देश की 20% लड़कियां सिंगल-अनमैरिड …!
देश की 20% लड़कियां सिंगल-अनमैरिड:महिला आयोग में शिकायत करने वालीं 70% महिलाएं शादीशुदा, यूपी में सबसे ज्यादा परेशान पर तलाक में पीछे
बैचलर्स, सिंगलहुड, सोलोगैमी, सिंगल वुमन ऐसे शब्द अब ट्रेंड बनते जा रहे हैं। इन सबके साथ ट्रेंड में बढ़ रहा युवाओं का सिंगल रहना। युवाओं का शादी से मोहभंग हो रहा है। अब शादी का बंधन यंग जेनरेशन को ‘बंधन’ क्यों लगने लगा है। लड़कियों में भी सिंगल रहने का चलन तेजी से बढ़ा है। युवाओं के सिंगल रहने की सोच मां-बाप का सिरदर्द बन रही है। जापान जैसे देश में सरकार के लिए यह चिंता का विषय बन चुकी है।
युवाओं का शादी से मन उचटना समाज में बहस का विषय है। इस ट्रेंड को लेकर युवाओं की ‘सिंगल शेमिंग’ भी खूब होती है। तो पहले समझना जरूरी है कि यह टर्म किस सोच की उपज है।
युवाओं के सेटल न होने पर होती ‘सिंगल शेमिंग’
‘बॉडी शेमिंग’ टर्म आपके कानों से कभी न कभी जरूर टकराया होगा। इसमें किसी भी इंसान को उसकी बॉडी शेप और साइज की वजह से नीचा दिखाया जाता है। सोसायटी में ये महिलाओं के साथ ज्यादा होता है।
अब इस ताने में एक नया शब्द जुड़ गया है ‘सिंगल शेमिंग’। किसी भी शादी या फैमिली फंक्शन में परिवार की महिलाएं और रिश्तेदार सिंगल लड़की या लड़के को देखते ही शादी न करने की वजह पूछने लगती हैं। ‘अरे तुमने अब तक शादी नहीं की? देखो उसको बेबी भी हो गया। शादी कर लो वरना बाद में अच्छा लड़का मिलना मुश्किल होगा। कुल मिलाकर आपको शादी न करने और सिंगल रहने पर दी जाने वाली नसीहत ‘सिंगल शेमिंग’ होती है।
आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 7.14 करोड़ सिंगल वुमन हैं। इस नंबर में अनमैरिड, विधवा, तलाकशुदा सभी शामिल हैं। साल 2001 में ये संख्या 5.12 करोड़ थी। 2001 से 2011 में यह अनुपात 40 फीसदी बढ़ा है।
लड़कियां अब सोचती हैं कि ‘शादी के बाद उन्हें क्या मिल रहा है’
‘स्टेटस सिंगल’ कम्युनिटी की फाउंडर श्रीमई पियू कुंडू ने देश के शहरी महिलाओं की शादी को लेकर बदलती सोच पर स्टेटस सिंगल नाम से ही किताब भी लिखी है, जिसमें वह कहती हैं कि महिलाएं अब बाई च्वाइस और हालात दोनों वजह से सिंगल रहना पसंद कर रही हैं। लड़कियों की सहनशक्ति पहले से कम हो गई है, क्योंकि वह पीढ़ियों से चली आ रहीं परेशानियां, जो उन्होंने अपने आसपास की महिलाओं को झेलते देखा, उसे वे समझने लगी हैं और उस स्थिति से गुजरना नहीं चाहतीं। स्टेटस सिंगल कम्युनिटी से विधवा, तलाकशुदा, अविवाहित शहरी लड़कियां और महिलाएं जुड़ी हैं। वह कहती हैं कि ये तबका शादी नहीं करना चाहता या दोबारा शादी के बंधन में बंधना नहीं चाहता। इसकी सामान्य सी वजह शादी के बाद उनके ऊपर आने वाली जिम्मेदारियां, गैरबराबरी सहन कर सकतीं। महिलाओं को यह भी लगता है कि बिग फैट इंडियन वेडिंग का खुमार एक महीने तक अच्छा रहता है, उसके बाद लाइफ सबकुछ रूटीन और जिम्मेदारियों से भर जाती है। आम लोगों को लगता है कि मैरिड कपल के बीच बहुत सारा रोमांस होता है। लेकिन शादी के बाद सेक्स महज एक ड्यूटी बनकर रह जाता है। फिर बच्चा पैदा कर उसे पालन की ड्यूटी भी स्त्री के हिस्से आती है।
महिलाएं अब ये देख रही हैं कि उन्हें शादी में क्या मिल रहा है? सोशल सिक्योरिटी से ज्यादा वह इमोशनल सिक्योरिटी और फिजिकल सैटिस्फैक्शन को प्रीफरेंस दे रही हैं। अपने पैरों पर खड़े होने के वजह से वो रिश्ते अपने पंसद की चुनती हैं और अपने पसंद से बनाती हैं। इसे लेकर अब उन्हें कोई झिझक नहीं होती है। सिंगल स्टेटस की महिलाएं हर विषय पर अपनी राय खुद बनाती हैं और उस पर कायम भी रहती हैं। जो उनकी पर्सनैलिटी को मजबूत बनाता है। यही वजह है कि शादी जैसी व्यवस्था को रिजेक्ट कर रही हैं। लड़कियां रीथिंक और रिजेक्ट के मोड में हैं।
लड़कियां सिंगलहुड की तरफ क्यों बढ़ रहीं?
