हाईकोर्ट ने चेताया- व्यापमं से बड़ा घोटाला हो जाएगा : फैकल्टी वाले नर्सिंग कॉलेज

कोविड काल में खुले फेक फैकल्टी वाले नर्सिंग कॉलेज:हाईकोर्ट ने चेताया- व्यापमं से बड़ा घोटाला हो जाएगा

​​​​​​मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के अंडर में फेक फैकल्टी वाले प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं। कई फैकल्टी ऐसे हैं, जो एक ही सेशन के दौरान कई कॉलेजों में काम कर रहे हैं।

यह गड़बड़ी एक ही फैकल्टी का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज की गई है। इसकी एक बानगी देखिए, फैकल्टी का नाम है विष्णु कुमार स्वर्णकार, जो 15 नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर है। 2021-22 के लिए 9 कॉलेजों की मान्यता निलंबित हो चुकी है। बाकी के 6 कॉलेजों में वो अब भी पदस्थ है।

हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, विष्णु स्वर्णकार 2021-22 में मंडला के भरत इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग में प्रिंसिपल, इंदौर के जगदगुरु दत्तात्रेय कॉलेज ऑफ नर्सिंग में असिस्टेंट प्रोफेसर, जबलपुर की बंसल एकेडमी ऑफ नर्सिंग साइंस एंड लर्निंग में प्रिंसिपल और इंदौर के सफायर इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड साइंस में बतौर प्रिंसिपल दर्ज मिले।

इसी तहर एक लीना नाम की टीचिंग स्टाफ के 18 माइग्रेशन नंबर जनरेट किए गए। कहीं पर उसका नाम सिर्फ लीना लिखा गया तो कहीं पर कुमारी लीना और कहीं पर लीना के अलावा कई सरनेम लिखे गए। उसकी जन्म तारीख को बदल दिया गया। अलग-अलग कॉलेज में उसका पद बदलकर दिखाया गया।

फर्जीवाड़ा करने में छतरपुर, बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, नर्मदापुरम, धार, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खरगोन, पन्ना, विदिशा, टीकमगढ़, शहडोल, सिवनी, सीहोर आदि जिलों के कॉलेज भी शामिल हैं। इनमें से कुछ कॉलेजों में दिल्ली, यूपी, राजस्थान और हरियाणा के छात्रों ने भी प्रवेश लिया था।

विष्णु कुमार स्वर्णकार 15 नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर है। नियमानुसार एक सेशन में कोई भी व्यक्ति एक ही जगह काम कर सकता है।

70 कॉलेजों की मान्यता निलंबित
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाडे़ को लेकर याचिका दायर की गई थी। दो से चार कमरों में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों को नियम तोड़कर मान्यता देने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इसके बाद से अब तक करीब 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निलंबित की गई है।

लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता विशाल बघेल ने बताया कि कागजों में चलने वाले नर्सिंग कॉलेजों में दी जा रहीं डिग्रियों से आम मरीजों का जीवन खतरे में पड़ता है। इस कारण से हमने ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई का अनुरोध कोर्ट से किया था। प्रदेश में करीब ऐसे और 200 नर्सिंग कॉलेज हैं जो नियमों को ताक पर रखकर चलाए जा रहे हैं।

कोरोना काल में जब लोगों को इलाज की जरूरत थी, उसी दौरान एक साल के भीतर 219 नए प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज खुले। बाद में जांच में पता चला कि इनमें से कई तो दो या चार कमरों में ही संचालित हो रहे थे।

ऐसे हुई गड़बड़ियों की शुरुआत
कोरोना के संकटकाल के पहले साल 2018-19 में प्रदेश में 448 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज थे, लेकिन कोरोना के संकट में इनकी संख्या एक साल में तेजी से बढ़कर 667 हो गई। इस दौरान अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ गए। लोग प्राथमिक उपचार के लिए तक तरस गए।

नियमों के हिसाब से हर नर्सिंग कॉलेजों के पास खुद का कम से कम 100 बेड का पेरेंटल हॉस्पिटल होना चाहिए। जहां छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग कराई जा सके, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर खोले गए इन नर्सिंग कॉलेजों के पास अस्पताल तो छोड़िए बिल्डिंग, मूलभूत संसाधन और फैकल्टी तक नहीं हैं। जब जांच की तो सब कागजों में ही मिले। इस मामले को लेकर जनवरी 2022 में मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।

फर्जी कॉलेजों में टीचर भी फर्जी

  • पवन कुमार शर्मा: सत्र 2021-22 में ग्वालियर के भास्कर कॉलेज ऑफ नर्सिंग में बतौर प्रिंसिपल दर्ज थे। इसी सत्र में शर्मा ग्वालियर के ही VIPS कॉलेज ऑफ नर्सिंग में ट्यूटर दिखाए गए। शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी (फैकल्टी ऑफ मेडिकल साइंस) में वाइस प्रिंसिपल के साथ ही अनूपपुर के पं. रामगोपाल तिवारी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में भी वाइस प्रिंसिपल दर्ज थे।
  • मो. मजहर जहां: सत्र 2021-22 में ग्वालियर के BIPS कॉलेज ऑफ नर्सिंग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। इसी दौरान वे मुरैना के हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग में वाइस प्रिंसिपल, इंदौर के परिजात नर्सिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल, जबलपुर के ज्ञानदीप इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंस में वाइस प्रिंसिपल, बैतूल के श्री गोवर्धन कॉलेज एंड स्कूल ऑफ नर्सिंग में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर दर्ज मिले।

दो पॉइंट्स पर हुई जांच में खुल गई पोल
मामला मप्र हाईकोर्ट तक पहुंचने के बाद अभी मुख्य तौर पर सिर्फ 2 पॉइंट्स पर ही जांच कराई गई है। नर्सिंग कॉलेजों में बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की जांच में ही भारी गड़बड़ियां मिल चुकी हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि यदि इन नर्सिंग कॉलेजों की बारीकी से जांच कराई गई तो अस्पतालों का फर्जीवाड़ा भी सामने आ जाएगा।

इंदौर के 16 और भोपाल के 8 कॉलेजों की मान्यता रद्द
इस सूची में भोपाल के 8 नर्सिंग कॉलेज हैं। इसमें एलएन, चिरायु, कस्तूरबा, कुशाभाऊ ठाकरे और आइसेक्ट आदि शामिल हैं। इंदौर में 16 और जबलपुर में 7 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता रद्द की गई है। इसके साथ ही रीवा, सतना, खंडवा, विदिशा, उज्जैन और सागर के कॉलेज शामिल हैं। इसमें से 80 कॉलेजों की मान्यता अस्थाई रूप से बहाल भी कर दी गई है। 13 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता अब भी रद्द है। नवीनीकरण के लिए इन कॉलेजों ने जरूरी दस्तावेज नहीं दिए हैं। दस्तावेज देने और निरीक्षण के बाद कुछ की मान्यता दोबारा बहाल की जा सकती है।

ग्वालियर में हो चुकी है 200 कॉलेजों की जांच
मप्र नर्सिंग काउंसिल ने प्रदेश में सत्र 2019-20 में 520 कॉलेजों को संबद्धता दी थी। कोर्ट के आदेश के बाद ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में चल रहे 200 कॉलेजों की जांच हुई थी। जांच में मिली गड़बड़ी के बाद 70 में फर्जीवाड़ा मिला था, इसलिए इनको बंद कर दिया था।

सीबीआई जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया ब्रेक
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने 28 सितंबर 2022 को नर्सिंग कॉलेजों में गड़बड़ी की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन) से कराने के आदेश दिए थे। इस पर सीबीआई ने जांच शुरू भी कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन व मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।

29 नवंबर को फिर से होगी सुनवाई
29 नवंबर को स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) की सुनवाई फिर से होगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने 22 अक्टूबर को मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के भोपाल स्थित दफ्तर से यहां से ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में संचालित 25 नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता और मान्यता से संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे। बता दें, कोर्ट ने दोबारा 35 कॉलेजों की मान्यता की जांच पर सवाल उठाए थे। दोबारा जांच के बाद 35 में से 10 कॉलेज और बंद हो गए थे। इसके बाद शेष बचे 25 कॉलेजों की जांच के दस्तावेज देखने के बाद कोर्ट ने मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया था।

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