ग्वालियर । सीबीआइ ने प्रदेश के 364 नर्सिंग कालेजों में 22 का सैंपल सर्वे कर शुक्रवार को हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट में नर्सिंग कालेजों का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह 26 अप्रैल 2023 को जिन नर्सिंग कालेजों को अच्छा बता रहे थे, उन कालेजों में स्टाफ, लैब और लाइब्रेरी तक नहीं मिली। कोर्ट ने टिप्पणी कर कहा कि महाधिवक्ता इन कालेजों को अच्छा बताकर परीक्षा का दवाब बना रहे थे। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होना चाहिए। यह प्रदेश का बड़ा घोटाला है। कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया है 27 जुलाई तक सभी 364 कालेजों की जांच कर रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश किया जाए। सीबीआइ की ओर से पेश हुए डीएसपी दीपक पुरोहित को जांच का फारमेट भी बताया गया है।

यह है मामला

दिलीप कुमार शर्मा ने पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष और बीएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर ने जुलाई 2022 से जनवरी 2023 के बीच कालेजों को संबद्धता दी। संबद्धता के बाद 11 से 18 फरवरी 2023 के बीच विद्यार्थियों का नामांकन किया गया। 28 फरवरी 2023 से परीक्षाओं की तारीख घोषित कर दी गई। संबद्धता देने से पहले विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों का सत्यापन नहीं किया। कब प्रवेश लिया, यह भी नहीं देखा। जुलाई 2022 से जनवरी 2023 के बीच संबद्धता दी जा रही है और परीक्षा सत्र 2019-20 और 2020-21 की कराई जा रही हैं। पुरानी तारीख में संबद्धता देकर परीक्षाएं कराई जा रही हैं। कोर्ट ने 28 फरवरी से शुरू होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने परीक्षा पर रोक बरकरार रखी है। जांच में भोपाल के एक कालेज का भवन भी नहीं मिला। यह कालेज 1850 स्क्वायर फीट में बनी बिल्डिंग में है, जबकि 18 हजार स्क्वायर फीट में होना चाहिए। छात्रों की ट्रेनिंग का रिकार्ड भी नहीं है।

सीबीआइ ने यह दी जानकारी

– प्रदेश की 50 प्रतिशत सरकारी कालेज ही संबद्धता, मान्यता के नियमों को पूरा कर रहे हैं।

– 10 साल से अधिक पुराने 33 प्रतिशत कालेज ठीक मिले, 67 प्रतिशत मान्यता के नियमों का पालन नहीं कर रहे।

– पांच से 10 दस साल पुराने 67 प्रतिशत कालेज ठीक, 33 प्रतिशत मानकों को पूरा नहीं कर रहे।

– शून्य से पांच साल पुराने 44 प्रतिशत कालेज ठीक, 56 प्रतिशत कालेज मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं।

सीबीआइ ने यह तथ्य भी बताए

– सीबीआइ की रिपोर्ट में दो कालेजों का उदाहरण बताया गया। दोनों कालेज प्रदेश की राजधानी भोपाल के हैं। सीबीआइ की ओर से बताया गया कि नवोदय नर्सिंग कालेज भोपाल का जो पता लिखा था, वहां पर पहुंचे तो मौके पर कालेज ही नहीं था। सविता नर्सिंग कालेज भोपाल 1850 स्क्वायर फीट की बिल्डिंग में चल रहा था। इसकी लाइब्रेरी में महज 20 किताबें थीं, लैब नहीं थी। कालेज संचालित करने 18 हजार स्क्वायर फीट जमीन की जरूरत होती है।

– अधिकतर कालेजों को पास खुद का अस्पताल नहीं है। निजी अस्पतालों से जुड़े हैं। अस्पतालों के पास सिर्फ एक पत्र मिला कि आपके यहां हमारे कालेज के विद्यार्थी ट्रेनिंग करेंगे। विद्यार्थी ने कब ट्रेनिंग की, कौन से विद्यार्थी थे, इसका कोई रिकार्ड नहीं है। कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया कि इन अस्पतालों का भी जांच के दौरान शपथ पत्र लिया जाए।