नोएडा -प्रिंसिपल अकाउंटेंट जर्नल ने DLF आवंटन की मांगी जानकारी ..!
प्रिंसिपल अकाउंटेंट जर्नल ने DLF आवंटन की मांगी जानकारी …
प्राधिकरण से किए 16 सवाल, हर्जाना के रूप में एक आवंटी को दिए 295 करोड़
सेक्टर 18 स्थित मॉल ऑफ इंडिया की जमीन सालों तक कानूनी पचड़ों में रही। 25 साल तक इसकी जमीन का विवाद विभिन्न अदालतों से होकर गुजरा है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में नोएडा प्राधिकरण कानूनी लड़ाई हार गया। जिस शख्स ने मुकदमा जीता, उसे 295 करोड़ रुपए का हर्जाना देना पड़ा। इस शख्स ने 7,400 वर्ग मीटर के दो प्लॉट खरीदे थे जो बाद में डीएलएफ इंडिया को अलॉट हुए।
इसी जमीन पर अब मॉल ऑफ इंडिया खड़ा है। डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया करीब 1.85 लाख वर्ग मीटर में बना है। नोएडा प्राधिकरण ने डीएलएफ इंडिया को 235 करोड़ रुपए की रिकवरी का नोटिस भेजा है। अब इस मामले में प्राधिकरण फिर से घिरता दिख रहा है। प्रिंसिपल एकाउंटेंट जर्नल (आडिट-2) ने इस मामले में आपत्ति दर्ज करा दी है। उसने डीएलएफ को आवंटित की गई जमीन और रेड्डी विरन्ना को दिए गए मुआवजे को लेकर प्राधिकरण से 16 प्रश्व किए है। इन प्रश्नों का जवाब उसे फरवरी अंत तक देना था। जवाब दाखिल नहीं होने पर 11 मार्च को दोबारा से ऑडिटर की ओर से प्राधिकरण ओएसडी भूलेख को रिमांइडर जारी किया गया है। इस पर सवाल जवाब किए जा रहे है।
ऑडिटर ने क्या किए सवाल से भी जाने
- ऑडिटर ने अपने पांच पेज के पत्र में रेड्डी विरन्ना केस और डीएलएफ आवंटन की पूरी जानकारी मांगी है। पूछा कि क्या आवंटन नियमों के मुताबिक है यदि सही है इसके एक-एक फैक्ट के बारे में जानकारी दी जाए।
- उसने पूछा की आवंटन से पहले जमीन का पूरी तरह से अधिग्रहण क्यो नहीं किया गया। इस मामले में जो लापरवाही बरती गई इसमें किस अधिकारी की जवाब देही तय की गई। किसकी जिम्मेदारी बनती है।
- उसने डीएलएफ को जारी किए गए आवंटन पत्र की कांपी मांगी, यहां बनाई गई बिल्डिंग प्लान की कांपी और अप्रूवल प्लान की कांपी, कब आंवटी ने इस पर काम शुरू किया।
- कब प्राधिकरण ने आवंटी को ओसी और सीसी जारी किया। इस प्रॉपर्टी पर आवंटी की देयता भी स्पष्ट की जाए।
- रेड्डी विराना 295.36 करोड़ रुपए देने के लिए 7 अक्टूबर 2022 को जो नेगोशिएशन किया गया को उसकी फाइलिंग नहीं दी गई उसे दिया जाए।
- 2005-06 में नोएडा प्राधिकरण ने नियमावली के तहत कितना मुआवजा तय किया था।
- 2005-06 में सेक्टर-18 का लैंड अधिग्रहण कास्ट क्या था। इसके साथ तीनों आदलतों की आदेश कांपी भी दी जाए।
1997 से 2022 तक… पूरा केस समझ लीजिए
- रेड्डी ने 25 साल पहले 1 करोड़ रुपए में छलेरा बांगर गांव की 7,400 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने पजेशन को लेकर तंग करना शुरू कर दिया।
- 1997-98 में रेड्डी ने स्थानीय अदालत में प्राधिकरण के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया। प्राधिकरण के मुताबिक, वह जमीन कॉमर्शियल डिवेलपमेंट के प्लान में शामिल थी और विरन्ना का पजेशन गैरकानूनी है।
- अदालत ने तब कहा कि बाकी जमीन पर कोई दखल नहीं दिया जा सकता क्योंकि वह (रेड्डी) मालिक है। इसके बावजूद, 2003 में इसी जमीन को लेकर टेंडर निकाला गया।
- जमीन डीएलएफ को अलॉट कर दी गई। डिवेलपर ने उस जगह पर मॉल ऑफ इंडिया खड़ा कर दिया। 2006 में प्राधिकरण ने जमीन के आधिकारिक अधिग्रहण और पजेशन के लिए नोटिफिकेशन जारी किया।
- विरन्ना ने इस नोटिफिकेशन को कई अदालत में चुनौती दी। यह बात उठी कि चूंकि जमीन के ऊपर काफी डेवलपमेंट हो चुका है और टुकड़ों की सीमाएं तय कर पाना संभव नहीं।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2021 में आदेश दिया कि प्राधिकरण की ओर से विरन्ना को हर्जाना दिया जाए। नोएडा प्राधिकरण ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- शीर्ष अदालत में हर्जाने की रकम को लेकर खूब जिरह चली। आखिर में कोर्ट ने आदेश दिया कि विरन्ना को 1.1 लाख रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से हर्जाना मिलना चाहिए। इसके अलावा, 30% सांत्वना के रूप में, हर्जा-ने की रकम पर 15% ब्याज और सजा के रूप में 3% ब्याज चुकाया जाना चाहिए।
- नोएडा प्राधिकरण ने रिव्यू पिटीशंस दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को उसे भी खारिज कर दिया।
- आदेश का पालन करते हुए दिसंबर 2022 में नोएडा अथॉरिटी ने रेड्डी विरन्ना को 295 करोड़ रुपए जारी कर दिए।