ग्वालियर। तेज रफ्तार स्कूल बसें नौनिहालों की जिंदगी खतरे में डाल रही हैं। कैंसर पहाड़ी जैसे खतरनाक रास्तों पर भी स्कूल बसें फर्राटा भरती हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाले सो रहे हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि तेज रफ्तार में दौड़ने वाले वाहनों पर कार्रवाई के लिए इंटरसेप्टर व्हीकल से एक भी स्कूल बस का चालान नहीं बनाया गया। खास बात तो यह है कि इंटरसेप्टर व्हीकल का उद्देश्य ही था, तेज रफ्तार वाहनों पर कार्रवाई कर हादसों में कमी लाना, लेकिन ग्वालियर में इंटरसेप्टर व्हीकल का उपयोग ऐसे मार्गों पर होता ही नहीं है, जहां से स्कूल वाहन गुजरते हैं, जबकि अधिकांश स्कूल हाइवे और हाइवे के आसपास हैं, यहां स्कूल वाहनों की रफ्तार पर निगरानी की सबसे ज्यादा जरूरत है। नईदुनिया ने पड़ताल की तो सामने आया पिछले छह माह में एक भी स्कूल वाहन पर इंटरसेप्टर व्हीकल से कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे प्वाइंट जहां तेज रफ्तार में रहेंगे वाहन, वहां हो रही कार्रवाई: इंटरसेप्टर व्हीकल सबसे ज्यादा जौरासी रोड पर रहता है। यह नेशनल हाइवे है, जहां तेज रफ्तार में वाहन गुजरते हैं। हर वाहन यहां तेज रफ्तार में रहता है, हाइवे के कारण तेज रफ्तार होना स्वाभाविक है। फिर भी यहां इंटरसेप्टर से कार्रवाई की जाती है।

– शिवपुरी लिंक रोड, झांसी हाइवे, भिंड रोड पर सबसे ज्यादा स्कूल हैं। यहां इंटरसेप्टर व्हीकल से कार्रवाई सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यहां से हर रोज 300 से अधिक स्कूल बसें गुजरती हैं, जिसमें सैकड़ों स्कूल के बच्चे सवार रहते हैं। अगर यहां इंटरसेप्टर का उपयोग कर स्कूल वाहनों की मानीटरिंग की जाए तो इनमें कार्रवाई का डर होगा और निर्धारित गति से अधिक गति में स्कूल वाहन नहीं दौड़ेंगे।

– इसी तरह कैंसर पहाड़ी जैसे खतरनाक रास्तों पर इससे मानीटरिंग जरूरी है। यहां गति सीमा 20 किमी प्रति घंटा निर्धारित है, लेकिन वाहन 60 से इंटरसेप्टर व्हीकल से स्कूल वाहनों पर एक भी चालान नहीं किया गया है। हालांकि तेज रफ्तार वाहनों पर कार्रवाई के लिए इंटरसेप्टर व्हीकल अलग-अलग प्वाइंट पर तैनात रहता है।

अमले को निर्देश दिए हैं कि अब शिवपुरी लिंक रोड और स्कूल वाहनों की आवाजाही जिन रास्तों पर रहती है, वहां मानीटरिंग करें। निर्धारित गति से अधिक गति पर चलने वाले स्कूल वाहनों पर कार्रवाई की जाए।

नरेश अन्नोटिया, डीएसपी ट्रैफिक