महिलाओं को बार-बार क्यों होता है यूरिन इन्फेक्शन ..!
महिला पीती थी खूब पानी फिर भी नहीं हुई यूरिन ….
महिलाओं को बार-बार क्यों होता है यूरिन इन्फेक्शन; जानिए वजह और बचाव कैसे …..
यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन। यह भी महिलाओं में होने वाली आम प्रॉब्लम है, जो कई वजहों से होती है, जिनमें से एक यूरिन रोकना भी है। इस इन्फेक्शन के बढ़ने से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
इसी तरह का एक और सिंड्रोम है- शाय सिंड्रोम। ऐसे लोगों को अपने घर के अलावा किसी और जगह पर टॉयलेट यूज करने में हिचक महसूस होती है।
शाय सिंड्रोम भी महिलाओं में कॉमन है। ये पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से डरती हैं, खासकर तब जब दूसरे लोग इनके आसपास होते हैं।
आमतौर पर महिलाओं में यूरिन से रिलेटेड प्रॉब्लम पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है। इसी की वजह जानेंगे आज जरूरत की खबर में। इसके साथ फाउलर सिंड्राम, शाय सिंड्रोम और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने की वजह और बचने के उपाय अपने एक्सपर्ट से पूछेंगे।
सवाल: महिलाओं को ही क्यों यूरिन रिलेटेड प्रॉब्लम ज्यादा होती है? जवाब: डॉ. रितू सेठी के मुताबिक महिलाओं के शरीर में यूरेथ्रा यानी मूत्रमार्ग पुरुषों की तुलना में काफी छोटी होती है। यूरेथ्रा वो नली या ट्यूब है, जिसके जरिए यूरिन शरीर से बाहर आता है।
पुरुषों के शरीर में यूरेथ्रा प्रोस्टेट और प्राइवेट पार्ट से होकर गुजरती है। जबकि महिलाओं के शरीर में ब्लैडर से सीधे वजाइना में खुलती है।
ऐसे में कभी भी कोई इन्फेक्टेड वॉशरूम यूज करने पर या अनहाइजीन होने पर महिलाओं को यूटीआई की प्रॉब्लम हो जाती है। इन्फेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया-वायरस बहुत आसानी से ब्लैडर तक पहुंच जाते हैं।
ब्लैडर शरीर का वो अंग है, जहां किडनी यूरिन को फिल्टर करने के बाद जमा कर देती है। ब्लैडर में जमा होकर यूरिन यूरेथ्रा की मदद से शरीर से बाहर आता है।
अब ऐले एडम्स को होने वाले फाउलर सिंड्रोम को डिटेल में समझते हैं…
फाउलर सिंड्रोम में महिला को यूरिन करने की इच्छा होती है। लेकिन यूरिन बाहर पूरी तरह से नहीं निकल पाती। बीच-बीच में थोड़ी बहुत यूरिन निकलती है जिसमें बहुत दर्द और जलन होती है।
सवाल: क्यों होता है फाउलर सिंड्रोम?
जवाब: अभी तक फाउलर सिंड्रोम होने की स्पेसिफिक वजह सामने नहीं आई है लेकिन ऐसा देखा गया है कि जिन महिलाओं को फाउलर सिंड्रोम हुआ, उनमें महिला संबंधी परेशानी थी। जैसे- पीसीओस, प्रेग्नेंसी इश्यूस और पेट की सर्जरी आदि।
फाउलर सिंड्रोम के लक्षण
- यूरिनेशन के दौरान दर्द होना।
- बार-बार यूरिन करने का मन होना।
- पेट के निचले हिस्सों में दर्द या पूरे पेट में दर्द।
- यूरिनरी ब्लैडर भरा-सा महसूस होना, फिर भी यूरिनेट न कर पाना।
- पीरियड रेगुलर नहीं है, पीसीओएस और पीसीओडी की प्रॉब्लम।
- यूरेथ्रा यानी मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन
नोट: एक भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत कंसल्ट करें।
सवाल: डॉक्टर इलाज कैसे करते हैं?
