परिवारवाद की ओर बढ़ता हाथी ?

BSP में आकाश के ससुर की बढ़ती पावर….

मायावती ने 3 और राज्यों का प्रभारी बनाया, अब 10 की कमान…परिवारवाद की ओर बढ़ता हाथी ….

बसपा यानी बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने हमेशा परिवारवाद का विरोध किया। हमेशा कहते थे कि राजनीति में परिवारवाद और भाई-भतीजावाद की कोई जगह नहीं है। यही वजह रही कि अपनी राजनीतिक विरासत उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य की बजाए मायावती को सौंपी। परिवारवाद को लेकर मायावती भी कांग्रेस, बीजेपी, सपा पर हमेशा हमलावर रहीं। लेकिन, अब तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है। मायावती परिवारवाद की तरफ बढ़ती नजर आ रही हैं।

मायावती ने जून महीने में अपने भतीजे आकाश आनंद को उन 4 राज्यों का चुनाव प्रभारी बनाया। जहां कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल हैं। इससे पहले, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जबकि आनंद को पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया। चर्चा ये है कि जल्द ही आकाश की यूपी में भी बड़ी भूमिका मिल सकती है।

भाई और भतीजे के बाद मायावती ने भतीजे आकाश के ससुर और पार्टी के पुराने नेता डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को 3 और राज्यों का प्रभारी बनाया है।

चर्चा ये है कि जल्द ही आकाश आनंद की यूपी में भी बड़ी भूमिका देखने को मिल सकती है।
चर्चा ये है कि जल्द ही आकाश आनंद की यूपी में भी बड़ी भूमिका देखने को मिल सकती है।

अशोक सिद्धार्थ को अब 10 राज्यों की कमान
मायावती एक तरफ जहां अपने भतीजे आकाश आनंद को राजनीति में जोरदार ढंग से प्रमोट कर रही हैं। वहीं, अब आकाश की मदद के लिए उनके ससुर पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ को उन 3 राज्यों का प्रभारी बना दिया है। जहां आकाश आनंद पहले से ही चुनाव प्रभारी के तौर पर काम देख रहे हैं। इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।

आकाश के ससुर और पार्टी के पुराने लॉयलिस्ट पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ को 3 राज्यों का प्रभारी बनाया गया है।
आकाश के ससुर और पार्टी के पुराने लॉयलिस्ट पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ को 3 राज्यों का प्रभारी बनाया गया है।

अशोक सिद्धार्थ पहले से ही 7 राज्यों के प्रभारी के तौर पर कामकाज देख रहे हैं। इनमें तमिलनाडु, केरल, पुदुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और दिल्ली हैं। तीन और राज्यों के बाद अब अशोक सिद्धार्थ को कुल 10 राज्यों की जिम्मेदारी मिल गई है।

हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भी अशोक सिद्धार्थ को मायावती ने यूपी के कई मंडलों की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन जब विधानसभा चुनाव में बसपा को महज एक सीट मिली तो उनसे वो जिम्म्मेदारी वापस ले ली थी और दूसरे राज्यों में भेज दिया था।

कभी बसपा में था सतीश चंद्र मिश्रा का दबदबा
बसपा की अगर बात करें तो पार्टी में कई राष्ट्रीय महासचिव हैं। एक वक्त था कि पार्टी के सबसे ताकतवर महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा हुआ करते थे। पार्टी के हर निर्णय में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हुआ करती थी। कई राज्यों का प्रभार उनके पास रहता था। लेकिन, फिर 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद उनकी भूमिका पार्टी में कम होने लगी।

कई खास मौके पर उनकी उपस्थिति जब देखने को नहीं मिली तो सियासी गलियारों में तमाम चर्चाएं भी उठीं। हालांकि, पार्टी में वह अभी भी राष्ट्रीय महासचिव हैं। मायावती की बैठक में आगे की कतार में नजर तो आते हैं। लेकिन, अब उनका दबदबा पहले जैसा नजर नहीं आता।

परिवारवाद के आरोप पर घिरी बसपा

जिस तरह से बसपा में अब भाई भतीजावाद और परिवारवाद की झलक देखने को मिल रही है। उसे लेकर यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का साफ तौर पर कहना है कि बसपा परिवारवाद की ओर बढ़ रही है। विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडेय ने …….लोग अपनी सुविधा के हिसाब से ही हर एक चीज का विश्लेषण करते हैं। तभी मायावती अपनी सुविधा के हिसाब से ये आरोप लगाया करती थीं, लेकिन अब वो अपनी सुविधा के अनुसार इसका इस्तेमाल कर रही हैं।

परिवारवाद के रंग में हर पार्टी रंगी …..

हर राजनीतिक दल में परिवारवाद की झलक

लखनऊ से सांसद और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बड़े बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं।
लखनऊ से सांसद और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बड़े बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं।

सियासी पार्टी कोई भी हो उसमें साफ तौर से परिवारवाद झलकता है। अगर बीजेपी की बात करें तो उत्तर प्रदेश में लखनऊ से सांसद और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नोएडा से उनके विधायक बेटे पंकज सिंह को लेकर विपक्ष लगातार भाजपा पर परिवारवाद को लेकर हमलावर रहा है।

इतना ही नहीं बीजेपी के सहयोगी दलों की अगर बात करें तो निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद खुद एमएलसी हैं। उनका बड़ा बेटा प्रवीण निषाद बीजेपी के सिंबल से सांसद है। उनका छोटा बेटा सरवन निषाद भी बीजेपी के ही सिंबल से विधायक है। अब वो अपने डॉक्टर बेटे को भी राजनीति में लाने की तैयारी कर रहे हैं।

इसके अलावा, अगर अपना दल (सोनेलाल) की बात करें तो उसकी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल सांसद हैं, केंद्र सरकार में मंत्री हैं। जबकि उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और एमएलसी हैं। अगर सुभासपा की बात करें तो ओमप्रकाश राजभर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो उनके बेटे अरविंद और अरुण राजभर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं।

अगर समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव, डिंपल यादव, प्रोफेसर राम गोपाल यादव, शिवपाल यादव धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव, तेज प्रताप यादव, अंशुल यादव एक ही परिवार के यह सारे नाम हमेशा से ही दूसरे दलों के लिए परिवारवाद को लेकर सपा को घेरने का एक बड़ा हथियार रहा है। यानी शायद इन पार्टियों को ये लगता है कि बिना परिवारवाद के वो सियासत में आगे नहीं बढ़ सकतीं।

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