महाराष्‍ट्र में बीजेपी+ को बहुमत, हरियाणा में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्‍कर

नई दिल्ली: हरियाणा (Haryana Assembly Elections 2019) और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव  के शुरुआती रुझानों में दोनों ही राज्‍यों में हरियाणा की सभी 90 सीटों के रुझानों में पल-प्रतिपल बदलाव देखने को मिल रहा है. शुरुआती रुझानों में बीजेपी को बहुमत मिलता दिख रहा था लेकिन फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्‍कर देखने को मिल रही है. इस वक्‍त के रुझानों में बीजेपी 39 और कांग्रेस 30 सीटों पर आगे दिख रही है. दुष्‍यंत चौटाला की नवगठित जेजेपी 15, इनेलो 4 और अन्‍य 2 सीटों पर आगे है. इस तरह रुझानों के मुताबिक यदि किसी दल को हरियाणा में अपने दम पर बहुमत नहीं मिलता तो जेजेपी किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है. यानी सत्‍ता की चाबी जेेजेपी के पास पहुंच सकती है.

बदलते रुझानों के बीच सूत्रों के मुताबिक सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने जेजेपी से संपर्क किया है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला से संपर्क किया. दुष्‍यंत चौटाला ने इन रुझानों के बीच दावा करते हुए कहा भी है कि मेरे पास सत्‍ता की चाबी है. हरियाणा में बदलाव होगा. सूत्रों के मुताबिक त्रिशंकु विधानसभा होने पर कल जेजेपी अपने विधायकों से मंत्रणा करेगी. कल विधायकों से रायशुमारी कराई जा सकती है. विधायक दल की बैठक में तय होगा कि किसके साथ जाना है. हालांकि पूर्व मुख्‍यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलेगा और सरकार कांग्रेस की ही बनेगी. भूपिंदर सिंह हुड्डा खुद गढ़ी सांपला से आगे चल रहे हैं.

महाराष्‍ट्र
दूसरी तरफ महाराष्‍ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन 186+ सीटों पर आगे है. इनमें से बीजेपी 112, शिवसेना 74, कांग्रेस 42, एनसीपी 44 सीटों पर आगे है. अन्‍य 16 सीटों पर आगे हैं. इस तरह रुझानों के मुताबिक सत्‍तारूढ़ गठबंधन दो-तिहाई बहुमत की तरफ बढ़ रहा है लेकिन बीजेपी को अकेले अपने दम पर बहुमत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें मिली थीं. मौजूदा रुझानों के मुताबिक बीजेपी अपनी पुरानी स्थिति को भी बरकरार रखती नहीं दिख रही है. वहीं दूसरी ओर शिवसेना पिछले बार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है. पिछले चुनावों में शिवसेना को 61 सीटों पर जीत मिली थी.

UP
उत्तर प्रदेश में हुए उप-चुनाव की गुरुवार को हो रही मतगणना के शुरुआती रूझानों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तीन सीटों पर बढ़त मिल रही है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) दो, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और अपना दल एक-एक पर आगे चल रही है. भाजपा लखनऊ कैंट, घोसी और बलहा सीटों पर आगे चल रही है जबकि सपा रामपुर और जैदपुर सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बसपा इगलास में और अपना दल प्रतापगढ़ में बढ़त पर है.

बिहार
बिहार में लोकसभा की एक और 5 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की मतगणना गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जारी है. पहले बैलेट पेपर की मतगणना हो रही है. इस उपचुनाव में 51 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनके राजनीतिक भाग्य का फैसला होगा. शुरुआती रूझानों में समस्तीपुर लोकसभा से लोजपा प्रत्याशी प्रिंस राज आगे चल रहे हैं.

सतारा
सतारा लोकसभा उपचुनाव में शरद पवार की पार्टी एनसीपी आगे चल रही है. भले ही महाराष्‍ट्र में बीजेपी-शिवसेना दो-तिहाई बहुमत की ओर बढ़ रही है लेकिन मतगणना से पहले ही महाराष्‍ट्र में बीजेपी जीत को लेकर पहले से ही आश्‍वस्‍त लग रही थी. इसकी बानगी इस रूप में समझी जा सकती है कि मतगणना से ही राज्‍य बीजेपी के दफ्तर में लड्डू तैयार किए जा रहे थे. पूरे बीजेपी ऑफिस को दुल्‍हन की तरह सजा दिया गया था.

केरल
पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की अगुआई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने चार सीटों पर बढ़त बनाई हुई है वहीं शेष एक सीट पर माक्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) आगे है.

वैसे ये चुनावी नतीजे वहां के मुख्यमंत्रियों मनोहर लाल खट्टर और देवेंद्र फडणवीस का कद तय करेंगे. अगर दोनों राज्यों में पिछली बार से ज्यादा सीटें आईं तो मुख्यमंत्रियों का पार्टी में कद बढ़ेगा, वहीं अगर सीटों का नुकसान हुआ तो पार्टी के अंदरखाने दोनों के नेतृत्व पर भी सवाल उठ सकते हैं. दरअसल, 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों राज्यों में पार्टी ने कोई स्थानीय चेहरा तय किए बगैर ही चुनाव लड़ा था. मई में तब मोदी सरकार सत्ता में आई थी. भाजपा के पक्ष में तेज लहर चल रही थी, उसी मोमेंटम में करीब पांच महीने बाद ही अक्टूबर में दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए और भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जीत की लय बरकरार रखी.

हरियाणा में 47 सीटें जीतकर पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाई थी तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक 122 सीटें जीतने के बाद भी बहुमत से दूर रहने पर शिवसेना के साथ गठबंधन कर सरकार बनाना पड़ा था.

भाजपा ने दोनों राज्यों का विधानसभा चुनाव तब प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ा था. नतीजे घोषित होने के बाद पार्टी ने हरियाणा में गैर जाट मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में गैर मराठा ब्राह्मण चेहरे फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था.

मगर इस बार पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों के चेहरे को ही आगे कर चुनाव लड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह राज्यों की हर चुनावी रैली में मुख्यमंत्रियों का गुणगान करते रहे.

भाजपा सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पहले ही इस बात से खट्टर और फडणवीस दोनों भलीभांति वाकिफ रहे, यही वजह है कि उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी. चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से पहले ही सभी सीटों से गुजरने वाली यात्राएं कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया.

भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अगर हरियाणा में पार्टी की इस बार 47 से ज्यादा सीटें आईं और महाराष्ट्र में पिछली बार की 122 से ज्यादा सीटें आईं तो तब तो माना जाएगा कि दोनों चेहरे चुनाव में चल गए और अगर इससे कम सीटें आईं तो माना जाएगा कि पार्टी की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे. वहीं पार्टी के अंदर मौजूद दोनों मुख्यमंत्रियों का विरोधी धड़ा भी नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े कर सकता है.

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