ग्वालियर : पुलिस तंत्र नाकाम, सुरक्षा इंतजाम फेल ..!

सूबे में लगातार दम तोड़ रहे लेटर बॉक्स, आम लोगों के लिए किराए पर लगाए गए पोस्ट बॉक्स की संख्या में आई कमी ..!

हर दिन छेड़छाड़ का 1 प्रकरण होता है दर्ज, लेकिन 1 फीसदी पीड़िता भी नहीं पहुंचतीं शिकायत करने थाने …

शहर में बेटियां असुरक्षित

महिलाओं के साथ अपराधों के आकंडे वर्ष 2021 से 2023 अप्रैल तक के हैं। इनके मुताबिक महिलाओं की हत्या और हत्या के प्रयास की वारदातों में जिला प्रदेश में सबसे आगे है। जबकि महिला सुरक्षा को लेकर लगातार सेमीनार होते हैं। इनमें पुलिस अधिकारियों को महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से सुनने की समझाइश दी जाती है। उसके बावजूद महिलाओं के साथ अपराधों की गिनती बढ़ रही है।

महिलाओं की हत्या, 307 में जिला आगे

जिला हत्या हत्या का प्रयास छेड़खानी अपहरण बलात्कार

ग्वालियर 40 41 852 625 585

भोपाल 34 24 1092 835 793

इंदौर 29 26 979 1486 663

जबलपुर 40 22 924 901 559

तीन दिन पहले लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित कोचिंग में पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारी छात्राओं से रूबरू हुए थे। इस दौरान छात्राओं ने कई समस्याएं भी उन्हें बताई थीं, इसके बाद भी वारदात हो गई।

मोमोज के ठेले पर इकट्ठे हुए, यहां से किया पीछा

हत्या से कुछ देर पहले हत्यारे सुमित रावत को उपदेश रावत, विशाल शाक्य, शिवम गुर्जर और सूरज तोमर के साथ कंपू बजरिया में मोमोज के ठेले पर देखा गया था। पता चला है गैंग के तीन लोग बेटी बचाओ तिराहे के आसपास रहे जबकि दो बदमाशों ने लक्ष्मीबाइ कॉलोनी से सोनाक्षी की रैकी की। दोनों सहेलियां बेटी बचाओ तिराहे पर पहुंची तब गुंडों की दूसरी टीम उनके पीछे लगी और तिलकनगर पर आकर अक्षया को गोली मार दी।

मास्टरमाइंड सुमित अपराधिक प्रवृति का, कई प्रकरण दर्ज हैं

छात्रा अक्षया सिंह की हत्या करने वाला सुमित 18 पुत्र सुनील रावत निवासी आर्मी बजरिया कंपू अपराधिक प्रवृत्ति का है। उस पर बामौर, मुरैना में हत्या, हत्या की साजिश और आर्म्स एक्ट के अलावा कंपू थाने में मारपीट छेड़खानी और जान से मारने की धमकी के 4 अपराध, माधौगंज में मारपीट और जान से मारने की धमकी के दो केस समेत कोतवाली में मारपीट, रंगबाजी और जान से मारने की धमकी का केस दर्ज है।

होटल में रची गई हत्या की साजिश

सुमित रावत के साथ हत्या में शामिल बदमाश 5 दिन से कृष्णा होटल में डेरा डाले थे। सोमवार रात को पुलिस ने होटल पर दबिश भी दी। वहां रिकार्ड में शिवप्रताप तोमर के नाम से कमरा बुक होना पता चला है। होटल के सीसीटीवी बंद थे। इसलिए फुटेज नहीं मिले हैं। शिवप्रताप ने आइडी के तौर पर 5 साल पहले बना आधार कार्ड लगाया है। उससे शिवप्रताप के चेहरे का मिलान नहीं हो सका है।

महिला की सुरक्षा के यह इंतजाम

सड़क चलते महिलाओं, युवतियों के साथ हरकत करने वालों पर काबू करने के लिए प्रदेश भर में निर्भया मोबाइल चलाई गई है। जिले में निर्भया मोबाइल रोज सड़कों पर पेट्रोलिंग करना बताती है। इसमें तीन पुलिसकर्मियों का स्टाफ है। थाना स्तर पर ऊर्जा डेस्क बनाई गई हैं इसमें महिला संबंधी शिकायत आने पर तुरंत एक्शन लेने के निर्देश हैं।

कलेक्टर-एसएसपी से लेकर पुलिस थाने तक सभी को पता था छात्राओं को तंग करते हैं गुंडे …

घर लौट रही 11वीं की छात्रा अक्षया सिंह यादव की सोमवार को शाम को बेटी बचाओ चौराहे के पास सरेआम हत्या से प्रशासन और पुलिस तंत्र कठघरे में है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अक्षया सिंह की सहेली सोनाक्षी शर्मा गुंडों से परेशान थी। यह बात किसी से छिपी नहीं थी। वारदात से तीन दिन पहले लक्ष्मीबाई कॉलोनी में कोचिंग की छात्राओं से बात करने पहुंचे इन अफसरों से सोनाली और छात्राओं ने पूछा था कि रास्ते में गुंडे परेशान करते हैं उनसे बचने के लिए क्या किया जाए?

माधौगंज निवासी अक्षया सिंह 17 साल की हत्या ने पूरे शहर को दहला दिया है। हत्यारों का टारगेट अक्षया की सहेली सोनाक्षी शर्मा थी। उसे मारने के लिए सुमित रावत उसका भाई उपदेश उर्फ मोंटी रावत निवासी कंपू बजरिया प्लानिंग कर रहे थे। सोनाक्षी को भी उनकी साजिश का आभास था, इसलिए लगातार पुलिस से उनकी शिकायत कर रही थी। हत्या के मास्टरमाइंड सुमित रावत को पता था सोनाक्षी और अक्षया साथ में लक्ष्मीबाई कॉलोनी में कोचिंग जाती हैं। सोमवार शाम को हत्यारों ने कोचिंग के बाहर से उनका पीछा किया था।

वारदात के बाद सोमवार रात चेकिंग करती पुलिस।

एक बेटी दहशत में, एक के परिवार में दर्द

सुमित एक साल से तंग कर रहा है। अंदेशा था कि सुमित मुझे मार देगा, इसलिए पुलिस से लगातार शिकायत कर रही थी। शनिवार को लक्ष्मीबाइ कॉलोनी में प्रशासन और पुलिस अधिकारी आए थे उनसे भी पूछा था गुंडे परेशान करें तो कैसे बचें। डीसएसपी हिना खान ने अपना नंबर भी दिया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। हत्यारे मुझे मारना चाहते थे। मेरी वजह से सहेली की जान चली गई।

(जैसा कि सोनाक्षी ने पुलिस और परिचितों को बताया)

हमारी बेटी ने क्या बिगाड़ा था, उसकी तो कोई रंजिश नहीं थी

अक्षया सिंह की हत्या से उसका परिवार बदहवास है। अक्षया सिंह के ताऊ ने बताया पूर्व डीजीपी उनके चाचा हैं। इसलिए अक्षया उनकी नातिन थी। अक्षया की तो किसी रंजिश नहीं थी। वह इंजीनियर बनना चाहती थी। उसने हत्यारों का क्या बिगाड़ा था। सोनाक्षी उसकी सहेली थी। दोनों साथ में कोचिंग जाती थीं। हमारी बेकसूर बेटी को हत्यारों ने मारा है। हम चाहते हैं हत्यारों को कानून के हिसाब से सख्त सजा मिलनी चाहिए। ऐसे लोग समाज के दुश्मन हैं। यह लोग खुले में घूमने देने लायक नहीं है।

सोशल मीडिया पर गुस्सा, मकान तोड़ो

छात्रा की हत्या का आक्रोश सोशल मीडिया पर भी दिख रहा है। इसमें लोग हत्यारों के मकान तोड़ने की मांग कर रहे हैं। पुलिस का कहना है हत्यारोपियों की संपत्ति का पता लगाया जा रहा है। उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