पिछले साल जुलाई में मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MoSP) की एक रिपोर्ट आई। रिपोर्ट में बताया गया कि देश में अवविवाहित युवाओं की संख्या बढ़ी है। 2011 में जहां अविवाहित युवाओं की संख्या 17.2 फीसदी थीं, वो 2019 में बढ़कर 23 फीसदी पहुंच गई। वहीं वो पुरुष जो हमेशा शादी से दूर रहना चाहते हैं, उनका प्रतिशत 2011 में 20.8% था, वो अब 26.1 फीसदी हो गया है। महिलाओं में भी ये प्रतिशत तेजी से बढ़ा है। कभी शादी न करने की सोच रखने वाली महिलाएं 2011 में 13.5 फीसदी थी, जो 2019 तक आते-आते 19.9 फीसदी हो गई।
दो दशक में भारत में तलाक लेकर सिंगल रहना पसंद कर रहीं महिलाएं
पिछले साल केरल हाईकोर्ट ने तलाक की एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि यूज एंड थ्रो कल्चर ने शादी और रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है। कोर्ट ने ये भी कहा, आजकल के युवा जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। पहले जहां वाइफ (WIFE) का मतलब Wise Investment For Ever होता था। वहीं आज की युवा पीढ़ी शादी को Worry Invited For Ever की तरह देख रही है।
ऐसा ही हाल पड़ोसी देश पाकिस्तान का भी है। वहां अब पुरुषों की तुलना में महिलाएं तलाक के लिए आगे आ रही हैं। साल 2019 के गैलप और गिलानी की एक सर्वे में वहां के लोगों ने माना कि एक दशक में तलाक के मामले 58% तक बढ़े हैं। बढ़ते मामलों के कारण नौबत यहां तक पहुंच गई कि वहां फैमिली कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
अमेरिकन सोशियोलॉजी एसोसिएशन (ASA) की रिसर्च के अलावा कई स्टडीज का ये दावा है कि अमेरिका में 70 फीसदी तलाक के मामलों में महिलाएं पहल करती हैं।
अब महिलाओं की प्राथमिकता एजुकेशन, करियर और अपनी शर्तों पर जीना
श्रीमई कहती हैं, तस्वीर कब और कैसे बदलनी शुरु हुई, इसे समझना जरूरी है। पुराने जमाने में लड़कियां शादी से पहले पिता और शादी के बाद पति पर निर्भर होती थीं। पढ़ी-लिखीं लड़कियां अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हुईं। अब वह पढ़ाई-लिखाई, करियर और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने में यकीन रखती हैं। हमारे देश में शादी के बाद जिस तरह लड़कियों की जिंदगी 360 डिग्री चेंज होती है, अब वह उस दबाव और दर्दनाक शादी में नहीं फंसना चाहती हैं।
हमारे पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की स्थिति कैसी है, वो आप नेशनल कमीशन फॉर वुमन की एक रिपोर्ट से समझिए। NCW के पोर्टल पर बीते साल में जो दर्ज हुई शिकायतों में 31 फीसदी महिलाओं ने गरिमा के साथ जीने के अधिकार के तहत कंप्लेन दर्ज कराया था।
महिलाएँ घड़ी की सुई की तरह 24 घंटे नहीं घूमना चाहतीं
डेटिंग ऐप बम्बल ने सिंगल वुमन के बीच एक सर्वे कराया था, जिसमें 81% महिलाओं ने सिंगल और अकेले रहने को प्राथमिकता बताया। बम्बल के इस सर्वे में 39% ने माना कि अंडर प्रेशर फ़ील करने कि वजह से वो शादी करना चाहती हैं। सिंगल होना उन्हें कई चिंताओं से मुक्त करता है। आप इस प्रेशर में नहीं होती कि जल्दी उठाना पड़ेगा, देर से घर जाने पर सोचना पड़ेगा या खाने में क्या बनेगा? महिलाएँ अब घड़ी की सुई की तरह चौबीस घंटे घूमना नहीं चाहती हैं। पैंडेमिक के दौरान ऐसा ही हुआ था। महिलाएँ जितना काम करती थीं, उन्हें उसका डबल करना पड़ रहा था। जबकि पुरुषों पर वो प्रेशर नहीं था।
शादी को लेकर हिंदुस्तान में क्या बदला है?
