एमपी के नए डीजीपी के लिए तीन नाम फाइनल
एमपी के नए डीजीपी के लिए तीन नाम फाइनल:अजय शर्मा या कैलाश मकवाना को मिल सकती है जिम्मेदारी, पैनल में अरविंद कुमार भी
संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने मध्यप्रदेश के नए डीजीपी के लिए तीन आईपीएस अफसरों के पैनल पर अपनी मुहर लगा दी है। इसमें डीजी होमगार्ड अरविंद कुमार, मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन और स्पेशल डीजी कैलाश मकवाना और वर्तमान में ईओडब्ल्यू के डीजी अजय शर्मा का नाम शामिल है।
डीजी ईओडब्ल्यू अजय शर्मा और पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन कैलाश मकवाना में से किसी एक की डीजीपी बनने की संभावना है। हालांकि, आखिरी फैसला मुख्यमंत्री ही करेंगे।
राज्य सरकार ने नए डीजीपी के लिए 9 वरिष्ठ अधिकारियों के नामों का पैनल यूपीएससी को भेजा था। दिल्ली में 21 नवंबर को देर शाम यूपीएससी की बैठक हुई, जिसमें 9 में से 3 नाम फाइनल किए गए। इस मीटिंग में यूपीएससी के प्रतिनिधि दिनेश दास, एमपी के मुख्य सचिव अनुराग जैन, वर्तमान डीजीपी सुधीर सक्सेना और गृह मंत्रालय के दो जॉइंट सेक्रेटरी शामिल हुए ।
बता दें कि मौजूदा डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। 1 दिसंबर को मप्र के नए डीजीपी चार्ज लेंगे। अजय शर्मा और कैलाश मकवाना के नए डीजीपी बनने की सबसे ज्यादा संभावना क्यों हैं?
9 अफसरों के नाम भेजे गए थे, तीन का चयन हुआ
किसी भी राज्य में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है। इसके मुताबिक डीजीपी का पद खाली होने वाले दिन से जिस भी दावेदार की सर्विस कम से कम छह माह बची हो, उसका नाम ही यूपीएससी को भेजा जा सकता है।
इस क्राइटेरिया की वजह से 1987 बैच के आईपीएस शैलेष सिंह, 1988 बैच के आईपीएस सुधीर शाही और 1990 बैच के आईपीएस विजय कटारिया के नाम पैनल में शामिल नहीं किए गए। ये तीनों अफसर जनवरी-फरवरी 2025 में रिटायर होने वाले हैं। इस नियम के चलते पिछली बार की तुलना में तीन चौथाई नाम घट गए। इस बार सिर्फ 9 स्पेशल डीजी के नाम ही दिल्ली भेजे गए थे।
24- 30 नवंबर तक सीएम विदेश यात्रा पर
नए डीजीपी की नियुक्ति के आदेश 24 नवंबर से पहले या फिर 30 नवंबर को जारी हो सकते हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 24 से 30 नवंबर तक यूके और जर्मनी के दौरे पर रहेंगे। मुख्यमंत्री का यह विदेश दौरा मध्यप्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के मकसद से है।
छह दिनों की यात्रा में मुख्यमंत्री यूके के लंदन, बर्मिंघम और जर्मनी के म्यूनिख और स्टटगार्ट का दौरा करेंगे। यहां वे औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों और उद्योगपतियों से चर्चा करेंगे। सूत्रों का कहना है कि संभावना इस बात की मुख्यमंत्री विदेश दौरे पर जाने से पहले नाम फाइनल करेंगे या विदेश दौरे से लौटने के बाद। 1 दिसंबर को नया डीजीपी चार्ज लेगा उससे पहले ये सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
अब जानिए शर्मा और मकवाना के डीजी बनने की संभावना क्यों
तीन नामों के पैनल में डीजी ईओडब्ल्यू अजय शर्मा और कैलाश मकवाना के पुलिस मुखिया बनने की सबसे ज्यादा संभावना है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अजय शर्मा के पास काम करने का लंबा अनुभव रहा है। वे ईओडब्ल्यू डीजी से पहले लोकायुक्त और प्रशासन जैसे अहम पद संभाल चुके हैं।
कानून व्यवस्था के नजरिए से देखें तो उन्हें मैदानी अनुभव भी ज्यादा है। सबसे अहम बात ये है कि सरकार के साथ उनका तालमेल बेहतर हो सकता है। दरअसल, प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन भी 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और अजय शर्मा भी 1989 बैच के हैं।
मकवाना की गिनती तेज तर्रार अफसरों में
कैलाश मकवाना इस समय मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन है। शिवराज सरकार के कार्यकाल में मकवाना लोकायुक्त के डीजी थे। हालांकि वे छह महीने ही इस पद पर रहे। दरअसल, मकवाना ने लोकायुक्त में डीजी बनते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी ला दी थी। उन्होंने ठंडे बस्ते में पड़ीं कई लंबित जांचों की फाइल खोली और जांच शुरू की।
उन्होंने अपने एसीआर( गोपनीय चरित्रावली) सुधरवाने के लिए मप्र शासन से 9 महीने पहले अपील की थी। उन्होंने रिप्रेजेंटेशन भेजते हुए सरकार से कहा था कि लोकायुक्त संगठन में डीजी रहने के 6 महीने के दौरान उनकी एसीआर खराब कर दी गई।
दुर्भावनापूर्वक खराब की गई एसीआर पर शासन को उचित निर्णय लेना चाहिए। डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने के कुछ महीने पहले ही वरिष्ठ सचिवों की कमेटी ने इसे दुरुस्त कर दिया था।
डीजीपी की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका पर राज्य में डीजीपी और अन्य अधिकारियों के चयन को लेकर एक गाइडलाइन दी थी। जिसके मुताबिक राज्य सरकार तीन सबसे सीनियर अधिकारियों में से ही किसी को डीजीपी बनाया जाएगा।
इन तीन अधिकारियों का पैनल लोक संघ सेवा आयोग (यूपीएससी) के नेतृत्व वाली एक कमेटी तैयार करेगी। कमेटी इन अधिकारियों की सेवा अवधि, सर्विस रिकार्ड और अनुभव के आधार पर डीजीपी के पद पर प्रमोशन देने तीन नामों के पैनल की सिफारिश करेगी।
गाइडलाइन के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति न्यूनतम कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए। लेकिन 2019 में तत्कालीन चीफ जस्टिस रजंन गोगोई ने 2006 के फैसले में संशोधन करते हुए डीजीपी पद पर नियुक्ति पाने वाले अधिकारी के शेष कार्यकाल की अवधि 2 साल से घटाकर 6 महीने कर दी थी।जस्टिस गोगोई ने यह भी कहा था कि कोई भी राज्य सरकार कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त नहीं करेगी।