ग्वालियर : दो साल में 9.85 करोड़ की स्टांप ड्यूटी की चोरी, लेकिन दोषी कोई नहीं
दो साल में 9.85 करोड़ की स्टांप ड्यूटी की चोरी, लेकिन दोषी कोई नहीं
उप पंजीयक कार्यालयों में तथ्य छिपाकर कराए दस्तावेज पंजीयन ….
ऐसे कर रहे स्टांप ड्यूटी की चोरी …
ग्वालियर: जिला पंजीयन कार्यालय में उप पंजीयकों ने दो साल में 3452 दस्तावेज तथ्यों को छिपाकर पंजीकृत कर दिए। इससे 9 करोड़ 85 लाख रुपए की स्टांप ड्यूटी की चोरी हुई। जब ये मामले पकड़े गए तो चोरी करने वाले पक्षकारों के खिलाफ विभाग में केस दर्ज किए गए और उनसे टैक्स चोरी की वसूली भी की गई। लेकिन इसके लिए न किसी को जिम्मेदार ठहराया गया, न किसी पर कोई कार्रवाई हुई्। इस वजह से स्टांप ड्यूटी की चोरी बेधड़क चल रही है। इससे सरकार को नुकसान होता है। पत्रिका ने स्टांप ड्यूटी चोरी के तरीके पता किए तो तथ्य हैरान करने वाले हैं। सबसे ज्यादा चोरी मुरार सर्किल में हो रही है, उसके बाद लश्कर में। यदि स्टांप ड्यूटी की सही निगरानी की जाए तो बड़े मामले खुल सकते हैं।
जब से पंजीयन कार्य कंप्यूटरीकृत हुआ है, उसके बाद से पक्षकार ने जो लिखकर दिया है, उसके आधार पर पंजीयन करना पड़ता है। इसमें किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। गाइड लाइन से ऊपर पंजीयन हो रहे हैं।
दिनेश गौतम, जिला पंजीयक ग्वालियर
● यदि किसी का मकान दो मंजिल बना हुआ है, इसकी एक मंजिल का जिक्र नहीं करते हैं। एक मंजिल मकान की जानकारी देकर रजिस्ट्री कराई जा रही है।
● सड़क पर संपत्ति मौजूद है, लेकिन उसे सड़क से अंदर बता दिया जाता है।
● कमर्शियल संपत्ति की कृषि भूमि में, मकान के प्लॉट के रूप में भी पंजीयन किए गए हैं।
● प्लॉट पर पूरा निर्माण है, लेकिन खुला स्पेस बता दिया जाता है।
● मुख्य सड़क पर गाइड लाइन ज्यादा होती है, संपत्ति को मुख्य सड़क पर नहीं बताया जाता है।
● जिला पंजीयक के निरीक्षण या किसी के शिकायत करने पर स्टांप ड्यूटी के मामले निकलकर आ रहे हैं।
इनके भरोसे छोड़ा पूरा काम
पंजीयन विभाग ने दस्तावेज लेखकों के भरोसे ही पूरा काम छोड़ दिया है। इन्होंने संपत्ति के जो फोटो अपलोड कर दिए, उनको ही सही मानकर पंजीयन कर दिया जाता है। स्टांप ड्यूटी चोरी की सबसे बड़ी कड़ी दस्तावेज लेखक हैं।
जब पक्षकार पंजीयन के लिए रजिस्ट्री लिखवाता है तो दस्तावेज लेखक ही उसे चोरी के रास्ते बताते हैं।
दस्तावेज लेखक ने जो दस्तावेज लिखा है, उसकी उप पंजीयक भी जांच नहीं करते हैं। इस कारण संपत्ति की पूरी जानकारी आसानी से छिप जाती है।