जवाब: फाउलर सिंड्रोम होने पर डॉक्टर यूरिन से रिलेटेड हिस्ट्री मरीज से पूछते हैं और यूरिन टेस्ट करवाते हैं।
बहुत-सी सिचुएशन में कैथीटेराइजेशन की भी जरूरत पड़ सकती है। कैथीटेराइजेशन में कैथेटर के जरिए यूरिनेट कराया जाता है। ये एक तरह की मशीन होती है।
बता दें कि फाउलर सिंड्रोम का सटीक इलाज ढूंढने के लिए रिसर्च चल रही है।
फाउलर सिंड्राेम के बाद बात यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानी UTI की करते हैं। लगभग 40% से 50% महिलाओं को लाइफ में कभी न कभी UTI का इलाज करवाना पड़ता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन उस समय होता है जब यूरिनरी ब्लैडर और इसकी नली बैक्टीरिया से इन्फेक्ट हो जाती है।
सवाल: क्यों होता है यूटीआई?
जवाब: वैसे तो यूटीआई इन्फेक्शन ई-कोलाई बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसके अलावा और भी वजहें हैं जिससे ये बीमारी हो सकती है- जैसे …
- सेक्सुअली इंटरकोर्स ज्यादा बार और कई लोगों के साथ
- अनहाइजेनिक रहने की आदत
- यूरिनरी ब्लैडर ठीक से खाली न करना
- दस्त आना
- यूरिन करने में रूकावट
- पथरी होने के कारण
- कॉन्ट्रासेप्टिव पिल का ज्यादा यूज
- एंटीबायोटिक का ज्यादा यूज
- इम्यूम सिस्टम कमजोर
- देर तक यूरिन रोके रखना
- गर्भावस्था और मेनोपॉज
- डायबिटीज
सवाल: यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचने के क्या उपाय है?
जवाब: लाइफस्टाइल और डाइट में कुछ बदलाव लाने पर इस बीमारी से कुछ हद तक बचा जा सकता है।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और यूरिनेट करने की आदत डालनी चाहिए।
- शराब और कैफीन यानी चाय-कॉफी पीने से बचें। ये यूरिनरी ब्लैडर में इन्फेक्शन पैदा कर सकते हैं।
- सेक्सुअल इंटरकोर्स के तुरंत बाद यूरिनेट करें।
- जेनिटल यानी जननांगों को साफ रखें।
- नहाने के लिए बाथ टब का यूज करने से बचें।
- पीरियड्स के दौरान, टेम्पॉन की जगह सेनेटरी पैड का यूज करें।
- जेनिटल में किसी भी प्रकार की खुशबूदार चीजों का यूज करने से बचें।
- कॉटन के अंडरवियर पहनें।
- यूटीआई को कंट्रोल करने में योग फायदेमंद है क्योंकि ये पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और यूरिन को न रोक सकने की समस्या को कम करते हैं।
तीसरी कॉमन प्रॉबल्म महिलाओं में शाय सिंड्रोम की रहती है…
जब कुछ लोगों को यूरिनेशन के लिए टॉयलेट जाने डर लगता है तो उसे शाय ब्लैडर सिंड्रोम कहते हैं। मेडिकल की भाषा में इसे पैरुरिसिस कहा जाता है।
इससे जूझ रहे लोग पब्लिक टॉयलेट यूज करने में कंफर्टेबल नहीं होते हैं। उन्हें लगता है कि आसपास के लोग उनके यूरिन पास करने की आवाज सुन लेंगे, जिसकी वजह से उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।
किसी व्यक्ति में अगर पैरुरिसिस की सिचूएशन जब गंभीर हो जाती है, तो उसे पी-फोबिया, सायकोजेनिक यूरिनरी रिटेंशन या एविडेंट पैरुरिसिस के नाम से भी जाना जाता है।
इंटरनेशनल पैरुरिसिस एसोसिएशन की एक रिपोर्ट अनुसार दुनिया में करीब 2 करोड़ लोग शाय ब्लैडर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं। ये लोग आउटडोर पब्लिक गैदरिंग, ट्रैवलिंग या बाजार तक आने-जाने से भी कतराते हैं।
सवाल: क्यों होती है शाय ब्लैडर सिंड्रोम की समस्या?
जवाब: अपोलो हॉस्पिटल की सीनियर कन्सल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रंजना शर्मा कहती हैं कि इस समस्या की कई वजह हो सकती है। इससे गुजरने वाले लोगों को प्राइवेसी की परेशानी होती है। उन्हें अपने रूटीन में भी कई काम करने में डिस्कंफर्ट महसूस होता है।
कई बार ऐसा होने की वजह परिवार का माहौल होता है। लोग घर के किसी सदस्य को ऐसा करते हुए देखते हैं और खुद में उनकी आदत उतार लेते हैं।
शाय ब्लैडर सिंड्रोम की वजह से पेल्विक फ्लोर के मसल्स पर असर पड़ सकता है या किडनी से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है।
वहीं बत्रा हॉस्पिटल के सीनियर कन्सल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ. धर्मेंद्र सिंह बताते हैं कि यह समस्या शारीरिक या मानसिक हो सकती है। बचपन में हुए किसी मानसिक प्रताड़ना की वजह से भी लोगों में यह परेशानी देखी जाती है।
जिन बच्चों खासकर लड़कियों के पेरेंट्स हमेशा कंट्रोल करते हैं या उन पर सामाजिक ढांचे में ढलने का दबाव बनाते हैं, उनमें पैरुरिसिस होने की आशंका होती है। हालांकि कई बार यह दिक्कत जेनेटिक भी हो सकती है।
शाय ब्लैडर सिंड्रोम के लक्षण
- सोशल होने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है यह प्रॉबल्म सिर्फ उनके साथ ही है।
- यूरिन आने के बाद भी टॉयलेट नहीं जाते, जिसकी वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन(UTI) हो सकता है।
- इस बारे में लगातार सोचते रहने से पैनिक अटैक आने की आशंका होती है।
- व्यक्ति अपनी प्रॉब्लम को लेकर किसी से खुलकर बात नहीं करता, जो स्ट्रेस की वजह बनती है।
- इससे जूझ रहे लोग पानी पीना कम कर देते हैं।
- खुद को अकेला कर लेते हैं। पब्लिक प्लेस में जाने से बचते हैं।
- पब्लिक टॉयलेट या किसी अन्य के घर पर टॉयलेट जाना अवॉयड करते हैं।
- घर पर अगर मेहमान आए हों, तो वॉशरूम यूज करने में कंफर्टेबल नहीं होते हैं।
- यूरिन होल्ड करने की आदत डाल लेते है, जिसका असर सेहत पर पड़ता है।
सवाल: शाय ब्लैडर सिंड्रोम नाम की इस प्रॉब्लम से निकलने का क्या तरीका है?
जवाब:
- बतौर पेरेंट बच्चे को लोगों के सामने बुरा महसूस न करवाएं।
- परिवार के किसी भी सदस्य को अपने बनाए मैनर्स वाले सांचे में ढालने की कोशिश न करें।
- व्यक्ति को इस बात के लिए आश्वस्त कराएं कि यूरिन पास करना नॉर्मल है।
- अगर किसी व्यक्ति में ऊपर बताए लक्षण दिख रहे हैं, तो उनसे बात करें।
- परेशानी का पता चल जाए, तो एक्सपर्ट से मिलें और सलाह लें।
- पैरुरिसिस से गुजरने वाले लोगों के लिए बिहेवियर थेरेपी का सहारा लें।
यह तो हुई यूरिन इन्फेक्शन की अलग-अलग वजह और उसे रोकने के उपाय। अब बात उन लोगों की करते हैं जो बिजी होने की वजह से या ट्रैवल के दौरान यूरिन रोक लेते हैं।
सवाल: देर तक यूरिन रोकने से किस तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती है?
जवाब: यूरिन रोकने से कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती है-
पेट में दर्द: ज्यादा देर यूरिन को रोकने पर ब्लैडर पर प्रेशर बढ़ता है जो दर्द का कारण बन सकता है। यह दर्द किडनी तक भी पहुंच सकता है।
यूरिन लीक: वैसे तो यह प्रॉब्लम उम्रदराज लोगों के साथ होती है वो यूरिन पर कंट्रोल नहीं रख पाते हैं। लेकिन रेगुलर बेसिस पर यूरिन रोकने से भी यह समस्या हो सकती है। ऐसा करने से ब्लैडर कमजोर होने लगता है।
किडनी प्रॉबल्म: कुछ स्टडीज में कहा गया है कि यूरिन रोकने से किडनी स्टोन की प्रॉब्लम भी हो सकती है। अगर ये समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। कई बार तो किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है।
ब्लैडर स्ट्रेचिंग: काफी टाइम तक यूरिन रोकने से ब्लैडर में स्ट्रेचिंग यानी यूरिनरी ब्लैडर में खिंचाव हो सकता है। जिसकी वजह से यूरिन लीकेज की समस्या हो सकती है।
यूरिनरी रिटेंशन: यूरिनरी रिटेंशन वो सिचुएशन है, जब यूरिनरी ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता। इसमें यूरिन करने में दर्द के साथ बहुत परेशानी हो सकती है। इसके अलावा यूरिनरी ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता है।
गॉल ब्लैडर में दिक्कत: ज्यादा समय तक यूरिन रोकने से गॉल ब्लैडर का रिस्क भी बढ़ जाता है। इससे गॉल ब्लैडर का साइज ढीला हो जाता है और यूरिन में कंट्रोल कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। जिसकी वजह से यूरिन करने में कई तरह की दिक्कतें आती हैं और कई बार ज्यादा परेशानी बढ़ने पर सर्जरी की नौबत भी आ सकती है।
सवाल: यूरिन इन्फेक्शन न हो, इससे महिलाएं कैसे बचें?
जवाब: यूरिन इंफेक्शन से बचने के लिए हाइजीन का ध्यान रखना सबसे जरूरी होता है। इन पॉइन्ट्स में समझें कैसे-
- दिन में दो बार वजाइना की साफ पानी से सफाई करें।
- पब्लिक टॉयलेट यूज करने से पहले एक बार फ्लश जरूर करें। हो सके तो यूज करते समय स्किन सीट से टच न हो, तो ही अच्छा है।
- अगर आप इन बातों का ध्यान रखती हैं फिर भी आपको इन्फेक्शन बार-बार हो रहा है तो आपको एक बार अपने पार्टनर से भी इस बारे में बात करनी चाहिए। पार्टनर को अगर किसी तरह का इन्फेक्शन होता है या हाइजीन का ध्यान नहीं रखता है तो इन्फेक्शन होने के चांस बढ़ जाते हैं।
सवाल: अच्छा तो फिर कितनी देर तक होल्ड हो सकती है यूरिन?
जवाब: हर व्यक्ति अपनी उम्र के मुताबिक यूरिन रोकने की क्षमता रखता है। जैसे- छोटे बच्चों का ब्लैडर 1-2 घंटे ही टॉयलेट रोक पाता है। लेकिन जब वो थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उनकी टॉयलेट रोकने की क्षमता बढ़कर 2-4 घंटे हो जाती है।
वहीं एक एडल्ट व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 6-8 घंटे यूरिन को रोक सकता है।
ब्लैडर में यूरिन रोकने की क्षमता का बताने का ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि व्यक्ति को इतनी देर तक टॉयलेट रोकनी चाहिए।
इससे ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। ब्लैडर में ज्यादा देर तक टॉयलेट रोकने से व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
चलते-चलते…
अच्छी और सही डाइट से आप यूरिन इन्फेक्शन से बच सकते हैं…
- बादाम, ताजा नारियल, स्प्राउट्स, अलसी के बीज, बिना नमक का मक्खन, दूध, अंडा, मटर, आलू, लहसुन, सादा दही, भूरा चावल, फल और सब्जी खाएं।
- कच्ची सब्जियां जैसे गाजर, नींबू, ककड़ी और पालक का जूस पिएं।
- ज्यादा चॉकलेट न खाएं।
- चाय, कॉफी या कैफीन न पिएं।
- मसालेदार चीजों से दूरी बना लें।