नशे के बड़े सौदागरों तक पहुंचने में नाकाम ग्वालियर पुलिस
नशे के बड़े सौदागरों तक पहुंचने में नाकाम ग्वालियर पुलिस
नशे के बड़े सौदागरों तक पहुंचने में ग्वालियर पुलिस नाकाम साबित हो रही है। छोटे-छोटे एजेंटों को दबोचकर पुलिस वाहवाही जरूर लूट रही है, लेकिन हकीकत यह है कि नशे के काले कारोबार के पीछे बड़े सौदागर ही हैं।
ग्वालियर,। नशे के बड़े सौदागरों तक पहुंचने में ग्वालियर पुलिस नाकाम साबित हो रही है। छोटे-छोटे एजेंटों को दबोचकर पुलिस वाहवाही जरूर लूट रही है, लेकिन हकीकत यह है कि नशे के काले कारोबार के पीछे बड़े सौदागर ही हैं। जो छोटे एजेंटों के जरिये बाहर से नशे का सामान मंगवाते हैं, इसके बाद शहर की गली-गली तक पहुंचाने के लिए दूसरे एजेंटों का सहारा लेते हैं। इस नेटवर्क को तोड़ने में पुलिस नाकाम है, यही वजह है कि शहर में नशे का काला कारोबार थम नहीं पा रहा है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गांधी जयंती पर प्रदेश को नशामुक्त बनाने का संकल्प लिया था। सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को टारगेट दिया था कि हुक्का लाउंज से लेकर अवैध शराब और सूखा नशे का सामान बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। ग्वालियर में हुक्का लाउंज पर भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। कुछ जगह हुक्का लाउंज पकड़े गए, इसमें कुछ तो ऐसे भी थे, जिनमें कई बार हुक्का पीते हुए लोगों को पकड़ा गया। लेकिन सिर्फ दिखावे की कार्रवाई होती है, इसलिए हर बार हुक्का लाउंज शुरू हो जाते हैं। अवैध शराब के साथ ऐसे लोगों को पकड़ा, जो पहले से आपराधिक प्रकरणों में नामजद हैं। इन पर आबकारी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज की गई। स्मैक और गांजे के साथ भी जिन लोगों को पकड़ा गया है, वह ऐसे लोग हैं जो छोटे एजेंट हैं। छोटे एजेंटों पर ही कार्रवाई हुई है। जबकि एक भी बड़ा सप्लायर पुलिस नहीं पकड़ पाई। उत्तरप्रदेश, राजस्थान के तस्करों से स्मैक और गांजा लेकर ग्वालियर आने वालों को पकड़ा गया। जबकि ग्वालियर में ही ऐसे कई बड़े नशे के सौदागर हैं, जो सालों से नशे का कारोबार कर रहे हैं। कई बार पकड़े गए, लेकिन से छूटते ही फिर यही काम शुरू कर देते हैं। मुख्यमंत्री ने तो इनके घरों तक पर बुलडोजर चलाने के आदेश दिए थे।