क्या इस्लाम में वंदे मातरम् का गायन वर्जित है ?

क्या इस्लाम में वंदे मातरम् का गायन वर्जित है ?

देवेन्द्र फणनवीस ने ऐतराज़ जताया और कहा, वंदेमातरम् तो मातृभूमि के सामने सिर झुकाना है, कोई मजहब ऐसा नहीं है जो मां के सामने सिर झुकाने की इजाज़त न देता हो. यह एक धार्मिक गीत नहीं, राष्ट्र गान है।

वंदे मातरम् को लेकर एक बार फिर सियासत हुई. बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी ने कहा कि मुसलमानों को जबरन वंदे मातरम् गाने पर मजबूर किया जा रहा है, बीजेपी के लोग नारे लगाते हैं कि भारत में यदि रहना होगा तो वंदे मातरम् कहना होगा. अबू आजमी ने कहा कि वो किसी कीमत पर वंदे मातरम् नहीं कह सकते क्योंकि इस्लाम इसकी इजाज़त नहीं देता, मुसलमान किसी की वंदना नहीं कर सकते. इस पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस ने ऐतराज़ जताया. कहा, वंदे मातरम् तो मातृभूमि के सामने सिर झुकाना है, कोई मजहब ऐसा नहीं है जो मां के सामने सिर झुकाने की इजाज़त न देता हो. यह एक धार्मिक गीत नहीं, राष्ट्र गान है.  इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और NCP के नेता बिल्कुल खामोश रहे. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अबू आजमी को समझ लेना चाहिए कि अगर हिन्दुस्तान में रहना है, तो वंदे मातरम् कहना होगा. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के विधायक मुफ्ती इस्माइल ने कहा कि संविधान सबको अपने अपने मजहब के हिसाब से जीने की आजादी देता है, इस्लाम में अल्लाह के सिवाय किसी के सामने सिर झुकाने की इजाजत नहीं है, तो फिर कोई किसी मुसलमान को वंदे मातरम कहने पर मजबूर कैसे कर सकता है. बीजेपी विधायक नीतेश राणे ने अबू आजमी को ज़हरीला सांप बता दिया और यहां तक कह दिया कि जो वंदे मातरम नहीं बोल सकता, संविधान को नहीं मानता, ऐसे सांप को कुचल देना चाहिए. मुझे लगता है कि नीतीश राणे की बात को, उनकी भाषा को, उनके लहज़े  का कोई समर्थन नहीं कर सकता. न ये भाषा ठीक है, न अंदाज़ ठीक है, किसी को सांप कहना, कुचल देना, जीभ काट देना, ये लोकतन्त्र की भाषा नहीं है, न ये सियासी मर्यादा के दायरे में आता है. इसलिए नीतेश राणे को संभल कर बोलना चाहिए. जहां तक अबू आजमी के बयान का सवाल है, वो चाहते थे कि बीजेपी उनकी बात को पकड़ कर बड़ा मुद्दा बनाए. वरना औरंगाबाद में जो घटना हुई थी, उसकी खबर और तस्वीरें मैंने आपको आज की बात में दिखाई थी. उस वक्त मैंने ओवैसी की पार्टी AIMIM के सांसद इम्तियाज़ जलील के रोल की तारीफ की थी, क्योंकि इम्तियाज खुद उस मंदिर में तीन घंटे तक बैठे रहे, जिसे भीड़ ने घेर रखा था. उस वक्त हालात खराब थे, इम्तियाज जलील ने मामले को ठंडा करवाया. पूरे देश ने तस्वीरें देखी थी. अब उस मुद्दे को उठाना,  फिर उसे वंदे मातरम् से जोड़ना बिल्कुल गलत था. इसीलिए देवेन्द्र फडणनवीस ने अच्छा किया कि विधानसभा मे पूरे तथ्यों के साथ अबू आजमी को जबाव दे दिया लेकिन चूंकि अबू आजमी ने वंदे मातरम् का जिक्र सियासी मकसद से किया था, इसीलिए बीजेपी को जबावी हमला करने का मौका मिला गया. अब अबू आजमी के बयान को लेकर बीजेपी के नेता राहुल गांधी,  अखिलेश यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार से पूछ रहे हैं कि क्या वो अबू आजमी के बयान का समर्थन करते हैं. विरोध दलों के गठबंधन का नाम तो इंडिया रख लिया, क्या उनका ‘इंडिया’ वंदे मातरम् कहने से इंकार करने वालों के साथ खड़ा रहेगा?

 

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