चलती कार में क्यों आती है नींद …? बिना झपकी करें सेफ ड्राइव ..!

समर वेकेशन पर कार ड्राइव कर जा रहे हैं …! चलती कार में क्यों आती है नींद; बिना झपकी करें सेफ ड्राइव

समर वेकेशन यानी गर्मी की छुटि्टयां चल रही हैं। इस समय हम अक्सर अपनी कार से नाना-नानी, दादा-दादी या फिर रोड ट्रिप पर जाने का प्लान बनाते हैं।

कई बार लंबे रूट पर कार ड्राइव करते समय नींद आने लगती है। बार-बार जम्हाई आने लगती है, फिर एक झपकी और एक्सीडेंट।

.….. गाड़ी चलाते समय आने वाली नींद की करते हैं। कैसे इस नींद या झपकी को भगाएं। ड्राइविंग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए….

पढ़ें चार स्टडी जो कहती हैं एक्सीडेंट के लिए नींद जिम्मेदार

  • वर्ल्ड बैंक की स्टडी में कहा गया कि स्लीप डिसऑर्डर की वजह से रोड एक्सीडेंट का रिस्क 300% बढ़ जाता है।
  • 2021 में IIT बॉम्बे के डॉ. कीर्ति महाजन और प्रोफेसर नागेंद्र वेलागा ने रोड एक्सीडेंट से जुड़ी एक स्टडी की। इसमें उन्होंने कहा कि वो ड्राइवर्स जो ठीक से नहीं सोते या जो पांच घंटे से भी कम नींद लेते हैं, एक्सीडेंट का ज्यादा शिकार होते हैं।
  • 2020 में केरल के ट्रांसपोर्ट अधिकारियों ने एक सर्वे किया। जिसमें बताया कि हाईवे पर ठीक से नींद न लेने वाले ड्राइवर 40% रोड एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • एक स्टडी 2019 में सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने 300 किलोमीटर के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर की। इसमें भी यही कहा गया कि 40% रोड एक्सीडेंट ड्राइवर को नींद आने की वजह से होते हैं।

सवाल: गाड़ी चलाते समय नींद क्यों आती है?
जवाब:
 कार में बैठते हैं। लॉन्ग रूट पर जाने की तैयारी है। कुछ दूर चलने के बाद अपने आप आंखें बंद होने लगती हैं।

इसका रिलेशन हाइवे हीप्रोरिस से है।

मतलब जब आपको कहीं ट्रैवल करना होता है, तो निकलने से पहले बहुत से ख्याल दिमाग में आते हैं। जैसे- कहीं कोई सामान न छूट जाए, देर न हो जाए, समय से नहीं पहुंचे तो आगे की ट्रिप कैसी होगी, ऐसा ही बहुत कुछ।

जिसकी वजह से अक्सर लोग ट्रैवल करने से पहले ठीक से सो नहीं पाते। फिर जब आप गाड़ी में बैठ जाते हैं तो दिमाग रिलैक्स हो जाता है और आपको नींद आने लगती है। इसे हाइवे हीप्रोरिस कहते हैं।

कार ड्राइव करते समय आती है नींद, इस टाइम पीरियड में न चलाएं गाड़ी

दोपहर 1 से शाम के 3 बजे: लंच के बाद शुगर ब्लड में एक दम से बढ़ता है फिर तेजी से कम हो जाता है। जिससे थकान फील होती है और फिर झपकी आती है।

रात के 2 से सुबह 5 बजेयह गहरी नींद का समय होता है। इस समय ड्राइवर की अलर्टनेस कम हो जाती है।

सवाल: गाड़ी चलाते समय और किन वजहों से नींद आती है?
जवाब: 
इसकी कई वजहें हैं-

  • चलती गाड़ी में हिलने से नींद आने लगती है। साइंस में इस पूरे प्रोसेस को रॉकिंग सेंसेशन कहते हैं। मतलब कि जब आप एक फ्लो में हिलते रहते हैं तो नींद आने लगती है। तभी कार में बैठे-बैठे सो जाते हैं।
  • मेडिकल इश्यू जैसे बैठे-बैठे सोने की आदत, डिप्रेशन, हाइपरटेंशन होने पर रिलैक्स मिलते ही नींद आने लगती है।
  • अगर कोई देर रात सोता है और सुबह जल्दी उठ जाता है। तो फिजिकली दिनभर के लिए वो फिट नहीं होगा। इस दौरान आप ड्राइव करेंगे तो नींद आने लगती है।

नेशनल स्लीप फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, आम इंसान को अच्छा महसूस करने के लिए हर रात 7 से 9 घंटे की नींद की जरूरत होती है। लेकिन 73 % लोग नियमित रूप से अपने नींद पूरी नहीं कर पाते हैं।

सवाल: जिन लोगों को दिन में किसी भी टाइम नींद आती है। ड्राइव या कोई जरूरी काम नहीं कर पाते हैं। उन्हें क्या प्रॉब्लम होती है।
जवाब:
 दिन में अगर नींद आती है, तो इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए। कई बार ये किसी सीरियस बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं। नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं…

ऊपर लगे क्रिएटिव को समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है …

नार्कोलेप्सी: यह एक क्रोनिक स्लीप डिसऑर्डर है। जिसमें दिन में बहुत ज्यादा नींद आती है और अचानक से नींद के झटके आने लगते हैं। यह बीमारी आमतौर पर जेनेटिक कंडीशन की वजह से होता है। इसके अलावा हार्मोन लेवल में किसी प्रकार का बदलाव होना और मेनोपॉज की वजह से भी यह समस्याएं होने लगती हैं।

मेंटल इलनेस: कई ऐसी कंडीशन हैं, जिनके कारण दिन में नींद आने लगती है। ये जरूरी नहीं है कि मेंटल इलनेस में नींद आए। लेकिन कुछ लोगों में देखा गया है कि उन्हें डिप्रेशन या एंग्जाइटी डिसऑर्डर जैसी प्रॉब्लम है तो भी दिन में नींद आने लगती है।

स्लीप ऐप्नी: यह एक सीरियस स्लीप डिसऑर्डर है। जिसके कारण रात को सोते समय अचानक से बीच-बीच में दम घुटने लगता है। इस स्लीप डिसऑर्डर की वजह से रात की नींद पूरी नहीं हो पाती है। जिससे दिन में नींद आती है।

विटामिन बी12 की कमी: हमारे शरीर में कई ऐसे पोषक तत्व भी होते हैं, जो हमारी नींद से सही बैलेंस को बनाए रखने में मदद करते हैं। शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होने से रात के समय ठीक से नींद नहीं आ पाती। फिर दिन में काम करते समय थकान लगने से नींद आने लगती है।

सवाल: कार चलाते समय नींद आती है, क्या करें कि सेफ ड्राइविंग कर पाएं?
जवाब: 
कार चलाते समय ड्राइवर को नींद आ जाए तो कार में बैठे सभी लोगों की जान को खतरा हो जाता है। उपाय नीचे लगे क्रिएटिव में पढ़ें…

ऊपर लगे क्रिएटिव को समझते हैं…

तुरंत रोकें कार: ड्राइव करते समय बार-बार उबासी आए, झपकी लगे या फिर आपका सिर एक तरफ झुकना शुरू हो गया है, तो तुंरत गाड़ी रोक दें। कुछ देर आराम करें।

पार्टनर अलर्ट रहे: ड्राइवर की सीट के बगल में जो भी बैठे, उसे भी नहीं सोना चाहिए। लॉन्ग रूट पर ड्राइवर से रेगुलर बात करें। जिससे उसका दिमाग रेस्टिंग पोजिशन में न जाएं।

खाना खाकर न करें ड्राइव: जिन्हें खाना खाने के बाद तेज नींद आती है। वो खाना खाने के तुंरत बाद ड्राइव न करें। अगर लॉन्ग ड्राइव पर हैं तो थोड़ी-थोड़ी देर में स्नैक्स, फ्रूट्स खाते रहें।

चबाने वाली चीज मुंह में रखें: ड्राइव करते समय बोर न हों। माइंड को एक्टिव रखने के लिए कैंडी, च्युइंगगम, सौंफ चबाते रहें। इससे माइंड एक्टिव और एंगेज रहेगा।

चाय-कॉफी पीते रहें: लॉन्ग ड्राइव कर रहे हैं तो हर कुछ घंटों में चाय-कॉफी पीते रहें। इनमें कैफीन होता है। जिससे नींद और आलस दूर होगा और अलर्ट भी रहेंगे।

पानी जरूर रखें साथ: ड्राइव करते समय अपने साथ 4 बोतल पानी जरूर रखें। पानी रेगुलर पीते रहें। हर एक घंटे पर ठंडे पानी से मुंह भी धोते रहें।

म्यूजिक चलाएं: गाड़ी ड्राइव करते समय नींद से बचने के लिए म्यूजिक सुनें। हो सके तो पसंदीदा गाना बजाएं। इससे आप फोकस और अलर्ट रहेंगे।

सवाल: सब कुछ करने के बाद भी अगर नींद आ रही है तो क्या करें?
जवाब: 
अगर भी फिर नींद आ जाए, तो आप बिल्कुल ड्राइव न करें। किसी दूसरे को कार चलाने दें। या फिर पास के किसी रेस्टोरेंट, होटल, पेट्रोल पंप, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन जैसी सेफ जगह पर कार को खड़ा कर दें। इसके बाद थोड़ी देर नींद पूरी कर लें। इससे एनर्जी वापस आ जाएगी।

चलते-चलते…

आपके सामने किसी का एक्सीडेंट हो, तो अपनाएं

चेक, कॉल, केयर

  • जहां एक्सीडेंट हुआ है सबसे पहले उस जगह के आसपास देखें।
  • चेक करें कि पेट्रोल लीकेज और शॉर्ट सर्किट की समस्या तो नहीं, यदि हो तो घायलों को वहां से सेफ जगह पर ले जाएं।
  • एम्बुलेंस को इस बीच कॉल करें।
  • घायल व्यक्ति से बात करें। कंधे पर हाथ रखकर सवाल करें आप ठीक हैं या नहीं।
  • घायल जवाब नहीं दे रहा है तो उसके मोबाइल की मदद से रिलेटिव को फोन करें।
  • अगर ब्लीडिंग हो रही हैं, तो डरें नहीं, उस जगह पर कपड़ा लपेट दें।
  • घायल की गर्दन न पकड़ें, हादसे में गर्दन के चोटिल होने की आशंका ज्यादा होती है।
  • घायल की नब्ज और सांस चेक करें।
  • पल्स बीट अगर न मिलें तो फौरन CPR दें।
  • घायल के अंगों को भी देखें, अगर कोई अंग टूट गया है तो उसकी केयर के वक्त प्रिकॉशन रखें।

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