फीस के साथ पाठ्यक्रम बदलने का खेल, हर साल निजी स्कूल बदल देते हैं कुछ किताबें
भोपाल। राजधानी के निजी स्कूलों के अभिभावकों को हर साल महंगी किताबों का सेट खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। निजी स्कूलों ने जिला स्तरीय फीस नियामक समिति को पाठ्यक्रम की सूची सौंपी नहीं और मनमाने ढंग से हर कक्षा की चार से पांच किताब बदल दिए हैं। इस कारण अभिभावकों को छह से सात हजार रुपये का कापी-किताबों का सेट लेना पड़ रहा है।अभिभावकों का कहना है कि अब बच्चे बड़े भाई-बहन की किताबों से पढ़ाई नहीं कर सकते हैं। जिले में 150 निजी स्कूल हैं, जिनमें से करीब 70 स्कूल सीबीएसई बोर्ड के हैं।सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी के अलावा निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों को शामिल किया गया है। पाठ्यक्रम में जो अन्य किताबें शामिल की गई हैं।वे 150 रुपये से लेकर 700 रुपये तक की आ रही हैं।कंप्यूटर की किताब जो बाजार में 150-200 रुपये में मिल सकती है, लेकिन वह तय दुकानों पर 400 से 500 रुपये में मिल रही है, जिससे अभिभावकों को निजी प्रकाशकों की किताबों का पूरा सेट महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है।
गाइडलाइन में यह है उल्लेख
सीबीएसई की गाइडलाइन में स्पष्ट कहा गया था कि पहली व दूसरी कक्षा में भाषा और गणित के अलावा किसी अन्य विषय की किताब नहीं चलेगी। तीसरी से पांचवीं तक इन दो विषयों के अलावा पर्यावरण विषय शामिल करने की छूट दी गई थी। इसमें कहा गया था कि जो विषय एनसीईआरटी ने तय किए है उनसे अलग कोई किताब न चलाई जाए। केंद्रीय विद्यालयों में पहली से पांचवीं तक में पांच एनसीईआरटी की किताबें ही चलती हैं।इसके अलावा पहली व दूसरी कक्षा में होमवर्क न देने के आदेश भी दिए गए।
सीबीएसई स्कूलों में निर्देशों की अवहेलना
सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों में पहली व दूसरी कक्षा में सात से आठ किताब शामिल की हैं।वहीं तीसरी से पांचवीं में किताबों की संख्या आठ से दस किताबें चलाई जा रही है। भाषा, गणित और पर्यावरण के अलावा इन स्कूलों ने नैतिक शिक्षा,जनरल नालेज, कंप्यूटर, आर्ट वर्क, सुलेख(हिंदी व अंग्रेजी), व्याकरण(हिंदी व अंग्रेजी) आदि विषय की किताब भी शामिल कर लिए गए हैं।
इनका कहना है
-स्कूलों द्वारा किताबाें की जो सूची सौंपी गई है। उसका निरीक्षण कर कार्यवाही की जाएगी।
अंजनी कुमार त्रिपाठी, जिला शिक्षा अधिकारी
-मेरी दोनों बेटियां सेंट पाल स्कूल में पढ़ाई करती हैं।दोनों एक क्लास ऊपर-नीचे है।दोनों में एक-दो किताब बदल दिया जताा है।इससे दोनों का किताबों का पूरा सेट लेना पड़ता है।
अभिभावक
-हर साल बच्चों के किताबों में से एक या दो बदल दिए जाते हैं। इस कारण पूरा किताबों का सेट खरीदना पड़ता है।
अभिभावक