अपराध रोकने में सक्षम नहीं हैं तो उतार फेंकिए यह वर्दी
गौरवशाली इतिहास से परिपूर्ण ग्वालियर में अपराधिक घटनाएं मन को कचोटती हैं। आज हर शहरी का मन गुस्से से भर उठता है जब एक बेटी की कोचिंग से पढ़ाई कर घर लौटते हुए सरेराह गोलियां मारकर हत्या कर दी जाती है। बेटी के साथ वारदात भी बेटी बचाओ चौराहे के पास होती है। एक बेखौफ बदमाश अपने साथियों के साथ भरी भीड़ में आता है, गोलियां चलाता है, जान लेकर चला जाता है। निर्लज्ज भीड़ मूकदर्शक रहती है और पुलिस खाली हाथ। सवाल है कि क्या यह वारदात रोकी जा सकती थी? जो तथ्य सामने आए हैं उनसे तो लगता है अपराध रोकना मुमकिन था। पुलिस को शिकायत मिली थी, लेकिन एक बेटी और उसकी मां की करुण पुकार भी निष्ठुर पुलिस वालों का जमीर नहीं जगा पाई। बेहद लापरवाही से उनको थाने से चलता कर दिया गया। कौन जिम्मेवार है अब बेटी की हत्या का।

अपनी बेटी को खो देने वाले उस परिवार के बारे में सोचकर देखिए जिसने उस बेटी के जन्म के साथ कई सपने संजोए होंगे। उसके जन्म के लिए मन्नतें मांगी होंगी, स्वास्थ्य के लिए मां ने व्रत-उपवास किए होंगे। बेहतर भविष्य की मनोकामना की होगी। पिता ने अपनी कमाई बेटी के आज और कल को संवारने में लर्गाई होगी। इस परिवार ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि कोचिंग से लौटते समय उनकी बेेटी एक सिरफिरे की गोलियों की शिकार बन जाएगी। स्ट्रेचर पर उस बेटी की देह के सामने फफकते परिजन को देखकर पुलिस को लाज नहीं आई होगी। क्या अपनी गलती का अहसास नहीं हुआ होगा। आप पर धिक्कार है, अगर आप बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकते। असुरक्षित शहर की बानगी देखिए, एक दिन में तीन वारदात के बाद पुलिस जागती है, चौराहों पर सशस्त्र नजर आती है, लेकिन इस वर्दी का खौफ कितना है इसका अंदाजा लगाइए। हर सडक़, चौराहे पर चैकिंग करती पुलिस के बीच आधी रात को अपराधी लूट की वारदात कर निकल जाते हैं। आप सोचिए, कहीं पुलिस भरोसा तो नहीं खो रही। भरोसे की बात इसलिए लिखनी पड़ रही है कि सुनसान सडक़ पर एक वर्दीधारी भी हिम्मत जगाने काफी होता है, उसे देखकर सुरक्षा का भाव आता है, लेकिन अभी जो ग्वालियर-चंबल में हो रहा है, उसमें सुरक्षा का अभाव है। अरे साहब बहादुर अपनी कमजोरियों को पहचानिए, उसे दूर कीजिए। राजनीतिक गलियारों की परिक्रमा करने से कर्त्तव्य पूरा नहीं होगा। कुर्सी पर किसी नेता के भरोसे मत विराजिए, जनता की सेवा का फर्ज निभाइए। अब भी समय है, आमजन में भरोसा जगाने वाली खाकी वर्दी के लिए, जनसुरक्षा की उस शपथ के लिए और अपने कर्त्तव्य के लिए कुछ ऐसा करिए कि ग्वालियर आप पर गर्व करे। अगर ऐसा करने में खुद को सक्षम नहीं पाते तो उतार फेंकिए यह वर्दी और छोड़ दीजिए यह दायित्व।

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