पी चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ीं, जमानत याचिका पर तीन कोशिशाें के बावजूद SC में नहीं हो पाई सुनवाई
नई दिल्ली: INX मीडिया हेराफेरी मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट में तीन कोशिशों के बावजूद बुधवार को उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाई. उससे पहले लंच के बाद जस्टिस रमन्ना ने याचिका पर फिर सुनवाई से मना किया क्योंकि याचिका में खामियां दूर नहीं हो सकी थीं. उन्होंने कहा कि जब तक मामला लिस्ट नहीं हो जाता तब तक सुनवाई नहीं होगी. बाद में रजिस्ट्री ने जस्टिस रमन्ना की कोर्ट को बताया कि डिफेक्ट दूर हो गया है, मामला कब और कहां लगेगा, अभी तय नहीं है. यह चीफ जस्टिस तय करेंगे. उसके बाद चिदंबरम के वकील याचिका को लिस्ट करने के निर्देश के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट में पहुंचे लेकिन सुनवाई की मांग नहीं की.
इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जस्टिस रमन्ना के समक्ष केस की मेंशनिंग की अनुमति दी. उसके बाद चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस रमन्ना की बेंच से कहा कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है इसलिए वो दोबारा मेनशनिंग के लिए आए हैं. जस्टिस रमन्ना ने कहा कि आपकी याचिका में खामियां हैं. उसमें सुधार के बाद ही सुनवाई संभव है. चिदंबरम के वकील सिब्बल ने कहा कि रजिस्ट्री ने अभी तक याचिका का डिफेक्ट क्लीयर करके उनका केस लिस्ट नहीं किया है. इस पर जस्टिस रमन्ना ने कहा कि रजिस्ट्रार ने बताया कि अभी आपकी याचिका में डिफेक्ट क्लियर नहीं हुए हैं. जिसमें हम कुछ नहीं कर सकते.
वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि डिफेक्ट मामूली हैं. जस्टिस रमन्ना ने कहा कि आप डिफेक्ट दूर कीजिये. जस्टिस रमन्ना ने रजिस्ट्रार को बुलाकर पूछा कि क्या दिक्कत है याचिका में? कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला कभी भी सुना जाए मगर हमें अंतरिम राहत तो दी जा सकती है. मेरे मुवक्किल कहीं भाग नहीं रहे हैं. रजिस्ट्रार ने कहा- खामियां दूर हो गई हैं. मामला कब और कहां लगेगा, अभी तय नहीं है. यह चीफ जस्टिस तय करेंगे. इस बीच चिदंबरम मामले में सीबीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल कर कहा कि हमारा पक्ष सुने बिना कोर्ट कोई एकतरफा आदेश न दे.
इसी तरह बुधवार सुबह भी सुप्रीम कोर्ट से चिदंबरम को कोई राहत नहीं मिल सकी. INX मीडिया हेराफेरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रमन्ना की बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. उन्होंने चिदंबरम की याचिका को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पास भेजा. इससे पहले चिदंबरम की याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई और ईडी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम पर मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर आरोप है.
पी चिदंबरम की तरफ से कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, विवेक तनखा कोर्ट रूम में पहुंचे. दरअसल चीफ जस्टिस की कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई में हो रही है, इसलिए चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट नंबर तीन में जस्टिस रमन्ना की तीन जजों की बेंच के सामने केस को मेंशन करते हुए आग्रह किया कि उनकी अपील को जल्द सुन लिया जाए. तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये मामला गंभीर है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें गिरफ्तारी का डर है. हमारी याचिका सुन लीजिए. जस्टिस रमन्ना ने कहा- मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे कि कब और कौन सुनवाई करेगा? सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपील का भी समय नहीं दिया, गिरफ्तारी से फिलहाल राहत मिले. चिदंबरम ने कहा कि वो राज्य सभा के सदस्य हैं, उनके भागने की कोई आशंका नहीं है, उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई जरूरत नहीं है. चीफ जस्टिस की बेंच अभी अयोध्या मामले में सुनवाई कर रही है. फिलहाल चिदंबरम को राहत मिलने की उम्मीद कम है.
हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
दरअसल, मंगलवार को गिरफ्तारी से बचने के लिए पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. चिदंबरम ने अपनी याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को दी चुनौती थी. आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस सुनिल गौर की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया था. यह अग्रिम जमानत याचिका चिदंबरम ने सीबीआई और ईडी के केस में दायर की थी. याचिका खारिज होते ही चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है. पिछले साल से ही चिदंबरम की अग्रिम जमानत पर दिल्ली हाईकोर्ट की अंतरिम रोक थी. इससे पहले CBI और ED ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध किया था. हालांकि हाई कोर्ट ने चिदंबरम को निर्देश दिया था कि वह ED और CBI की जांच में सहयोग करें और बिना कोर्ट की इजाजत के देश से बाहर ना जाएं.
उल्लेखनीय है कि वहीं INX मीडिया मामले में पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पर हेराफेरी करने का आरोप है. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था. ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी.