ग्वालियर . हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक हथकंडे फेल होने से भाजपा रणनीतिकारों की सांस फूली हुई है। ग्वालियर-चंबल अंचल के देवतुल्य कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने भाजपा नेताओं की धड़कन और बढ़ा दी है। अब संगठन इनकी नाराजगी दूर करने का फार्मूला तलाश कर रहा है। प्रदेश में चुनाव से पहले विपरीत हवा के इस रुख को मोड़ने की ताकत सिर्फ कार्यकर्ता में है। अंचल में इसका खामियाजा भाजपा नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा उठा चुकी है। पांच दशक बाद ग्वालियर की नगर सरकार कांग्रेस के खाते में गई। इसलिए अब देवतुल्य कार्यकर्ताओं की याद आ रही है। अनुशासित कार्यकर्ता ही एक बार फिर प्रदेश में भाजपा को सत्ता के शिखर पर पहुंचा सकता है।

ठाकरे ने मजबूत आधार दिया

भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे सरीखे नेतृत्व ने सदैव कार्यकर्ताओं के सम्मान को सर्वोच्च पर रखा। और उसकी मेहनत का आंकलन कर संगठन में पद और सम्मान दिया। इसी का सुखद परिणाम है, भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी है, जिसके पास व्यक्ति विशेष के लिए विचारधारा के प्रति समर्पित कार्यकर्ता हैं। यह सिर्फ विचारधारा को पोषित करने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावार करने के लिए आगे रहता है।

अब भी वक्त है, कार्यकर्ताओं से आत्मीय संबंध बनाएं

जिला कार्यसमिति की बैठक में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए सलाह दी कि अब भी वक्त है। संभल जाएं। कार्यकर्ताओं से आत्मीय और पारिवारिक संबंध बनाएं। उनके घर जाएं। चाय-नाश्ता करें। परिवार के लोगों के साथ बैठकर सुख-दुख के बातें करें। हमारे देवतुल्य कार्यकर्ता धन-दौलत नहीं, केवल सम्मान की अपेक्षा करता है। आप लोगों ने उन्हें भुला दिया है।

सिंधिया भी मनाने का प्रयास कर चुके हैं

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी जिले के कार्यकर्ताओं को मनाने का प्रयास कर चुके हैं। नगर और ग्रामीण मंडल के पदाधिकारियों की बैठक लेकर कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान रखने का भरोसा दिलाने का प्रयास किया था। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अनुरोध में स्वीकार करते हुए कहा था कि हो सकता है आपकी नाराजगी जायज है। अभी नाराजगी जताने का समय नहीं है। सबकुछ भूलकर विरोधियों को जवाब देने का है।