इंदौर। कीट व्याधि से फसल के नुकसान पर सरकार चार साल से किसानों के खाते में राहत राशि भेजती रही। सरकार आश्वस्त थी कि पैसा किसानों के खाते में जा रहा है, लेकिन कई आनलाइन ट्रांजेक्शन फेल हो जाते थे। कलेक्टर कार्यालय की लेखा शाखा के बाबू मिलाप चौहान के मन में लालच जागा और वह फेल हो चुके ट्रांजेक्शन के पैसे कुछ दिन बाद पत्नी के नाम से अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेता। इस तरह वर्ष 2018 से लेकर अब तक उसने एक करोड़ से अधिक का शासकीय धन अवैध तरीके से निकाल लिया।

कोष एवं लेखा विभाग के भोपाल मुख्यालय ने इस आनलाइन हेराफेरी को पकड़ा तो इंदौर में अधिकारी सकते में आ गए। हेराफेरी करने वाले बाबू मिलाप को कलेक्टर डा. इलैया राजा टी ने निलंबित कर दिया है। साथ ही चार-पांच साल के बिलों के लेनदेन की जांच की जा रही है। इस जांच में जिला प्रशासन और जिला कोषालय के अधिकारियों को लगाया गया है। मामले की जांच अपर कलेक्टर राजेश राठौर, संयुक्त कलेक्टर मुनीषसिंह सिकरवार, डिप्टी कलेक्टर रोशनी वर्धमान, वरिष्ठ जिला कोष एवं लेखा अधिकारी टीएस बघेल सहित अन्य अधिकारियों की टीम कर रही है।

अब तक की जांच में पता चला है कि जिन फेल ट्रांजेक्शन से अवैध तरीके से पैसा निकाला गया है, उनमें से अधिकांश वह पैसा है, जो फसलों पर कीट-पतंगों के कारण हुए नुकसान के लिए किसानों को राहत के रूप में मिलने वाले थे। सोमवार को मिलाप कार्यालय नहीं पहुंचा। जांच अधिकारियों के बुलाने पर भी वह नहीं आया। उल्लेखनीय है कलेक्टर कार्यालय की लेखा शाखा में शासन से मिलने वाली राहत राशि के अलावा अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन-भत्तों, गाड़ियों के ईंधन और अन्य कामकाज का भी भुगतान होता है। इन बिलों के भुगतान में भी धांधली की आशंका जताई जा रही है। शासकीय प्रक्रिया के अनुसार, यह बिल शासकीय कोषालय में लगाए जाते थे और वहां से आनलाइन भुगतान होता था।

चार साल में सात करोड़ के ट्रांजेक्शन फेल

कलेक्टर कार्यालय की लेखा शाखा में चार साल में करीब सात करोड़ रुपये के लेनदेन के सैकड़ों ट्रांजेक्शन फेल हुए हैं। हितग्राही या खातेदार के नाम, बैंक खाते या किसी डाटा में त्रुटि के कारण यह ट्रांजेक्शन फेल होते रहे हैं। इनमें कई ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद महीनों तक सिस्टम में पड़े रहते हैं। इस तरह बाबू उन्हीं बिलों व खातों को चुनकर घपला करता रहा जिनके ट्रांजेक्शन को फेल हुए अधिक समय हो जाता और इनकी कोई सुध नहीं लेता था।

कोरोना प्रभावितों को मिली अनुग्रह राशि में भी घपले की आशंका

कोरोना से जिन लोगों की मौत हो गई है, शासन ने उनके वारिसों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि भी दी थी। ऐसे प्रकरणों में भी राशि का भुगतान लेखा शाखा के माध्यम से होता रहा है। ऐसे कुछ प्रकरणों में भी घपले की आशंका जाहिर की जा रही है, लेकिन यह फेल हो चुके सभी ट्रांजेक्शन की जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

पिता की मौत के बाद मिली थी अनुकंपा नियुक्ति

मिलाप के पिता छगनसिंह चौहान महू तहसील में पदस्थ थे। वर्ष 2015 में छगनसिंह की मौत के बाद पिता की जगह मिलाप को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई। वह हायर सेकंडरी तक पढ़ा-लिखा है। शुरुआत में मिलाप लेखा शाखा में सहायक की भूमिका निभाता रहा, लेकिन मुख्य बाबू की सेवानिवृत्ति के बाद वह पूरी शाखा का काम देखने लगा। बताया जाता है कि वह अक्सर लक्जरी कार से कार्यालय आता था

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इंदौर कलेक्ट्रेट में एक करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया है। लेखा शाखा के अकाउंटेंट मिलाप चौधरी ने एक करोड़ की राशि अपनी पत्नी और प्राइवेट कंपनी के खाते में ट्रांसफर करा दी। जानकारी होने के बाद आरोपी बाबू को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं, मामले में आगे की जानकारी के लिए कलेक्टर ने आदेश दिए हैं

चार दिन पहले निरीक्षण में हुआ खुलासा

जानकारी के अनुसार को लेखा विभाग के अधिकारी चार दिन पहले शाखा का निरीक्षण करने आए थे। इस दौरान जिला कार्यालय की लेखा शाखा में पदस्थ मिलाप चौहान ने मनीषा बाई और एक्सट्रीम सॉल्यूशन वेंडर के रूप में स्वयं का खाता दिखा दिया। कार्यालय से होने वाले भुगतान इन दोनों खातों में हो गया।

तीन वर्षों से चल रहा था घोटाला

इंदौर कलेक्टर ने बताया कि 3 वर्षों में धीरे-धीरे लेखापाल ने एक करोड रुपए अपनी पत्नी के खाते में डलवा दिया। इस मामले में बाबू को सस्पेंड करने के बाद इंदौर कलेक्टर एफआईआर भी दर्ज करवा सकते हैं। वर्ष 2020 से लेखापाल द्वारा यह गड़बड़ी की जा रही थी, लेकिन इस दौरान किसी ने नहीं पकड़ी। औचक निरीक्षण में पूरे मामले का खुलासा हुआ।