ग्वालियर . जीवाजी विश्वविद्यायल की महासभा की बैठक में उस वक्त कार्य परिषद सदस्य व कुलपति प्रो अविनाश तिवारी के बीच तकरार बढ़ गई, जब पुरानी बैठकों के मिनट्स को पुष्टी करने की बात कही। कार्य परिषद सदस्यों ने पूछ लिया कि 23 मार्च 2022 में हुई महासभा की बैठक में बीएससी नर्सिंग की जांच रिपोर्ट व स्वीमिंग पूल की जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया। सेंटर आफ एक्सीलेंस, सर्विस प्रोवाइडर मामलों क्या हुआ। एक साल बीत गया और आप लोगों ने रिपोर्ट पेश नहीं की। फिर भी पिछले बैठकों की मिनट्स को पुष्टि के लिए ले आए। कुलपति ने यह सुनने के बाद कहा कि आप लोग हमेशा तेज आवाज में बात करते हैं। यह तरीका गलत है। कुलपति बैठक को छोड़कर चले गए। कार्य परिषद सदस्य भी बैठक से निकल गए। कुलपति ने फिर से बैठक बुलाई, लेकिन 2023-24 के बजट को मान्य करते हुए बैठक खत्म कर दी। शेष मुद्दे को अमान्य कर दिया। सदस्यों ने कुलपति से कहा कि आप अध्यक्ष हैं, तो जानकारी भी आपको ही देना है। कोई जानकारी किसी दूसरे से नहीं मांगी जा सकती है।

जीवाजी विश्वविद्यालय के टंडन भनव में मंगलवार को कुलपति की अध्यक्षता में महासभा की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में विधायकों को उपस्थित होना था, लेकिन विधायकों की ओर से आपत्ति करते हुए कहा था कि विधानसभा चल रही है। इस कारण उपस्थित नहीं हो सकते हैं। बैठक को आगे बढ़ाया जाए, लेकिन बैठक को आगे नहीं बढाया। इसको लेकर कार्य परिषद सदस्यों ने आपत्ति की। बैठक में छह बिंदु रखे गए। बिंदु क्रमांक दो पर 23 मार्च 2023 की बैठक के मिनट्स की पुष्टी का प्रस्ताव रखा, जिसको लेकर विवाद हो गया। बैठक में कार्य परिषद सदस्य शिवेंद्र सिंह राठौर, रवि भदौरिया, प्रदीप शर्मा सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।

यह रिपोर्ट पेश करनी थी बैठक में

– 23 मार्च 2022 की बैठक में बीएससी नर्सिंग द्वितीय वर्ष के फर्जीवाड़े का मुद्दा विधायकों ने उठाया था। विधायकों का कहना था कि नर्सिंग की दो जांच कराई गई थी और उन जांचों का ब्यौरा बैठक में पेश किया जाए। तीन महीने का समय लिया था, लेकिन एक साल बाद भी नर्सिंग फर्जीवाड़े में कुछ नहीं हो सका। जांच के लिए नई कमेटी बनाई है। रमेश चंद्रा इस कमेटी के अध्यक्ष हैं, उन्हें भी रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। इसको लेकर तकरार हो गई।

– स्वीमिंग पूल की जांच के लिए भी कमेटी बनाने का फैसला लिया गया था। महासभा में स्वीमिंग पूल की जांच रिपोर्ट भी पेश करनी थी, लेकिन एक साल बाद भी इसमें कुछ नहीं किया गया। यह कहते हुए पल्ला झाड़ा जा रहा था कि पीआइयू रिकार्ड नहीं दे रही है। इस पर भी आपत्ति करने पर कुलपति से तकरार हुई।

– कार्य परिषद सदस्यों ने जनवरी 2023 तक 8.25 करोड़ सेंटर आफ एक्सीलेंस के खर्च किए जाने थे। अनुमित मिलने के बाद भी इस फंड को खर्च नहीं किया गया। इसका भी ब्यौरा सदस्यों ने मांगा।