हादसों के मददगारों को प्रोत्साहित करने की दरकार ..!

‘गुड सेमरिटन्स’ योजना सरकार ने शुरू की लेकिन जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन शिथिल, प्रशासनिक अधिकारी नहीं दिखा रहे रुचि …

स ड़क हादसों में त्वरित मदद घायलों की जीवन रक्षा के लिए एक संजीवनी जैसी है। घायलों को अस्पताल पहुंचाने या घटनास्थल से हटाकर सुरक्षित करने में एक पल का विलंब भी उनको मौत के और करीब ले जाने जैसा है। सड़क पर होने वाले हादसों में घायलों को तुरंत मदद मिले, इसके लिए सरकार ने मदद करने वालों को पांच हजार रुपए प्रोत्साहन स्वरूप देने की ‘गुड सेमरिटन्स’ योजना शुरू की, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता से ये योजना कभी जनमानस के बीच लोकप्रिय नहीं हो पाई। राह में हादसों के समय लोग मानवतावश मदद जरूर कर देते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में प्रशासन की ओर से प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है। पुलिस केस होने पर ऐसे लोगों से साक्ष्य के लिए जरूर पूछताछ की जाती है। अस्पताल पहुंचाने वाले लोगों को ऐसी असुविधा से बचाने के लिए भी सरकार ने इस योजना में प्रावधान किए हैं। नागरिक चाहें तभी पुलिस ने साक्ष्य जुटाने में मदद मांग सकती है। किसी को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। पिछले दिनों में खरगोन के डोंगरगांव हादसे में नागरिकों ने पूरी शिद्दत के साथ घायलों की मदद की। अपने वाहनों से अस्पताल पहुंचाया लेकिन अभी तक एक भी व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया। खरगोन हादसे में 25 लोगों की मौत हुई लेकिन दर्जनों लोगों को नागरिकों की मदद से ही नदी से बाहर निकाला गया। इसके लिए पुलिस ने 15 मई को 69 ग्रामीणों को सफल रेस्क्यू के लिए सम्मानित भी किया, लेकिन किसी को भी गुड सेमरिटन्स की राशि नहीं मिली। 9 मई को हुए हादसे में ग्रामीणों ने इसकी मिसाल पेश की थी। इससे एक दिन पूर्व सेंधवा के निकट हुए ट्राले के हादसे में भी बड़ी संख्या में लोगों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की, लेकिन इसके विपरीत 1 जुलाई को बुलढाना में बस जलते समय लोग वीडियो बनाते रहे। कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। ‘गुड सेमरिटन्स’ योजना ऐसे हालात पैदा न होने देने के लिए ही बनी है। प्रशासन और सरकार को समझना होगा और उन कारणों को दूर करने के उपाय करने होंगेे, जो इस योजना को लोकप्रिय और अच्छी तरह लागू होने से रोकने में बाधक हो रहे हैं। इसके लिए सबसे पहले तो पांच हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मददगारों को उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करना होगा।

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