कूनो में चीतों की मौत को लेकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत में बताया कि कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य (केएनपी) में पांच वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत परेशान करने वाली है, लेकिन अनावश्यक रूप से चिंताजनक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि हालांकि एहतियात बरतते हुए चीतों की चिकित्सकीय जांच की जा रही है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीतों को मध्य प्रदेश के केएनपी लाया गया था। बाद में नामीबियाई चीता ज्वाला से चार शावकों का जन्म दिया था। इस प्रकार कुल 24 चोतों में से तीन शावकों समेत आठ की मौत हो चुकी है। मौत का कारण चीतों में रेडियो कॉलर के कारण फैला संक्रमण बता गया था।
पर्यावरण मंत्रालय और एनटीसीए की ओर से दायर संयुक्त हलफनामे में चीतों की मौत का कारण प्राकृतिक बताया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी चीते की मौत अप्राकृतिक कारणों जैसे शिकार, जहर, दुर्घटना, बिजली के झटके आदि से नहीं हुई है। इसमें कहा गया है कि देश के पारिस्थितिकी तंत्र के चलते व्यस्क चीतों की जीवित रहने की दर बहुत कम 50 प्रतिशत है।
सरकार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान में वैकल्पिक स्थलों की पहचान की
पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में चीता के लिए वैकल्पिक एवं संभावित स्थलों की पहचान की है। इनमें मध्य प्रदेश में गांधी सागर और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य, राजस्थान में शाहगढ़ बुलगे, भैंसरोड़गढ़ और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व शामिल हैं। हालांकि, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व वर्तमान में चीतों को रखने के लिए उपयुक्त नहीं है।
एक साल में 40 प्रतिशत मौत
इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने पूछा कि सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना लिया है। उन्हें एक जगह रखने के बजाय आप उनके लिए एक से ज्यादा आवास क्यों विकसित नहीं करते, फिर भले ही कोई भी राज्य या किसी भी सरकार हो। एक साल के भीतर 40% मौतें हो गईं और इससे अच्छी तस्वीर नहीं बन रही है।
अब 16 चीते शेष
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से दो बैच में 20 चीतों को लाकर बसाया गया है। सितंबर में नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे और फरवरी 2023 में 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से। भारत में 1952 में चीते विलुप्त हो गए थे और उसके सात दशक बाद यह भारत में बसाने की पहल के तौर पर प्रोजेक्ट चीता ने आकार लिया है। जिन आठ चीतों की मौत हुई हैं, उनमें तीन वयस्क चीते हैं जिन्हें खुले जंगल में छोड़ा गया था। दो चीतों की मौत बाड़े में ही हुई है। वहीं कूनो में चार शावकों का जन्म हुआ था, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है। अब कूनो में 16 चीता हैं, जिनमें एक शावक भी शामिल है।