कौन है दागी IPS अफसर मणिलाल पाटीदार ..?

‘बेनामी संपत्तियां, अवैध वसूली’, कौन है दागी अफसर मणिलाल पाटीदार जिसका नाम IPS लिस्ट से हुआ ‘डिलीट’
2014 बैच के अफसर मणिलाल पाटीदार को पहले बर्खास्त किया गया. अब उसका नाम IPS जमात से भी डिलीट कर दिया गया है. यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के मुताबिक, “ऐसों के साथ यही ठीक है. IPS, कानून-खाकी की रक्षा के लिए हैं, उसे बूटों के नीचे कुचलने के लिए नहीं.”

उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी हुकूमत को ‘वर्दी में बदमाशी’ नाकाबिले-बर्दाश्त है. इसीलिए तमाम अनियमितताओं में लिप्त और वर्दी पहनकर कानून की धज्जियां उड़ाने वाले पूर्व बदनाम आईपीएस अफसर का सब हिसाब-किताब सूबे की सरकार ने बराबर कर दिया है. उस हद तक कि जो आईपीएस जमात की आने वाली पीढ़ियों के लिए भी नजीर बन जाए.

मणिलाल पाटीदार यूपी के महोबा जिले में जब पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात था तब इसके ऊपर कई संगीन आरोप लगे थे. जिनमें दो आरोपों के चलते तो न के खाकी वर्दा, आईपीएस जमात की छीछालेदर हुई थी.अपितु यूपी की सल्तनत के ऊपर ही उंगली उठने लगी थी, कि सरकार ही ऐसे बिगड़ैल अफसरो को शरण दे रही है.

लिहाजा खाकी और खुद को फजीहत से बचाने के लिए जब सूबे की सरकार को अपनी ‘जीरो टालरेंस’ नीति का ध्यान आया. तो सरकार ने इस बदनाम अफसर की ‘कुंडली’ बनवाना शुरू कर दिया. तब पता चला कि यह मास्टरमाइंड अफसर तो न अपनी इज्जत का ख्याल रख रहा है. न ही सूबे की सल्तनत, कानून और खाकी की ही इसे कोई परवाह है. इसकी कुंडली बनाए जाने के दौरान सबसे बड़े दो आरोप लगे थे. जिनमें पहला आरोप महोबा में पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर जमे रहते हुए ही लगा था, जिसमें निकल कर सामने आया कि इसी मणिलाल पाटीदार की बेजा करतूतों के चलते, साल 2020 में महोबा के एक क्रशर कारोबारी की जान चली गई थी.

फरार हो गया था अफसर

यह बात थी सितंबर 2020 की. उस मामले में इसे महोबा जिला पुलिस अधीक्षक पद से हटाकर राज्य पुलिस महानिदेशालय से ‘संबंद्ध’ कर दिया गया था. लेकिन उस आदेश के अनुपालन में पाटीदार राज्य पुलिस महानिदेशालय से संबंद्ध होने के बजाए, फरार हो गया. तब यूपी की सरकार का माथा ठनका कि, हो न हो कहीं न कहीं मणिलाल पाटीदार का मामला तो दाल में नमक का नहीं, नमक में दाल का सा मालूम पड़ता है. उस दौरान फरार हुआ मणिलाल पाटीदार करीब 2 साल तक अपनी ही पुलिस के हाथ नहीं आया. लिहाजा उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया.

ऐसे खुराफाती दिमाग मणिलाल पाटीदार की महकमे ने जब कुंडली तैयार करनी शुरु की तो उसी प्रक्रिया में इसके खिलाफ विजिलेंस जांच (सतर्कता जांच) भी कराई गई. उसमें भी कई सनसनीखेज तथ्य निकल कर सामने आए. इसके खिलाफ ईडी ने प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत भी जांच शुरू कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तब ईडी ने इसकी 50 करोड़ की संपत्ति के बारे में काफी कुछ जानकारियां खंगालना शुरू किया था. इनमें कई बेनाम संपत्तियां भी शामिल थीं. जो इसके कई रिश्तेदारों के नाम पर पता चली थीं. इसके अलावा इसके ऊपर पुलिस अफसरी के दौरान, मातहतों के जबरिया और उन पर दबाव बनाकर उनसे अवैध वसूली के इरादे से उनके, आएदिन इधर से उधर तबादले कर दिए जाने का प्रपंची भी यही मणिलाल पाटीदार रहा था.

अफसर पर ये भी लगे आरोप

राज्य पुलिस महानिदेशालय (लखनऊ) से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो खाकी को बदनाम करके खुद खाक में मिल चुका, यह वही बदनाम पूर्व पुलिस अफसर मणिलाल पाटीदार है जिसके ऊपर कभी यह भी आरोप लगा करते थे कि इसने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की निर्माण सामग्री ढोने लाने ले जाने के काम में जुटे, ठेकेदारों का भी जबरदस्त तरीके से उत्पीड़न किया था. हालांकि उन आरोपो की जांच का बाद में क्या हुआ? यह सिर्फ सूबे की सरकार और राज्य पुलिस महानिदेशालय की फाइलों में ही कफन-दफन है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच के शुरूआती दौर में (सितंबर अक्टूबर 2020 में) सस्पेंड किया गया था.

यूपी पुलिस और देश की आईपीएस जमात के लिए गले की फांस बन चुका यह मास्टरमाइंड मूलरूप से, राजस्थान के डूंगरपुर का रहने वाला बताया जाता है. इसकी करतूतों के चलते राज्य सरकार ने जून 2022 में राष्ट्रपति और केंद्र सरकार से इसकी बर्खास्तगी की मंजूरी मांगी थी. वो मंजूरी मिलने के बाद इसे 29 दिसंबर 2022 को भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. अब खबरें आ रही हैं कि, खाकी के ऐसे खराब सेवादार को आईपीएस की तालिका से ही उसका नाम ‘डिलीट’ कर दिया गया है. यह मणिलाल पाटीदार साल 2014 बैच का भारतीय पुलिस सेवा का पूर्व अफसर रहा है.

इस बारे में टीवी9 ने बात की उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और 1974 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ. विक्रम सिंह से. उन्होंने कहा, “किसी भी आईपीएस की बर्खास्तगी, भारतीय पुलिस सेवा और सूबे की सरकार के माथे पर बहुत बड़ा दाग होता है. किसी आईपीएस की बर्खास्तगी न केवल संबंधित अफसर और उसके कुल खानदान को समाज में जीने के काबिल छोड़ती है. अपितु आईपीएस जैसी सम्मानित सेवा की पीढ़ियां भी अतीत में हो चुकी इन बर्खास्तगियों से खुद को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से असहज महसूस करती रहती हैं. मगर जो खाकी और कानून के सगे न हों.

वे फिर खुद के और अपने परिवार समाज के बारे में क्यों और कैसे बेहतर सोच सकते हैं. लिहाजा ऐसों का भारतीय पुलिस सेवा से इसी तरह बाहर किया जाने ही समाज में सबसे बेहतर विकल्प है. वरना एक मछली पूरे तालाब का ही पानी गंदा करने से बाज नहीं आती है. अगर इस तरह के किसी एक को ही आईपीएस सेवा से बाहर का रास्ता (बर्खास्त) दिखाकर, पुलिस महकमे की इज्जत बच सके, तो जो हुआ है इनके साथ (मणिलाल पाटीदार) वो सही ही किया होगा हुकूमत ने. आईपीएस, कानून का पालन करने-कराने के लिए बनाया जाता है. आईपीएस, कानून और खाकी वर्दी या फिर समाज को पुलिस के सरकारी बूटों के नीचे रौंदने के लिए नहीं बनाया जाता है.”

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