भिंड – अनकंट्रोल हुए क्रेशर संचालक, खदानों में जहां चाहे वहां करते ब्लास्टिंग …!

भिंड की डांग पंचायत का दर्द ….रास्ता भी खोदा …

भिंड के गोहद अनुविभाग की डांग पंचायत में खदान माफिया बेहताशा खुदाई कर पत्थर निकाल रहे है। माइनिंग डिपोर्टमेंट समेत प्रशासनिक अफसरों की ओर से खनिज नियमों का पालन नहीं कराया जा सका।

भिंड जिले की खदानों में क्रेशर संचालक अवैध खनन का खंजर ऐसा चल रहा है कि उसका दर्द आस पास के गांव वासियों को सहना करना पड़ रहा है। दैनिक भास्कर ने इन गांव वासियों से मुलाकात की। उनके दर्द काे जाना। गांव वासियों के दर्द को परत दर परत दिखा रहे है और माफियाओं की काली करतूत को उजागर कर रहे है। खनन सीरिज से पत्थर माफियाओं में अब हड़कंप मचा है। वहीं जब खदान माफियाओं के काले सच से प्रशासनिक अफसरों को अबगत कराया तो उनकी भी बोलती बंद होती दिख रही है। खनिज विभाग के अफसर सवालों के सामने टिक नहीं पा रहे है और बगलें झांकते हुए जल्द कार्रवाई का कोरा आश्वासन दे रहे हैं।

 टूटते आशियाने और 150 फीट तक की गहराई में नहाते मासूमों की जानकारी दी थी। अब खनन माफियाओं की ऐसी करतूत बताने जा रहे है जिससे सुनकर हर कोई चौक जाएंगे। दरअसल, डांग पंचायत यहां पांच से छह क्रेशर मालिक ऐसे है जोकि खदान सीमा से बाहर आकर सीधे तौर पर सरकारी जमीन पर उत्खनन करने में जुटे है। ऐसे खदान माफियाओं ने चार से पांच हेक्टेयर की लीज परमीशन ली थी। उन खनन माफियाओं ने दस से बारह हेक्टेयर तक की जमीन खोद डाली है। डेढ़ सौ से पौने दो सौ फीट तक ये खदान से पत्थर निकाल रहे है। दबंग और ऊपर तक पहुंच रखने वाले पत्थर माफियाओं के सामने ज्यादा समय तक कोई टिक नहीं पाता है। खदानों में होने वाले विस्फोट से दिलीप सिंह का पुरा गांव में लोगों के आशियाने टूट रहे हैं। वहीं ग्राम पंचायत भी चुप्पी साधकर बैठी है। यहां के सरपंच से लेकर सचिव की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इधर राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर वरिष्ठ अफसरों ने इन खदान माफियाओं की करतूत को देखकर भी अनदेखा किए हुए है। यहीं कारण है कि पत्थर का अनकंट्रोल खनन हो रहा है। माफिया जब चाहे माइनिंग लगाकर ब्लास्टिंग कर दहला देते हैं।

सरकारी रास्ते में डेढ़ सौ फीट खुदाई

डांग पंचायत का एक सच यह भी है कि इन खदान की बेहताश खुदाई में एक रास्ता गायब हो चुका है। डांग पंचायत में पिछले सालों में हाईवे से सीधे डांग सरकार गांव के लिए रास्ता स्वीकृत हुआ था। तात्कालीन कलेक्टर छोटे सिंह द्वारा करीब डेढ़ से दो किलोमीटर लंबा एक रास्ता स्वीकृत किया था। इस रास्ते को गिट्टी और मुरम डालकर तैयार कराया गया था। वर्तमान में ये रास्ता अब गायब हो चुका है। क्रेशर संचालकों ने इस सरकारी रास्ते को नहीं छोड़ा। वे उसे भी 150 फीट तक खोदकर गड्‌ढे में तब्दील कर चुके हैं।

डांग पंचायत के इस रास्ते पर खदान संचालकों ने खोद दिया।
डांग पंचायत के इस रास्ते पर खदान संचालकों ने खोद दिया।

मुर्दा जलाने में भी लगता डर

खनन का खेल ऐसा हावी है कि जहां पंचायत की ओर से श्मशान घाट बनाया गया था। टीनशेड लगाकर पक्का चबूतरा बनाया गया था। अब ये श्मशान भी सूना है। यहां पिछले कई सालों से लोगों ने किसी भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया। दिलीप सिंह का पुरा और बंजारे का पुरा का ये मरघट से सटी हुई एक खदान है। वहीं पत्थर माफिया बिना अलर्ट किए माइनिंग बिछाकर ब्लास्टिंग कर देते है जिसके पत्थर इस मरघट के आस पास भी आसानी से देखे जा सकते हैं।

गांव के हरविलास सिंह का कहना है कि पिछले कुछ सालों पहले शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तभी खदान में ब्लास्टिंग की गई थी तब से लोग डर गए। वे गांव से दूर खेतों की मेड़ पर अंतिम संस्कार करते हैं।

कोई सुने वाला नहीं

डांग सरकार गांव के रहने वाले लाखन सिंह ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि कोई सुनने वाला नहीं है। ये खदान माफिया सीधे तौर पर अफसरों से मिले हुए है। इन गांव वाले कई बार शिकायत लेकर गए। दो से तीन दिन तक सरकारी दफ्तरों के बाहर खड़े रहे। गांव वालों की शिकायत अफसरों के पास पहुंचने से पहले क्रेशर संचालक व उनके सफेद पोश नेताओं की सिफारिशें अफसरों तक पहुंच जाती है। ये क्रेशर संचालक इन गांव को उजाड़ रहे है। उन्होंने सरकारी रास्ता भी नहीं छोड़ा।

वर्ष 2019 में तात्कालीन कलेक्टर छोटे सिंह द्वारा डांप पंचायत ग्राम के इस रास्ते को लेकन दिया था आदेश। इसके बाद भी रास्ते को खदान मालिकों ने दिया।
वर्ष 2019 में तात्कालीन कलेक्टर छोटे सिंह द्वारा डांप पंचायत ग्राम के इस रास्ते को लेकन दिया था आदेश। इसके बाद भी रास्ते को खदान मालिकों ने दिया।

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