Noida: फर्जी कॉल सेंटर से होती थी प्रतिदिन 30 लाख की कमाई !
फर्जी कॉल सेंटर से होती थी प्रतिदिन 30 लाख की कमाई, ठगने के लिए पूर्वोत्तर के युवाओं को चुना
अमेरिका लोगों को ठगने वाले कॉल सेंटर से एक दिन की कमाई करीब 36 हजार यूएस डालर है। जोकि भारतीय मुद्रा का लगभग 30 लाख रुपये होता है। अमेरिकी लोगों को ठगी का शिकार बनाने के लिए गिरोह के सरगना ने पूर्वोत्तर के युवाओं को रखा गया था। इसके पीछे का कारण है कि पूर्वोत्तर के युवाओं का अंग्रेजी उच्चारण अमेरिकन है और वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं।
- वेतन के साथ कमीशन देता सरगना
- रात में होता था ठगी का काम
नोएडा। अमेरिका लोगों को ठगी का शिकार बनाने के लिए गिरोह के सरगना ने पूर्वोत्तर के युवाओं को स्पार्क फेक्टर प्राइवेट लिमिटेड नाम से संचालित फर्जी काल सेंटर में कॉलिंग के लिए के लिए रखा था। इसका कारण है कि ज्यादातर पूर्वोत्तर के युवाओं का अंग्रेजी उच्चारण अमेरिकन है और वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं।
स्नातक की पढ़ाई किए हैं सभी आरोपी
सरगना की ओर से 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन और कमिशन भी दिया जाता था। सभी आरोपी स्नातक हैं। ज्यादातर आरोपित एक दूसरे के परिचित हैं। जिन्होंने अपने बेरोजगार साथियों को कमाई का लालच दिल्ली लाकर ठगी के गिरोह से जोड़ा। जिस वक्त कॉल सेंटर खुला था उस वक्त यहां सिर्फ 10 से 15 लोग ही काम करते थे, लेकिन बाद में संख्या बढ़ती गई।

सप्ताह में चार दिन होता था काम
कॉल सेंटर में ठगी का काम रात में होता था, क्योंकि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के बीच कुल समय का अंतर 9 घंटे और 30 मिनट है। ज्यादातर युवक और युवतियां ऑफिस की कैब के अलावा ऑटो, बस, मेट्रो से सफर कर कॉल सेंटर पर आते-जाते थे। कॉल सेंटर में सप्ताह में चार दिन काम होता था। यहां काम करने वाली युवाओं को ठगी के बारे में मालूम था।
30 लाख रुपये एक रोज की कमाई
इसलिए पुलिस ने कॉल सेंटर में काम करने वाले युवाओं को सह आरोपित बनाया है। पूछताछ पर यह भी पता चला है कि सभी लोगों का बॉस दिल्ली का हर्षित और योगेश उर्फ अन्ना है। वहीं कॉल सेंटर की देखरेख का काम गाजियाबाद का विवेक करता था। कॉल सेंटर से एक दिन की कमाई करीब 36 हजार यूएस डालर है। जोकि भारतीय मुद्रा का लगभग 30 लाख रुपये होता है। दोनों सरगना कभी-कभी नोएडा के आफिस में आते थे।
इन जगह के रहने वाले हैं आरोपित
गिरफ्तार लोगों में 46 पुरुष व 38 महिला हैं। गिरफ्तार आरोपितों में दिल्ली, बंगलुरू कर्नाटक, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, हरियाणा के गुरूग्राम, महाराष्ट्र के अमरावती के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों के युुवक और युवतियां है। एक युवक नेपाल के सुनसरी का है। जबकि ज्यादातर आरोपित नागालैंड के दीमापुर, फेक, जिनवटो, ओखा जिले हैं। वहीं मणिपुर के सेनापति, तामेंगलांग, नोती, चुर्चानपुर, चुराचानपुर, चंदेल, चांडिल, सीसीपुर के भी आरोपित है। ज्यादातर की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच है।
दिल्ली के इन इलाकों में रहते हैं युवक और युवतियां
जहां पूर्वोत्तर राज्य के युवकों को पाकेट-3 सेक्टर-25 रोहणी, दयाल सर रोड उत्तम नगर, पंजाबी ढाबा व टीचर कॉलोनी, गोशाला, बीजेपी दफ्तर, शनि बाजार के पास किशनगढ़, गुप्ता कॉलोनी मालवीय नगर, डिपार्टमेंट स्टोर किशनगढ़ बसंत कुंज, चानाक्यपुरी, के-2 ब्लाक व छोटी रेडलाइट महिपालपुर, महारानी बाग, लवानिया प्वाइंट, मेट्रो स्टेशन छतरपुर के पास, मदनगीरी, होली चौक, मुनिरका साउथ, गुप्ता कॉलोनी महारानी बाग, नेताजी सरोजनी नगर, कोटला मुबारकपुर, नारायणा विलेज धौलाकुआं में किराये के मकान और पीजी में ठहराया जाता था।
वहीं महिलाएं ज्यादातर बाबा बेकरी मुनरिका, पंजाबी ढाबा किशनगढ़, कोटला मुबारक दिल्ली, टीचर कॉलोनी दिल्ली के इलाकों में पीजी और किराये पर कमरा लेकर रह रही थी। ज्यादातर किराये पर कमरा लेने के लिए सिर्फ आधार और पहचान पत्र दे रखा था। पुराने साथी नए लोगों को ठहरने में मदद करते थे। गिरफ्तार युवकों में कुछ मणिपुर में जातीय हिंसा प्रभावित इलाकों से भी हैं। पुलिस की टीम जांच कर रही है कि आरोपितों का संबंध मणिपुर हिंसा से तो नहीं है।
क्या होता है एसएसएन
एसएसएन नंबर का मतलब सोशल सिक्योरिटी नंबर होता है। यह अमेरिकी लोगों का पहचान पत्र है। जैसे भारत में आधार नंबर होता है। वैसे ही अमेरिका में एसएसएन नंबर है। इस नंबर से अमेरिकी नागरिकों की बैंक डिटेल्स, घर, वाहन नंबर, मोबाइल से लेकर अन्य सभी तरह की पहचान होती है।