तिहाड़ की Inside Story : अरबों का सुरक्षा बजट फिर भी 15 दिन में 2 मर्डर ..?
अरबों का सुरक्षा बजट फिर भी 15 दिन में 2 मर्डर, तिलिस्मी तिहाड़ की Inside Story
दिल्ली की जेलों में हो रहे कत्ल-ए-आम के लिए हुकूमत को दोष नहीं दे सकते. वो तो सुरक्षा के लिए सालाना भारी बजट देती है. निकम्मे जेल अधिकारी-कर्मचारी तो निस्वार्थ भाव से सुधर कर ईमानदारी से काम करना शुरु करें.
थोड़े से ही वक्त में तीन-तीन कत्ल की वारदातें इस बात की चुगलखोरी के लिए काफी हैं कि, मोटे बजट से दिल्ली की जेलों की सुरक्षा तय नहीं होगी. इन जेलों की सुरक्षा के लिए अफसर-कर्मचारियों में दृढ़ इच्छा-शक्ति और ईमानदार कोशिश प्रचुर मात्रा में होना जरूरी है. जिसका पूरी तरह से अभाव है. लिहाजा ऐसे में अगर एक के बाद एक हो रहे कत्ल से तिहाड़ का तिलिस्म टूटता जा रहा है तो फिर, उसमें दोषी सिवाए जेल प्रशासन के और कोई क्यों और कौन होगा?
14 अप्रैल 2023 को प्रिंस तेवतिया मार डाला गया
14 अप्रैल 2023 को इसी बदनाम तिहाड़ जेल के भीतर हुई गैंगवार में प्रिंस तेवतिया मार डाला गया. ऐसा नहीं है कि वो कोई शरीफ इंसान था. लेकिन अगर बदमाश भी था और न्यायिक हिरासत में जेल में सुरक्षित बंद रखने की जिम्मेदारी कोर्ट ने पुलिस को सौंपी थी. तो फिर कोई बदमाश किसी दूसरे को कत्ल कैसे कर डालेगा?
जेल के भीतर कत्ल-ए-आम की वजह क्या?
अरबों का जब बजट सालाना दिल्ली की जेलों की सुरक्षा के लिए ही मिलता हो तो फिर, इस कदर जेल के भीतर कत्ल-ए-आम की वजह क्या है? पूछने पर एल एन राव ने कहा, “जेल अफसर और कर्मचारियों की मिली भगत, यहां व्याप्त भ्रष्टाचार, बेईमान जेल अफसर कर्मचारियों की जेलों में सोर्स सिफारिश से तैनाती, उनके मन में रातों रात लखपति बनने की बलवती मैली हसरते इस सबके लिए जिम्मेदार हैं. और इन सबसे ऊपर जिम्मेदारी बनती है जेल मुख्यालय प्रशासन की. जिस तरह से जेल महानिदेशालय नीचे वालों को हांकेगा, वे वैसा ही करेंगे.”
टिल्लू ताजपुरिया की हत्या पर उठते सवाल
यहां बताना जरूरी है कि 14 अप्रैल को इसी तिहाड़ जेल का तिलिस्म तब टूटा था जब, यहां कैद गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया कत्ल कर डाला गया. उस हमले में 4-5 अन्य कैदी भी जख्मी हुए थे. दो चार दिन हो-हल्ला मचा और उसके बाद अब सब शांत हो गया. प्रिंस तेवतिया के कत्ल के बाद भी मगर दिल्ली जेल प्रशासन चैन की नींद सोता रहा. सो 15-16 दिन के अंदर ही अब सोमवार-मंगलवार की रात (1 व 2 मई 2023 की रात), अब टिल्लू ताजपुरिया निपटा दिया गया.
सवाल फिर वही कि प्रिंस तेवतिया के कत्ल से आखिर तिहाड़ जेल प्रशासन ने क्या सबक लिया था? अगर ईमानदारी से कोई सबक लिया ही होता तो शायद, 15-16 दिन के भीतर ही अब टिल्लू ताजपुरिया इस तरह कत्ल न कर डाला गया होता. प्रिंस तेवतिया को तिहाड़ की जेल नंबर-9 में घेरकर मार डाला गया था. प्रिंस तेवतिया हत्याकांड में शायद ही अभी तक किसी गैर-जिम्मेदार जेल अफसर या कर्मचारी को निपटाया जा सका होगा? अगर प्रिंस हत्याकांड में किसी आरोपी जेल अफसर कर्मचारी को निपटाया भी गया तो उसकी, जानकारी कभी आम नहीं की गई.
अंकित गुर्जर की जेल में हुई थी हत्या
यह तो रही बात 15 दिन में दो कत्ल की. यानी पहले प्रिंस तेवतिया और अब टिल्लू ताजपुरिया. अब बात करते हैं अंकित गुर्जर हत्याकांड की. अंकित गुर्जर को 3 अगस्त 2021 को तिहाड़ जेल नंबर 3 के ही भीतर निपटाया गया था. इसी जेल में प्रिंस तेवतिया और फिर अब टिल्लू ताजपुरिया को कत्ल कर डाला गया. आखिर ऐसा क्या झोल है तिहाड़ की तीन नंबर जेल में कि, यहां कोई भी गैंगस्टर सुरक्षित ही नहीं है?
अंकित गुर्जर हत्याकांड में नरेंद्र मीणा की हुई थी अरेस्टिंग
अंकित गुर्जर मर्डर में तो जांच की आंच तिहाड़ के एक जेल उपाधीक्षक तक जा पहुंची थी. जिसमें सीबीआई जांच हुई तो पता चला कि, अंकित गुर्जर हत्याकांड में यही जेल सुपरिंटेंडेंट नरेंद्र मीणा की भूमिका भी संदिग्ध रही थी. लिहाजा उसे गिरफ्तार करके अपनी ही जेल के भीतर ठूंसना मजबूरी बन गई. अंकित गुर्जर हत्याकांड में नरेंद्र मीणा तो गिरफ्तार हुआ ही. उसके साथ तीन अन्य जेलकर्मी भी निलंबित हुए थे.अंकित गुर्जर के घरवालों ने आरोप लगाया था कि, 3 अगस्त 2021 को तिहाड़ जेल नंबर तीन के भीतर उसकी पीट पीटकर हत्या की गई थी. ऐसा नहीं है कि अंकित गुर्जर कोई दूध का धुला था. वो एक लाख रुपए का पुलिस का इनामी बदमाश रह चुका था.
जेल नंबर-3 के ही भीतर गैंगस्टर प्रिंस की हुई थी हत्या
15-16 आपराधिक मामले उसके ऊपर चल रहे थे. उसे दिल्ली पुलिस ने अगस्त 2020 में गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल भेजा था. अंकित गुर्जर हत्याकांड का कोहराम शांत होता . उसकी जांच सीबीआई अभी पूरी भी नहीं कर सकी है. तब तक 14 अप्रैल 2023 को यानी 14-15 दिन पहले ही, तिहाड़ की जेल नंबर-3 के ही भीतर गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया कत्ल कर डाला गया. अब 15 दिन बाद ही मंगलवार को सुबह छह सात बजे खबर आई कि, तिहाड़ जेल नंबर तीन में बंद कुख्यात गैंगस्टर, सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया निपटा दिया गया. आखिर एक के बाद एक एशिया की सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली जेल में कत्ल-ए-आम क्यों?
पूछने पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव कहते हैं, “जब तक जेल में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, कम अनुभवी स्टाफ तैनात होगा. इस तरह की वारदातों पर काबू पाना नामुमकिन होगा. देखिए न यह वही तिहाड़ जेल है जिसके अंदर से चार्ल्स शोभराज भाग गया. शेर सिंह राणा भाग गया. और सात तालों के भीतर यहां बड़े से बड़े तुर्रमखां बदमाश का कत्ल तो कितनी आसान बात है? हमारे आपके सामने है. जिस दिन यहां जेल स्टाफ ईमानदार होकर नौकरी करना शुरू कर देगा. उस दिन सरकार से मिल रहा सुरक्षा बजट भी खर्च होने से बचा रह जाएगा. और यहां आएदिन होने वाला कत्ल ए आम भी रुक जाएगा.”
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी बोले
इस सवाल के जवाब में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव कहते हैं, “जब तक जेल के अफसर-कर्मचारी ईमानदारी के साथ ड्यूटी का निर्वहन नहीं करेंगे. तब तक एक अंकित गुर्जर, प्रिंस तेवतिया या टिल्लू ताजपुरिया की बात छोड़िए. आइंदा भी इन जेलों में खून-खराबा, मारकाट कत्ल-ए-आम कोई नहीं रोक पाएगा. जिनके सिर पर जेलों की सुरक्षा है पहले वे तो ईमानदार हो जाएं. सरकार क्या करे जब नीचे जेल अफसर और कर्मचारी ही भ्रष्ट व निकम्मे जमे हुए हों. दोष सरकार को नहीं दे सकते. वो तो इन्हें जेलो की सुरक्षा के लिए इतना भारी या कहिए अरबों का मोटा बजट देती है. मगर यह नीचे वाले तो पहले सुधरें तभी तो सुरक्षा बजट कहीं नजर आएगा.”