130 कॉलेजों को संबद्धता देने से इनकार, अब अदालत का सहारा

आयुर्विज्ञान विवि: इस फैसले से बीते दो सत्र के डिग्री-डिप्लोमा अमान्य
130 कॉलेजों को संबद्धता देने से इनकार, अब अदालत का सहारा
भोपाल. प्रदेशभर के 130 से ज्यादा निजी कॉलेजों को मप्र आयुर्विज्ञान विवि की कार्यपरिषद ने बड़ा झटका दिया है। कार्यपरिषद ने इन कॉलेजों को बीते सत्रों के लिए नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता देने से इनकार कर दिया है। अब संबंधित कॉलेजों की पिछले दो सत्रों की संबद्धता शून्य हो गई है। असर 2019 और 2020 में प्रवेशित छात्रों पर पड़ेगा, क्योंकि इन सत्रों की नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के डिग्री व डिप्लोमा अमान्य माने जाएंगे।

रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल के अनुसार मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद ने सम्बद्धता संबंधी जांच रिपोर्ट के आधार पर कॉलेजों की मान्यता निरस्त की। कॉलेजों ने पहले सम्बद्धता के लिए आवेदन में देरी की। आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए। सम्बद्धता संबंधी फीस जमा नहीं की थी। जब कॉलेजों ने प्रक्रिया पूरी की तो निरीक्षण हुआ। इसके बाद जो कॉलेज जांच में अपात्र पाए गए। उन्हे सम्बद्धता नहीं दी गई। नियमानुसार कॉलेज छात्रों को यूनिवर्सिटी से सम्बद्धता लेने के बाद ही प्रवेश दे सकते हैं।

नर्सिंग को लेकर पहले ही कॉलेज विवाद में उलझे हैं। प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन हैं। अब विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के फैसले के बाद कॉलेजों के सामने संबद्धता का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में कॉलेजों को अपने यहां प्रवेशित छात्रों के डिग्री-डिप्लोमा बचाने नए सिरे से कोर्ट की शरण लेनी होगी।

एक और अधिवक्ता

कार्यपरिषद ने ग्वालियर उच्च न्यायालय के नर्सिंग कॉलेजों को लेकर दिए गए निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण में एक और अधिवक्ता नियुक्त किया है। अधिवक्ता सनी चौधरी के सहयोग के लिए अधिवक्ता तपन कुमार त्रिवेदी को भी रखने का निर्णय लिया गया।

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