मध्य प्रदेश पर बीजेपी का क्यों है इतना फोकस?

मध्य प्रदेश पर बीजेपी का क्यों है इतना फोकस? चुनाव से 3 महीने पहले एक्टिव है केंद्रीय नेतृत्व
मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है. राज्य में 230 सीटें हैं और बीजेपी फिर से सरकार बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. पार्टी ने चुनाव ऐलान से पहले ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर जाने वाले हैं. सवाल है कि बीजेपी इतनी एक्टिव क्यों है राज्य में और वो भी चुनाव से करीब 3 महीने पहले.

मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है सत्ता की लड़ाई और भी तेज हो रही है. इसी कड़ी में बीजेपी ने सूबे की 230 सीटों पर कब्जे के लिए खास प्लान बनाया है. इस प्लान के तहत देश के 4 राज्यों के बीजेपी के 230 विधायक मध्य प्रदेश में पहुंचे हुए हैं. यूपी, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र से आए इन विधायकों को शनिवार को भोपाल में ट्रेनिंग दी गई. प्रशिक्षण शिविर में एमपी में बीजेपी चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मौजूद रहे.

मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव होना है. बीजेपी 39 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. सवाल है बीजेपी को आखिर ट्रेनिंग की जरूरत क्यों पड़ी. आपको कुछ प्वाइंट्स में इसे समझाते हैं.

  • सबसे पहले बीजेपी की कोशिश है पार्टी के अंदर की गुटबाजी को खत्म करने की इन विधायकों से कहा गया है कि आप जिस भी विधानसभा में जा रहे हैं आपको वहां पर गुटबाजी खत्म करवानी है. जो नेता विरोधी हैं तो उन्हें साथ लाएं. आपसी सामंजस्य बैठाएं.
  • इसके अलावा ये भी काम दिया गया है कि कोई प्रभावशाली विपक्षी नेता है तो उसे पार्टी में शामिल करवाएं. अगर आपके विधानसभा में कोई विपक्ष का नेता प्रभावी है तो अपने जिला अध्यक्ष से बात करें. उसे बीजेपी में शामिल करवाएं. अगर बात नहीं बनती है तो नरेंद्र सिंह तोमर से संपर्क करें.
  • कोई गुटबाजी के चलते शामिल नहीं होने दे रहा तो विधायक ये बात रिपोर्ट करें. अगर बीजेपी का ही नेता किसी विपक्षी नेता को शामिल नहीं होने दे रहा तो इसके लिए भी हाई कमान को बताएं.

अब सवाल है आखिर बीजेपी का प्लान क्या है और कैसे इन विधायकों के जरिए मध्य प्रदेश में जीत की तैयारी कर रही है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, ट्रेनिंग के बाद 20 से 26 अगस्त तक ये विधायक प्रदेश के अलग-अलग विधानसभा सीटों में दौरा करेंगे. राज्य में कुल 230 विधानसभा सीट हैं और विधायक भी इतने ही हैं लिहाजा प्लान है हर विधानसभा क्षेत्र में एक विधायक की ड्यूटी लगाई जाएगी. विधायक स्थानीय नेताओं के अलावा स्थानीय लोगों से चर्चा करके लोकल मुद्दों पर रिपोर्ट बनाएंगे. ये सर्वे रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जाएगी. विधायक विधानसभा उम्मीदवारों के नामों का पैनल तैयार करेंगे.

अमित शाह का दौरा

20 अगस्त को बीजेपी ने वृहद प्रदेश कार्यसमिति की बैठक ग्वालियर में बुलाई है. गृह मंत्री अमित शाह इस बैठक में आगे चुनावी रणनीति की दिशा-दशा यानी चुनावी रोड मैप तय करेंगे. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के करीब 1200 नेताओं को इस बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया है. कुल 20 श्रेणी के नेताओ को बैठक में आमंत्रित किया गया है. ये अपने आप में पहली बार खास तरह की बैठक बुलाई गई है जिसमें प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण नेताओ को एक मंच पर अमित शाह ने बुलाया है.

ग्वालियर में बैठक के मायने

ये बैठक सुबह 10:30 बजे से अटल बिहारी वाजपेई सभागार, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर में आहूत की जाएगी. बैठक के बाद दोपहर बाद अमित शाह शामिल होंगे. इस बैठक से पहले अमित शाह भोपाल में दोपहर बारह बजे गरीब कल्याण महाअभियान कार्यक्रम को लॉन्च करेंगे, जिसमे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहेंगे.

गरीब कल्याण महाअभियान कार्यक्रम के जरिए बीजेपी मध्य प्रदेश सरकार के बीस साल के कामकाज की रिपोर्ट कार्ड जनता के समक्ष रखेगी. इसमें 15 महीने के कमलनाथ सरकार के कामकाज को छोड़कर बीजेपी सरकार के काम काज का पूरा लेखा जोखा होगा. इतना ही नहीं अपने रिपोर्ट कार्ड के जरिए बीजेपी दिग्विजय सिंह सरकार के दस साल के कामकाज की तुलनात्मक जानकारी भी जनता के सामने रखेगी.

बृहद प्रदेश कार्यसमिति को कार्यक्रम में अंत में अमित शाह जीत का मंत्र भी देंगे. खास बात ये है कि बृहद कार्यसमिति की बैठक ग्वालियर संभाग में रखी गई है इसके पीछे की वजह ये है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन इस संभाग में रहा था. लिहाजा बीजेपी वहां अपने जड़ को मजबूत करने में लगी है. मध्य प्रदेश का चुनावी कमान संभालने के बाद गृह मंत्री अमित शाह का बीजेपी के इस कमजोर संभाग की ये पहली यात्रा होगी.

सवाल तो ये भी है बीजेपी को इसकी जरूरत क्यों पड़ी. क्यों केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश में अचानक एक्टिव हो चुका है. बताया जा रहा है इस बार मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर होने वाली है. कर्नाटक जीतने के बाद से ही कांग्रेस एमपी में पूरा जोर लगा रही है. पिछले कुछ दिनों की घटनाओं को देखेंगे तो कांग्रेस अब हिंदुत्व के तीर से बीजेपी के हिंदू वोटबैंक को भेदने की पूरी कोशिश कर रही है. ऐसे में बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में सत्ता को बरकरार रखना बड़ी चुनौती है.

बीजेपी के लिए चिंता की बात ये भी है कि इसी साल की शुरुआत में कुछ सर्वे रिपोर्ट्स भी आई थी जिनमें बीजेपी के लिए संकेत अच्छे नहीं थे. इसके अलावा टिकट कटने पर बगावत, बड़े नेताओं की नाराजगी, एंटी इनकम्बेंसी का खतरा…ऐसे कई कारण हैं जो एमपी में सत्ता में बने रहने का ख्वाब देख रही बीजेपी को परेशान कर रहे हैं, लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि बीजेपी के पास संगठन का जबरदस्त बल है और बीजेपी की पूरी मशीनरी साल भर चुनावी मोड में रहती है. इसलिए बीजेपी के पास रिकवरी का चांस भी है. मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने 150+ सीटों और 51 फीसदी वोट का लक्ष्य रखा है, जबकि प्रदेश में 230 सीटों की विधानसभा है और बहुमत के आंकड़े के लिए किसी भी पार्टी को 116 सीटो की जरूरत होती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *