देश में 1100 विमानों की कमी .!

फिर भी घरेलू रूट पर फेरे 45% बढ़ा दिए, देरी के मामले 5 गुना ….

देश में हवाई यात्रा में बढ़ोत्तरी हुई है। फरवरी 2023 में घरेलू रूट पर विमानों के फेरे फरवरी 2022 की तुलना में 45.89 फीसदी बढ़कर 1,77,768 हो गए। लेकिन देश की 11 एयरलाइंस कंपनियों के पास अभी 700 विमान ही हैं, जबकि जरूरत 1800 विमानों की है।

कंपनियों ने 1,115 विमानों के ऑर्डर दिए हैं। इन विमानों के मिलने में दो साल का वक्त लगेगा। विमानन नियामक DGCA की रिपोर्ट के अनुसार, उड़ानों में देरी के कारण यात्रियों के प्रभावित होने के मामले पांच गुना बढ़ गए हैं।

फरवरी 2023 में रिफंड के 1.96 करोड़ रु. देने पड़े जबकि फरवरी 2022 में 36.73 लाख का रिफंड ही जारी हुआ था। क्षमता से अधिक टिकट बेचने का नतीजा ये हो रहा है कि टिकट होने के बावजूद विमान में बोर्डिंग नहीं होने की घटनाएं 92 फीसदी बढ़ गई हैं। फरवरी में स्पाइसजेट में सबसे ज्यादा 94.1% ऑक्यूपेंसी थी। स्पाइसजेट में सर्वाधिक बोर्डिंग से मना करने के मामले हुए।

विज एविएशन के टेक्निकल डायरेक्टर सतीश मोदी ने कुछ सवालों के जवाब दिए हैं….

1). सवाल- कुछ उड़ानों में देरी के मामले क्यों?
जवाब- कई बार तकनीकी कारण होते हैं। लेकिन अभी ये संचालन के कारण है। एयरलाइंस ने नए रूट्स लेने के बाद भी नए विमान नहीं खरीदे। ऐसे में शफलिंग के दौरान कई बार तकनीकी समस्याएं आती हैं।

2). सवाल- टिकट होने के बावजूद कई बार यात्रियों को बोर्डिंग से इनकार क्यों?
जवाब- कंपनियां क्षमता से ज्यादा टिकट बेच रहीं हैं। इस पर कोई रोक नहीं है। इसलिए कई बार टिकट होने के बाद भी यात्रियों को बोर्डिंग नहीं करने दिया जाता है।

3). सवाल- कुछ फ्लाइट्स कैंसिल होने के मामले में तेजी क्यों आ रही है?
जवाब- सामान्यत: छोटी एयरलाइंस की फ्लाइट्स ज्यादा कैंसिल हो रही हैं। इसका कारण कुछ कंपनियों के पास रखरखाव के लिए फंड की कमी है। तकनीकी खामियां आने पर विमान समय पर ठीक नहीं हो पाते हैं।

दो बड़े कारण और इसका असर

1. मांग बढ़ी: एक्सपर्ट्स के अनुसार, फरवरी में हवाई टिकट की मांग बढ़ी। 94 फीसदी तक बुकिंग होने के बावजूद कुछ एयरलाइन कंपनियों ने 100 फीसदी से ज्यादा टिकट बेच दिए।

असर: कई यात्रियों को बोर्डिंग से रोक दिया गया।

2. रूट्स बढ़ाए: कंपनियों ने बढ़ती डिमांड से नए रूट्स लिए लेकिन विमानों की शफलिंग की माकूल व्यवस्था नहीं की। कई विमानों में तकनीकी कमियों को दुरुस्त करने में समय लगा।

असर: शेड्यूल्ड फ्लाइट्स में दो घंटे से ज्यादा की देरी।

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