NIA ने कहा- पुलवामा के बाद दिल्ली-एनसीआर को दहलाने की फिराक में था जैश
नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद(जेईएम) दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई जगहों पर 14 फरवरी के पुलवामा हमले की तरह ही ‘फिदायीन’ हमलों की साजिश रच रहा था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सोमवार को अपने आरोपपत्र में यह खुलासा किया. जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल(सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे.
यहां की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर याचिका में एनआईए ने जेईएम के चार आतंकवादियों के नाम लिए जो पुलवामा हमले की साजिश में शामिल थे. इन आतंकवादियों के नाम सज्जाद अहमद खान(27), तनवीर अहमद गनी(29), बिलाल अहमद मीर(23), मुजफ्फर अहमद भट्ट(25)हैं. सभी पुलवामा के निवासी हैं.
आतंकी हमले की साजिश रच रहे थे जैश के आतंकी
एजेंसी के अनुसार, उसने मामले में 15 मार्च को एक केस दर्ज किया था जोकि वरिष्ठ जेईएम कमांडरों द्वारा दिल्ली-एनसीआर समेत भारत के अन्य हिस्सों में आतंकी साजिश रचने के संबंध में कुछ जानकारियों पर आधारित था. एजेंसी ने कहा, “जांच से पता चला है कि आरोपी व्यक्ति आतंकी संगठन जेईएम के सदस्य हैं और वे लोग आतंकी हमले की साजिश रच रहे थे. साथ ही अपने संगठन की गतिविधि का प्रचार कर रहे थे.”
एजेंसी ने कहा कि मारा गया जेईएम का आतंकवादी मुदस्सिर अहमद खान साजिश का मास्टरमाइंड था और वह पुलवामा हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था. एनआईए ने कहा, “क्योंकि मुदस्सिर जम्मू एवं कश्मीर में त्राल शहर के पिंगलिश गांव में 9-10 मार्च की मध्यरात्रि को सुरक्षाबलों के हाथों मारा गया, उसके खिलाफ आरोपों को हटा दिया गया है.”
पुलवामा हमले की तरह ही फिदायीन हमले करना चाहते थे
एजेंसी ने कहा, “सज्जाद और मुजफ्फर, मुदिस्सर के सीधे संपर्क में था, जबकि तनवीर और बिलाल मुदिस्सर के जरिए सज्जाद के संपर्क में था. तनवीर और बिलाल पुलवामा हमले की तरह ही फिदायीन हमले करना चाहते थे.” एनआईए ने कहा कि तनवीर और बिलाल (सज्जाद का बड़ा भाई) जेईएम का सक्रिय आतंकवादी था. दोनों सुरक्षाबलों के साथ दो अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए.
एजेंसी ने कहा कि मुजफ्फर को जेईएम में शामिल होने के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की टोह लेने के लिए कहा गया था. एनआईए ने कहा, “पूछताछ के दौरान मुजफ्फर के पास दो विस्फोटक बरामद किए गए. अन्य आरोपियों के खिलाफ आगे की जांच सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत की जा रही है.”