नई दिल्ली: रेट 5000, एजेंट-होटल को 1000; पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की

ग्राहक की जगह रिपोर्टर देखते ही बियर फेंक भागीं ‘रशियंस’:रेट 5000, एजेंट-होटल को 1000; पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की

चारों तरफ होटलों के चमचमाते बोर्ड। दिल्ली का महिपालपुर इलाका। सोर्स से मिली जानकारी के मुताबिक मैं गली नंबर तीन में होटल डायमंड (दीपक ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट होमस्टे) पहुंची। पहली मंजिल पर कमरा नंबर-101 है। डोर बेल बजाई तो दरवाजा खुला। वेस्टर्न शॉर्ट ड्रेसेज पहने तीन उज्बेक लड़कियां अंदर मौजूद थीं। हाथ में बियर थी। थोड़ा धुआं भी था, शायद स्मोक कर रही थीं।

सवालों से भरी नजरें मुझे घूरने लगीं। वे तीनों शायद किसी ग्राहक का इंतजार कर रही थीं। मैंने कहा- रिपोर्टर हूं, क्या आप बात करेंगीं? इतना सुनते ही वे भड़क गईं। बियर फेंकी, कमरे में मौजूद अपना जरूरी सामान उठाया और मुझे लगभग धकेलते हुए कमरे से भागने लगीं। उन्हें रोकने की कोशिश नाकाम थी। वे धड़ाधड़ सीढ़ियों से उतरीं, गिरते-पड़ते भागते हुए होटल से बाहर निकलीं और टैक्सी में बैठकर फरार हो गईं।

इससे पहले 12 दिसंबर को पब्लिश रिपोर्ट में हमने बताया था कि कैसे दलाल उज्बेकिस्तान की लड़कियों को नौकरी के बहाने भारत लाते हैं। इसके बाद कर्ज के जाल में फंसाकर उनसे सेक्स वर्क कराया जाता है। इस रिपोर्ट में पढ़िए ये लड़कियां होटलों तक कैसे पहुंचाई जाती हैं…

होटल डायमंड में 25 दिसंबर को 4 विदेशी लड़कियां आई थीं, उन्हें पता चल गया कि यहां रिपोर्टर मौजूद है, तो वे तुरंत बाहर निकलीं और टैक्सी में बैठकर निकल गईं।

सिर्फ 2 मिनट में पूरे इलाके में ‘काम बंद’
उज्बेक लड़कियों से सवाल किए मुझे कुछ ही मिनट हुए थे। मालूम चला कि इतनी सी देर में मैसेज सर्कुलेट हो चुका है। मेरे सोर्स ने पहले ही मुझे बताया था कि यहां सेक्स रैकेट चलाने वाला नेटवर्क इतना मजबूत है कि होटल में पुलिस, पत्रकार या एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर काम करने वाले लोगों की एंट्री की खबर मिनटों में पूरे इलाके में फैल जाती है।

मैं भी उज्बेक लड़कियों के रिहैबिलिटेशन पर काम कर रहे NGO एम्पावरिंग ह्यूमैनिटी के सदस्यों के साथ ही महिपालपुर पहुंची थी। लड़कियां तो भाग निकलीं, लेकिन NGO के लोगों ने एजेंट को पकड़ लिया। उसका फोन चेक किया तो एक वॉट्सऐप ग्रुप दिखा, कुछ ही मिनट पहले एक मैसेज किया गया था- ’टुडे हॉलिडे।’ यानी आज धंधा बंद है।

रशियन कहां मिलेंगीं? महिपालपुर गली नंबर-3
सेक्स वर्क के जाल में फंसी उज्बेक लड़कियों को ढूंढने के दौरान मेरी सोर्स से मुलाकात हुई। उसी ने मुझे बताया कि दिल्ली का महिपालपुर इलाका सेक्स वर्क का अड्डा बना हुआ है। गली नंबर 3 के तीन होटलों में उज्बेक लड़कियों से सेक्स वर्क कराया जा रहा है। दलाल इन लड़कियों को रशियन गर्ल बताकर कस्टमर के पास भेजते हैं।

सोर्स के मुताबिक, क्रिसमस और न्यू ईयर पर यहां काफी ग्राहक पहुंचते हैं। मैं 25 दिसंबर 2022 को शाम 8 बजे वहां पहुंच गई। यहां सच में काफी भीड़ थी और लड़कों के ग्रुप होटलों के बाहर खड़े लोगों से बातचीत कर रहे थे। मैं NGO के लोगों के साथ थी।

हमारे एक पुरुष साथी ने गाड़ी से बाहर उतरकर टहलना शुरू किया, तो एक एजेंट सीधा उनके पास आ गया। ये लोग सेक्स वर्क को ‘एंटरटेनमेंट सर्विसेज’ कह रहे थे और रेट्स भी बताते थे। एक से मना किया तो और भी कई एजेंट्स एक के बाद एक करके मोलभाव करने आने लगे।

हमने इनके सामने रशियन लड़कियों की डिमांड रखी। एक एजेंट ने हमें बताया कि गली नंबर-3 में रशियन मिल जाएंगी। सोर्स ने हमें पहले ही गली नंबर-3 बताया था, उसकी जानकारी ठीक निकली। हमने तय किया कि ग्राहक बनकर घुसेंगे और विदेशी लड़कियां मिलीं तो पुलिस को फोन करेंगे।

दिल्ली के महिपालपुर की गली नंबर 3, जहां से गुजरते ही एजेंट तुरंत पास आते हैं। होटल में कमरे के बहाने बात शुरू करते हैं और फिर जल्दी ही खुलकर लड़कियां मंगवाने की बात करने लगते हैं।

बोला- आप एक बार माल तो देखिए, 5000 में बेचने को तैयार
हम गली नंबर-3 पहुंचे। एक होटल के पास से गुजरे तो अजय नाम का एक शख्स आया। ये गली नंबर 3 का पहला होटल था। इसका नाम था दीपक बीएनबी (ये आसपास डायमंड होटल के नाम से मशहूर है)

अजय ने पूछा- कमरा चाहिए? हमने जवाब दिया- नहीं कमरा तो नहीं चाहिए। वो मुस्कुराते हुए फिर बोला- आप जो चाहेंगे मिलेगा, आप बस बोलिए तो सही।

तय प्लान के तहत हमारे साथी ने रशियन गर्ल की डिमांड कर दी। अजय की आंखों में चमक आ गई, बोला- ’मेरे पास बहुत वैराइटी है।’ उससे और बातें निकलवाने के लिए हमारा साथी बोला- ‘कहीं और देखते हैं।’

उसने हाथ पकड़ते हुए कहा- ‘आप एक बार मेरा माल देखिए तो सही, अच्छा ना लगे तो आगे बढ़ जाना।’

हम रुक गए। अब रेट्स पर बात शुरू हुई। पहले वो 30 हजार, 40 हजार का रेट बताने लगा। कुछ देर मोलभाव के बाद वो एक पुरुष के लिए एक लड़की विद रूम 5 हजार रुपए में तैयार हुआ। इसी बीच होटल का मैनेजर भी आया। उसने कहा- ‘आप हमारी सर्विस चेक कर लीजिए, पसंद ना आए तो आगे बढ़ जाइएगा।’

होटल के एजेंट के पास मिले मोबाइल में विदेशी लड़कियों की कई फोटो मिलीं, जिन्हें वॉट्सऐप पर भेजा गया था।

एजेंट ने फोन किया, उज्बेक लड़कियां हाजिर
रात के 9:45 बजे थे। हमारे तीन साथी होटल के भीतर गए। उन्हें कमरा नंबर 101 में ले जाया गया। एजेंट ने कहा कि इसी रूम में बुलाकर लड़कियां दिखाई जाएंगी।

हमारी टीम ने पुलिस के छापे को लेकर डर जाहिर किया तो अजय ने हाथ में नोटों की गड्डियां दिखाई और मुस्कुराते हुए कहा- ‘इतना पैसा जाता है पुलिस और सिस्टम को, आप आराम से काम कीजिए यहां कुछ नहीं होगा, कोई नहीं आएगा।’

कमरा देखने के बाद जैसे ही हमारी टीम लड़कियां देखने के लिए तैयार हुई और एजेंट को हामी भरी, ठीक दो मिनट बाद होटल के बाहर दो टैक्सी आकर रुकीं, चार उज्बेक लड़कियां उतरीं और रिसेप्शन पर बिना किसी रोक-टोक या पूछताछ के सीधे रूम नंबर 101 में चली गईं।

उन चार में से तीन लड़कियों को हमारी टीम ने सिलेक्ट किया तो एक वापस चली गई। इसी दौरान हमने होटल में एंट्री की। जैसे ही अपने पत्रकार होने का परिचय दिया, रिसेप्शन पर बैठा मैनेजर और वहां बैठे तीन और लड़के तुरंत बिना कोई बात किए वहां से भाग गए। उन्हें भागता देख मैं सीधे रूम नंबर-101 में पहुंची। मैंने उज्बेक लड़कियों से बातचीत की कोशिश की, बताया मैं जर्नलिस्ट हूं।

लड़कियां तो भाग गईं, लेकिन एजेंट अजय को NGO के लोगों ने पकड़ लिया। विदेशी लड़कियों के मौजूद होने की पुष्टि होते ही हमने 112 पर कॉल करके पुलिस को भी बुला लिया। करीब 20 मिनट बाद पुलिस आई। PCR टीम ने घटना की गंभीरता को समझते हुए थाने से असाइन किए गए IO को बुलाया। IO के आने तक अजय बार-बार ये कहता रहा कि वो तो बस होटल में वेटर है, असली काम मैनेजर और होटल मालिक करते हैं।

होटल के रिसेप्शन से पुलिस को होटल के एंट्री रजिस्टर के अलावा एक लेजर और एक कच्चा रजिस्टर मिला। इसमें होटल में एजेंटों के नाम के साथ एंट्री दर्ज थी। ये सेक्स वर्क के काम का हिसाब-किताब था। पुलिस टीम ने होटल के एंट्री रजिस्टर के साथ इन्हें भी जब्त किया।

एजेंट्स को मिलते हैं 1000 रुपए, होटल भी प्रति घंटा 1000 लेता है
रशियन गर्ल सेक्स नेटवर्क की परतें कुरेदने पर पता चला कि एक एजेंट को एक लड़की होटल में लाने के बदले 1000 रुपए मिलते हैं। होटल एक घंटे का रेंट 1 हजार लेता है और बाकी पैसा इन लड़कियों के बॉस को जाता है। इस पैसे का पूरा हिसाब-किताब रखा जाता है। दीपक होटल से मिले कच्चे रजिस्टर में भी एजेंट के नाम के बाहर एंट्री के साथ 1 हजार रुपए दर्ज थे।

पिछली पड़ताल में हमें पता चला था कि ज्यादातर सेक्स वर्कर के हाथ में पैसा नहीं आता है। उन्हें कर्ज और लीगल फीस के जाल में ऐसे फंसाया जाता है कि वो ये काम करने के लिए मजबूर हो जाती हैं।

पुलिस टीम अजय को डीटेन करके थाने ले गई। हमारी टीम ने महिपालपुर में कुछ और वक्त बिताया। पुलिस की रेड के बाद यहां लड़कियों के लिए ग्राहक तलाशने वाले ज्यादातर एजेंट फरार हो चुके थे। एक एजेंट ने अपना नाम न जाहिर करते हुए बताया कि महिपालपुर के इस इलाके में करीब 200 एजेंट काम करते हैं।

ये सेक्स वर्क के फुट सोल्जर हैं। ज्यादातर जब पुलिस की कार्रवाई होती है तब ये फुट सोल्जर ही पकड़ में आते हैं। बड़े दलाल और बॉस अपने रसूख के दम पर बच निकलते हैं। हमारी टीम रात ढाई बजे तक शिकायत दर्ज कराने के लिए वसंत कुंज नॉर्थ थाने में मौजूद रही। यहां सब इंस्पेक्टर जीतेंद्र मलिक ने हमसे शिकायत ली। इसके बाद पुलिस की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।

जाने से पहले पुलिस को बताया तो कोई नहीं मिलेगा
सोर्सेज ने हमें बताया था कि महिपालपुर के इस इलाके में जाकर सेक्स वर्क पर रिपोर्ट करना बहुत जोखिम भरा काम है, यहां काम करने वाला नेटवर्क बहुत मजबूत है। चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाती है, एजेंट और ब्रोकर एकदम अलर्ट हो जाते हैं। इस जानकारी की पुष्टि तब हुई जब होटल में हमारी मौजूदगी के दो मिनट के भीतर ही रशियन गर्ल सेक्स नेटवर्क में भगदड़ मच गई और महिपालपुर से लड़कियों को लेकर टैक्सियां दौड़ने लगीं।

हालांकि सोर्स ने ही ये भी बताया कि पुलिस को जानकारी देने से एजेंट्स तक पहले ही खबर पहुंचने का भी खतरा है। ऐसा हुआ तो कुछ भी नहीं मिलेगा। जानकारी पहले पुलिस को दी गई तो हो सकता है उज्बेक लड़कियों को वहां हमारे पहुंचने से पहले ही गायब कर दिया जाए। इसलिए ही हमने लड़कियों की मौजूदगी और सेक्स वर्क होने की पुष्टि करने के बाद ही इसकी जानकारी पुलिस को दी।

जो लड़कियां आज होटल में थीं, दूसरे शहर भेज दी जाएंगीं
इस नेटवर्क के तार उज्बेकिस्तान और देश के कई अन्य शहरों से जुड़े हैं। ये नेटवर्क सेक्स वर्क में धकेली गई गर्ल्स को लगातार एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट करता रहता है। जो लड़कियां हमारे वीडियो में कैद हुईं, हमें बताया गया कि उन्हें भी रातों रात किसी और शहर में जिस्मफरोशी करने भेज दिया गया होगा।

भारत की जांच एजेंसियों, दिल्ली पुलिस और उज्बेकिस्तान एम्बेसी की तमाम कोशिशों के बावजूद सेक्स वर्क और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का ये नेटवर्क फल-फूल रहा है। महिपालपुर पहुंचकर हमें एहसास हुआ कि इस इलाके में रशियन कॉल गर्ल्स इतनी ही आसानी से मिल जाती हैं, जैसे किसी चाय की दुकान पर चाय मिल जाती हो।

जिस होटल में ये पूरा काम चल रहा था, ये रिपोर्ट लिखे जाने तक पुलिस ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। कई बार फोन करने पर भी किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया। हालांकि, मंगलवार को जांच के लिए SI राजेश्वर प्रताप को असाइन किया गया। उनसे बात हुई तो पता चला कि वे 31 दिसंबर तक छुट्टी पर हैं। यानी तब तक होटलों में सेक्स वर्क कराए जाने की जांच शुरू नहीं होगी और न्यू ईयर पर ही ये काम सबसे ज्यादा चलता है।

पुलिस पर उठते हैं गंभीर सवाल…
इस सेक्स नेटवर्क के ऐसे खुलेआम चलने और जानकारी मिलने के बाद कार्रवाई न करने पर पुलिस पर ही सवाल उठते हैं।

  • रिपोर्टर के इनपुट देने के बाद भी 24 घंटे तक पुलिस ने कुछ नहीं किया।
  • लिखित शिकायत देने के बाद भी FIR तक दर्ज नहीं की गई।
  • होटल से DVR जब्त नहीं किया। इससे ब्रोकर और होटल मैनेजमेंट को सबूत मिटाने का मौका मिला।
  • रशियन सेक्स नेटवर्क की पुख्ता जानकारी दिए जाने के बावजूद आसपास के संदिग्ध होटलों में तलाशी नहीं ली।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *