ग्रेटर नोएडा, चीन के नागरिकों के भारतीय पासपोर्ट बनाने के मामले में नया पर्दाफाश हुआ है। दिल्ली के तीन रीजनल पासपोर्ट ऑफिस से सात साल में चीन के नागरिकों के 85 भारतीय पासपोर्ट जारी हुए है। यह पासपोर्ट पासपोर्ट ऑफिस के किस अधिकारी की मिलीभगत से बने है, इसकी जांच में एसटीएफ जुटी हुई है।

हैरानी की बात यह है कि दिल्ली पासपोर्ट ऑफिस से नोएडा व हिमाचल प्रदेश के लोगों के नाम पर पासपोर्ट जारी हो गए। पासपोर्ट बनवाने के लिए चीन के नागरिकों ने पहले आधार कार्ड बनवाया, जिससे कि पासपोर्ट बनने में आसानी हो। पासपोर्ट बनवाने में आरोपित अकबर अली की भूमिका अहम है। वह वर्ष 2016 से यह कार्य कर रहा है। अकबर से एसटीएफ पूछताछ कर रही है।

दरअसल, चीन के नागरिकों का भारतीय पासपोर्ट बन जाना सुरक्षा में भारी सेंध है। बीते वर्ष बीटा दो कोतवाली पुलिस ने फर्जी पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज के आधार पर अवैध अड्डा संचालित कर हवाला का कारोबार करने वाले चीन के 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में एसटीएफ ने 21 जून को हिमाचल के कुल्लू जिले से जंपा चोडक उर्फ जार्डन को गिरफ्तार किया था। जॉर्डन ने ही चीन के नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट उपलब्ध कराए थे। उससे पूछताछ के बाद दिल्ली से अकबर अली व रोशन को गिरफ्तार किया गया।

भारतीय बनकर कर रहे नौकरी

सूत्रों ने दावा किया है कि चीन के नागरिक भारतीय बनकर अलग-अलग बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी कर रहे है। इसके लिए उन्होंने संपूर्ण दस्तावेज तैयार कर लिए है। विदेशी नागरिकों के सत्यापन अभियान के दौरान यह लोग भारतीय दस्तावेज दिखाकर पुलिस की जांच में बच जाते है। कंपनियों में नौकरी के अलावा अपने बच्चों का दाखिला भी भारतीय दर्शाकर स्कूल में करवा रहे है।

हिंदी भाषा सीख रहे चीन के नागरिक

चीन के नागरिक भारत में रहकर हिंदी भाषा सीख रहे है, जिससे कि भविष्य में उनको यहां रहने में कोई दिक्कत न हो। हिंदी सीखने के लिए कोचिंग सेंटर में कक्षा ले रहे है। चीन के नागरिक मुख्य रूप से नार्थ ईस्ट के अलग-अलग जिले का नागरिक बनकर फर्जी तरीके से भारतीय नागरिका हासिल कर रहे है।

ड्रग्स फैक्ट्री से कनेक्शन खंगाला जा रहा चीन के नागरिक व ड्रग्स फैक्ट्री संचालित करने वाले अफ्रीकी नागरिकों के बीच का कनेक्शन भी पुलिस खंगाल रही है। जेल में दोनों एक दूसरे के संपर्क में न आ पाए, इसके लिए भी विशेष निगरानी लगाई गई है।