ने निकलवा दिया।
इन्हाेंने महिला जनप्रतिनिधियाें के पुरुष परिजनों को अपना प्रतिनिधि बनाकर बैकडोर एंट्री से प्रवेश दिला दिया। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि खंडवा नगर निगम में एमआईसी की पहली बैठक का निगम कमिश्नर सविता प्रधान ने यह कहते हुए बहिष्कार कर दिया कि बैठकें महापौर के पति लेते हैं।
मंत्री-सांसद का तर्क- यह हमारा अधिकार, भास्कर सवाल-महिला जनप्रतिनिधि के परिजन ही क्यों
उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने ग्वालियर में जिपं अध्यक्ष के पति को जिपं में अपना प्रतिनिधि बनाया है। जब उनसे इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह हमारा अधिकार है कि हम किसे अपना प्रतिनिधि बनाएंगे। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि महिला जनप्रतिनिधि के परिजन को ही क्यों चुना और यह तो सरकार की मंशा के विपरीत है।
इस पर मंत्री ने कहा- सरकार भी तो हम ही हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी तरह खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटील से पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी खंडवा निगम में महापौर के पति और मूंदी नप में अध्यक्ष के पति को सांसद प्रतिनिधि बनाया है। बुरहानपुर निगम में भी महापौर के पति को अपना प्रतिनिधि बनाऊंगा। यह हमारा अधिकार है।
अशोकनगर-राजगढ़ कलेक्टर जैसी सख्ती अन्य जिलों में क्यों नहीं
सरकार की सख्ती के बाद राजगढ़, अशोकनगर जिलों के कलेक्टरों ने पंचायत चुनाव में चुनी गईं महिलाओं के पुरुष परिजन का बैठकों में प्रवेश पर रोक लगाने वाला आदेश जारी किया। लेकिन ऐसी सख्ती अन्य जिलों के कलेक्टरों ने नहीं दिखाई। सागर में चुनी गई महिला जनप्रतिनिधि के परिजन शपथ तक ले गए।
निर्दलीय अध्यक्ष ने अपने पति को ही बनाया नपा में प्रतिनिधि
गुना में नपाध्यक्ष सविता गुप्ता निर्दलीय चुनी गई हैं। उन्होंने अपने पति अरविंद गुप्ता को नपा में अपना प्रतिनिधि बना लिया। इधर, जिपं, जनपद, नपा, निगम में प्रतिनिधि बनाने में भाजपा सबसे आगे हैं। इनमें भी सांसदों ने सबसे ज्यादा प्रतिनिधि बनाए।
परिजन को प्रतिनिधि बनाया है तो उनसे बात की जाएगी
महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि महिला जनप्रतिनिधियों के साथ उनके पति और परिजन बैठक में हिस्सा नहीं ले सकते। जहां तक सांसद-विधायक द्वार महिला जनप्रतिनिधि के परिजन को बैठक में प्रवेश कराने के लिए अपना प्रतिनिधि बनाया है तो संबंधित से बात की जाएगी।
महेंद्र सिंह सिसौदिया, मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मप्र