मप्र में राष्ट्रीय व राजकीय राजमार्गों में सात हजार से अधिक लोगों की मौत ..!
मध्य प्रदेश में प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए गंभीरता का अभाव, यह है असलियत
मप्र में राष्ट्रीय व राजकीय राजमार्गों में सात हजार से अधिक लोगों की मौत, फिर भी 33 प्रतिशत चौकियों में कर्मचारीनहीं।
भोपाल : मध्य प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए पुलिस महकमा गंभीर नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों पर स्थित 48 पुलिस चौकियों में से 16 में कर्मचारी नहीं होने के कारण बंद हैं।
प्रदेश में हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में जितने लोगों की मौत होती है उनमें लगभग 55 प्रतिशत इन्हीं सड़कों के होते हैं। वर्ष 2022 में सात हजार 182 लोगों की मृत्यु इन सड़कों में हुई है।
इसके बाद भी इन चौकियों में बल पदस्थ नहीं किया जा रहा है। हर चौकी में 11 पुलिसकर्मी रहते हैं। यह दुर्घटना में घायलों की मदद, वाहन चालकों की निगरानी, चालानी कार्यवाही का काम करते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इसी वर्ष बल मिलने की उम्मीद है।
पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष राष्ट्रीय राजमार्गों पर 13 हजार 680 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें चार हजार 25 लोगों की मौत हुई और 13 हजार 911 लोग घायल हुए। इसी प्रकार राजकीय राजमार्गों में 11 हजार 829 दुर्घटनाओं में तीन हजार 157 लोगों की जान चली गई और 12 हजार 471 लोग घायल हुए।
दोनों मार्गों में दुर्घटना के शिकार हुए लोगों में 20 प्रतिशत से अधिक मौत हो गई। इसकी मुख्य वजह यह कि यहां वाहनों की गति निर्धारित सीमा से बहुत ज्यादा रहती है। दुर्घटना संभावित क्षेत्र (ब्लैक स्पाट) भी अन्य सड़कों की तुलना में अधिक हैं। इन 48 चौकियों के अतिरिक्त 25 पुलिस चौकी और स्वीकृत हैं, पर इन्हें बनाने के लिए सड़क किनारे जगह ही नहीं मिल पा रही है।