पिछले कुछ सालों में युवाओं का शादी से मोहभंग हुआ है। अब उनकी लाइफ की प्लानिंग की लिस्ट में शादी दूर-दूर तक नजर नहीं आती। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के समाजशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर दीपेन्द्र मोहन सिंह कहते हैं, युवाओं का शादी से मोहभंग होने के पीछे सबसे बड़ा कारण सही जीवनसाथी न मिल पाने का डर है। साथ ही आर्थिक असुरक्षा भी। युवा शादी में बंधने के बजाए डेटिंग और लिव इन रिलेशनशिप को पसंद कर रहे हैं।
हाल ही में देश में सोलोगैमी के मामले सामने आए। आज के समय में शादीशुदा रिश्ते में जिम्मेदारियों के बजाय अधिकारों पर ज्यादा जोर है। जब जिम्मेदारी की बात आती है तो अब दोनों कतराते हैं और दोनों ही अपने हक को लेकर ज्यादा मुखर हुए हैं। आज के माहौल में पश्चिमी सभ्यता का असर बढ़ा है। युवा अपनी जेब को देखते हुए अपनी जरूरतों को पहले पूरा करना चाहता है। इसलिए वह शादी का बोझ उठाने से बचता है। वह अपनी इमोशनल और फिजिकल जरूरतें शादी किए बगैर ही पूरी कर लेता है।
बुरी शादी में रहने की क्या वजह है?
मिजोरम में धर्म परिवर्तन, जॉब की वजह से ट्रैवलिंग, पश्चिम बंगाल में घरेलू हिंसा, परित्याग, गुजरात में बेवफाई और दहेज तलाक की मुख्य वजहें हैं। वहीं उत्तर भारत वाले राज्यों में तलाक के मामले कम देखने को मिलते हैं। यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा में शादी चाहे जैसी हो शादी को घसीटी जाती हैं और तलाक लेने से बचते हैं। खासकर महिलाएं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पितृसत्तात्मक समाज का होना है। महिलाओं का अपने पैरों पर खड़ा न होना और कहीं से कोई सपोर्ट न मिलना भी उन्हें बुरी शादी में रहने पर मजबूर करता है। एनसीडब्ल्यू की 2022 की रिपोर्ट यही कहती हैं कि उनके पोर्टल पर महिलाओं से मिलने वाली शिकायतों में आधे से ज्यादा यानी 55% यूपी से, 10% दिल्ली और 5% शिकायतें महाराष्ट्र से थे। यूपी में महिलाओं ने भले ही सबसे ज्यादा शिकायतें की हों, मगर तलाक की दर उनमें काफी कम है।
शादी न करने की वजह कमिटमेंट-एडजस्टमेंट में आई कमी
पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे तलाक के मामले सुर्खियों में आए जहां बीवी खाने में सिर्फ मैगी बनाती थी, कहीं पति की ज्यादा सेक्स की चाहत तो किसी को शिकायत थी कि पति नहीं नहाता। ये ऐसी वजहें हैं, जिन्हें आपसी समझ से सुलझाया जा सकता था। लेकिन बात कोर्ट तक आई। इस तरह के मामलों पर जामिया मिलिया इस्लामिया के सोशियोलॉजी प्रोफेसर इम्तियाज अहमद कहते हैं कि गलत शादी में किसी को नहीं रहना चाहिए। लेकिन शादियां किन वजहों से चलती हैं और आज उनके टूटने की वजह क्या है, ये जानना बहुत जरूरी है। शादी न करने की वजह है-कमिटमेंट और एडजस्टमेंट की कमी और इकोनॉमिक इंडिपेंडेंस।
अगर पति-पत्नी दोनों के मन में ये बात हो कि हम अकेले जिंदगी गुजार सकते हैं और खासकर के पैसे के मामले में आत्मनिर्भर हैं तो उनके लिए शादी जरूरी नहीं रह जाती। और यही सोच शादी न करने की वजह भी बन रही है।
खराब शादी के चलते हो रहे सुसाइड से भी डर रहे युवा
रिलेशनशिप कोच और सिद्धार्थ एस कुमार कहते हैं कि शादी बड़ा फैसला होता है। खराब शादी में कोई नहीं रहना चाहता, क्योंकि लोग अपने आसपास खराब शादी के चलते सुसाइड के मामले देख रहे हैं। जो उन्हें यह सोचने को मजबूर करता है कि शादी करनी भी चाहिए या नहीं। करियर यह उन्हें कॉन्फिडेंस देता है कि वह अकेली रह सकती हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016-2020 तक भारत में एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड केस में खराब शादी की वजह से 37 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की।
प्रोफेसर अहमद कहते हैं कि पहले की तुलना में तलाक के मामले बढ़े हैं और आगे और भी बढ़ेंगे। भारत में सिंगल वुमन की आबादी 7.5 करोड़ है। यह भी बढ़ेगी। इसके बावजूद बिग फैट इंडियन वेडिंग भी बरकरार रहेगी।
लेकिन, महिलाओं का व्यक्तिवाद, आर्थिक आजादी, आपसी सहनशीलता की कमी, महिला-पुरुष दोनों में ईगो, पुरानी मान्यताओं और मूल्यों का आज की परिस्थितियों में टिक नहीं पाना युवाओं का शादी से मोहभंग कर रहा है। लेकिन, ये सोच गलत है। यही वजह है कि 90 फीसदी युवा अभी भी शादी में यकीन रखते हैं।