किस धातु के बर्तनों में कुक करें, किसमें नहीं ..!

पीतल-तांबा-मिट्टी-स्टील है सुरक्षित, सोना-चांदी सेहत से भरपूर, एल्यूमिनियम-नॉन-स्टिक के बर्तन खतरनाक

हम क्या खाते हैं इसका असर सेहत पर जरूर पड़ता है, लेकिन हम किस तरह के बर्तन में खाना खा रहे हैं, इसका भी असर सेहत और स्वभाव दोनों पर देखने को मिलता है। ऐसा हम नहीं, आयुर्वेद कहता है। किस धातु में हम खाना खा रहे हैं, उसका हमारी सेहत पर खास असर होता है। दिल्ली के पंचकर्म अस्पताल के आयुर्वेदाचार्य डॉ आरपी पराशर बता रहे हैं कि सोना, चांदी, स्टील, मिट्टी किस तरह के बर्तन में खाना खाने से सेहत और स्वभाव पर कैसा असर होता है।

एल्यूमिनियम

एल्यूमिनियम के बर्तन हर घर में मिल जाते हैं। एल्यूमिनियम बॉक्साइट का बना होता है, इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है। आयुर्वेद के मुताबिक, यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है, इसलिए इससे बने बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। एल्यूमिनियम से बने बर्तन में खाना खाने से हड्डियां कमजोर होती हैं, मानसिक बीमारियां होती हैं, लिवर और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।

इसके साथ साथ किडनी फेल होना, टीबी, अस्थमा, दमा, वात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। एल्यूमिनियम के नाम पर लोगों के घरों में प्रेशर कुकर आसानी से मिल जाता है। बता दें कि एल्यूमिनियम के प्रेशर कुकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत न्यूट्रिशन खत्म हो जाते हैं। तो यह बात साफ है कि इस बर्तन का प्रयोग बंद कर देना चाहिए।

नॉन-स्टिक कुक वेयर का इस्तेमाल

ज्यादातर लोग खाना पकाने के लिए नॉन-स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं। लोगों का मानना है कि इनमें खाना बनाने से तेल कम लगता है और खाना बर्तन में चिपकता भी नहीं है। लेकिन इन बर्तनों के इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के साथ ही लंग डैमेज का भी खतरा होता है। दरअसल नॉन-स्टिक बर्तनों पर टेफ्लॉन कोटिंग होती है जिसे पॉलीटेट्राफ्लूरो एथिलीन कहा जाता है। यह एक जहरीला पदार्थ है।

इसके नुकसान सामने आने के बाद अब नॉन-स्टिक बर्तनों में GenX का इस्तेमाल होने लगा है। यही वजह है कि नॉन स्टिक बर्तनों पर यह लिखा होता है कि वो PFOA-फ्री हैं। हालांकि इसकी जगह जो अन्य मटेरियल इस्तेमाल हो रहा है। वो भी सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है।

टेफ्लॉन एक सेफ कंपाउंड है जो सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। लेकिन 300 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर नॉन-स्टिक बर्तन पर हुई टेफ्लॉन कोटिंग टूटने लगती है। जिससे हवा में प्रदूषित केमिकल पैदा होते हैं। यह धुआं नाक में जाने पर पॉलीमर फ्यूम फीवर या टेफ्लॉन फ्लू भी हो सकता है। स्टडी में ऐसे भी कुछ मामले सामने आए जिनमें टेफ्लॉन के ज्यादा गर्म हो जाने से लंग्स डैमेज हो गए हैं।

स्टील के बर्तनों में खाना बनाना और खाना

स्टील ऐसी धातु है, जो अमूमन सभी घरों में बर्तन के रूप में पाई जाती है। मार्केट में बर्तन के नाम पर सबसे ज्यादा स्टील ही पाया जाता है। स्टील के बर्तन में खाना खाना या पकाना नुकसानदेह नहीं है। इनमें गर्म और ठंडे का कोई असर नहीं होता है इसलिए ये किसी भी रूप में हानि नहीं पहुंचाते। लेकिन यह भी सच है कि इनमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता।

पीतल के बर्तन में खाना बनाने से सिर्फ 7 प्रतिशत न्यूट्रिशन लॉस होते हैं।

पीतल के बर्तन

पीतल के बर्तन में खाना पकाने और खाने से कृमि रोग, कफ और वायु दोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

लोहे के बर्तन

लोहा यानी आयरन, इसमें भोजन करेंगे तो शरीर को ढेर सारा आयरन मिलेगा, जो कि भरपूर ऊर्जा पाने के लिए बेहद जरूरी है। लोहे के बर्तन में बना भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है। लौह तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ाता है। इसके अलावा लोहा कई रोगों को भी खत्म करता है। यह शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग और पीलिया को भी दूर रखता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

मिट्टी के बर्तन

मिट्टी का बर्तन एकमात्र ऐसा पात्र है जिसमें खाना खाने से 1 प्रतिशत भी नुकसान नहीं होता। सिर्फ फायदे ही फायदे मिलते हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे न्यूट्रिशन मिलते हैं, जो कई बीमारियों को दूर रखते हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, अगर खाने को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने में समय ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स के लिए मिट्टी के बर्तन बेस्ट हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना खाने से अलग स्वाद भी आता है।

तांबे के बर्तन

तांबे के बारे में एक बात तो सभी जानते हैं, कि इस धातु से बने बर्तन में रखा पानी पीने से बीमारियां दूर रहती हैं। ऐसा पानी पीने से खून साफ होता है, याददाश्त बढ़ती है, लिवर की परेशानी दूर होती है। यह पानी बॉडी को डिटॉक्स करता है, जो कि अपने आप ही मोटापा कम करने में मददगार है। तांबे के बर्तन में खाना खाने से भी फायदा मिलता है। यह बर्तन खाने के पौष्टिक गुणों को बनाए रखता है। लेकिन तांबे के बर्तन में भूल से भी दूध नहीं पीना चाहिए। आयुर्वेद के मुताबिक ऐसा करने से शरीर को नुकसान होता है।

नए जमाने के बर्तन सेहत के लिए नुकसानदेह हैं।

कांसे के बर्तन

कांसे के बर्तन में भोजन कर रहे हैं, तो इससे अच्छी धातु कोई नहीं है। इसके अनेक फायदे हैं। कांसे के बर्तन में खाना खाने से दिमाग तेज और खून साफ होता है, भूख भी बढ़ती है। लेकिन एक बात का ध्यान रखें, कांसे के बर्तन में खट्टी चीजें नहीं परोसनी चाहिए। खट्टी चीजें इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती हैं, जो नुकसान देती हैं।

चांदी के बर्तन

चांदी एक ठंडी धातु है। इससे बने बर्तन में आप भोजन कर रहे हैं, तो ये शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं। चांदी शरीर को शांत रखता है, इसके बर्तन में खाना बनाने और खाने से दिमाग तेज होता है। चांदी भी आंखों के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा पित्त दोष, कफ और वायु दोष को काबू में करता है।

सोने के बर्तन

आयुर्वेद के मुताबिक सोना एक गर्म धातु है। इससे बने बर्तन में खाना बनाने और खाने से शरीर के अंदरूनी और बाहरी दोनों हिस्से मजबूत, बलवान, ताकतवर बनते हैं। सोने के बर्तन में भोजन करना आंखों के लिए फायदेमंद है, यह आंखों की रोशनी बढ़ाता है।

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