भोपाल । सतपुड़ा भवन में आग लगने की घटना का एक बड़ा कारण विभागों द्वारा भवन में मनमर्जी से कराया निर्माण कार्य भी है।इसमें सुरक्षा का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा गया। आग बुझाने के लिए जो व्यवस्था बनी थी, उसे भी नए निर्माण में दबा दिया, जिसके कारण आग बढ़ती गई और बड़ा नुकसान हो गया।

यह निष्कर्ष अपर मुख्य सचिव गृह डा.राजेश राजौरा की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच में सामने आया है। समिति मुख्यमंत्री को अब रिपोर्ट सोमवार को सौंपेगी। यह शुक्रवार को देनी थी, लेकिन फोरेंसिक जांच और विशेषज्ञों का प्रतिवेदन नहीं मिलने के कारण शासन से दो दिन का समय मांगा गया था। भवन के उपयोग को लेकर निर्णय तकनीकी परीक्षण के बाद लिया जाएगा।
विभागाध्यक्ष कार्यालय सतपुड़ा भवन में आग लगने की घटना के लिए बनाई जांच समिति ने तीन दिन में तीस से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों के बयान लिए हैं। उन सभी से आग लगने के कारण, बुझाने के लिए किए गए प्रयास, कार्यालय को हुए नुकसान आदि के बारे में जानकारी ली गई।
जांच में सामने आया कि आग के कारण कांच तक पिघल गए। भवन में अग्निशमन यंत्र किसी काम के नहीं थे। कर्मचारियों को इनका उपयोग करना तक नहीं आता है। सामान्य प्रशासन विभाग ने फाइलों के निस्तारण की व्यवस्था बनाई हुई है पर इसका भी पालन भी सुनिश्चित नहीं किया गया।
सैकड़ाें फाइलें भवन में ही बस्ते में बंद करके रखी हुई थीं, जिनमें आग लगी और यह धीरे-धीरे बढ़ती गई। कर्मचारियों ने भी लापरवाही बरती। फायर ब्रिगेड को सूचना देने के स्थान पर भागते रहे। दमकल भी विलंब से पहुंचे और प्रशिक्षित अमला न होने के कारण भी परेशानी आई।
आग ने भवन की संरचना को भी नुकसान पहुंचाया है। इसकी जांच विशेषज्ञों से कराई जा रही है। इसके बाद ही निर्धारित होगा कि भवन का उपयोग किया जाना है या फिर इसे गिराकर नया भवन बनेगा।
गृह मंत्री डा.नरोत्‍तम मिश्रा ने भी कहा कि भवन को आग से कितनी क्षति पहुंची है, इसका तकनीकी परीक्षण कराया जा रहा है। इसके बाद साफ होगा कि भवन की मरम्मत होगा या गिराकर नया बनाया जाएगा।
फायर सेफ्टी को लेकर मांगी रिपोर्ट
जांच समिति ने अग्नि शमन सेवाएं से सतपुड़ा भवन में फायर सेफ्टी के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही लोक निर्माण विभाग से भी पूछा गया है कि उन्होंने भवन की स्थिति को लेकर कब-कब निरीक्षण कराया या विद्युत यांत्रिकी शाखा ने परीक्षण किया।
जब तक राजधानी परियोजना प्रशासन था, तब तक प्रमुख भवनों के संधारण का काम यही करता था लेकिन सरकार ने इसे लोक निर्माण विभाग में मिला दिया। इसके बाद पिछले साल वित्त विभाग ने विभागों को ही संधारण के काम कराने के अधिकार दे दिए।
स्वास्थ्य संचालनालय के लिए नहीं मिला स्थान
उधर, स्वास्थ्य संचालनालय के लिए नए स्थान की तलाश तीन दिन में भी पूरी नहीं हो पाई। वन भवन में अस्थायी तौर पर कार्यालय संचालित करने के लिए स्थान मांगा गया था लेकिन वहां काम ही पूरा नहीं हो पाया है। जिला अस्पताल में बना सीएमएचओ कार्यालय रिक्त है पर यह संचालनालय के लिए अपर्याप्त है।
वहीं, विभाग के अधिकारी अनुमति लेकर शुक्रवार को सतपुड़ा भवन पहुंचे और बची हुई फाइलें देखीं। सूत्रों का कहना है कि कई अधजली फाइलें पड़ी हुई हैं।