11 साल में सिर्फ 16 महीने जेल में रहा अमरमणि ?
11 साल में सिर्फ 16 महीने जेल में रहा अमरमणि …
बाकी वक्त पत्नी के साथ BRD में भर्ती रहा; MP-MLA कोर्ट ने पूछा-आखिर कौन सी बीमारी है
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा से रिहाई के बावजूद पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसी कौन-सी बीमारी है, जिसकी वजह से सजा का ज्यादातर समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीता। इस पर बस्ती MP-MLA कोर्ट ने भी गोरखपुर CMO से रिपोर्ट मांगी है।
दरअसल, हरिद्वार जेल में सजा काट रहे अमरमणि को मार्च 2012 और पत्नी मधुमणि को दिसंबर 2008 में गोरखपुर लाया गया था। गोरखपुर में 11 साल 5 महीने की सजा के दौरान अमरमणि ने केवल 16 महीने ही जेल में काटे। उनका बाकी समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में बीता है।
……रिहाई के बाद भी अमरमणि की मुश्किलें क्यों कम नहीं हो रही और मधुमिता शुक्ला की हत्या की असल सजा उसने कैसे काटी…
अमरमणि के हाजिर न होने पर कोर्ट ने सवाल किए
दरअसल, शुक्रवार को करीब 18 साल की सजा काटने के बाद अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पहले रिहाई तो हो गई, लेकिन बस्ती में किडनैपिंग के 22 साल पुराने केस में 14 अगस्त को अमरमणि कोर्ट में पेश नहीं हुए। इस पर बस्ती MP-MLA कोर्ट ने गोरखपुर CMO से अमरमणि के स्वास्थ्य की रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने पूछा- आखिर उन्हें ऐसी कौन सी बीमारी है कि वे कोर्ट नहीं आ सकते। कोर्ट ने 24 अगस्त की सुनवाई में रिपोर्ट सौंपने को कहा था, लेकिन अभी तक तो मेडिकल बोर्ड का गठन ही नहीं हुआ। आज मामले की सुनवाई होनी है। इस मामले में गैर हाजिर चल रहे 2 अन्य आरोपियों को पेश करने के लिए DGP और मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है।
कोर्ट में पेश करेंगे रिपोर्ट
मामले पर CMO गोरखपुर आशुतोष कुमार दुबे ने कहा- कोर्ट का आदेश मिला है। इसके अनुपालन में जल्द मेडिकल बोर्ड गठित कर अमरमणि त्रिपाठी के स्वास्थ्य की जांच कराकर रिपोर्ट MP-MLA कोर्ट में पेश की जाएगी।
वह मामला पढ़िए जिसको लेकर कोर्ट ने रिपोर्ट तलब की
2001 में बस्ती कोतवाली इलाके के गांधीनगर निवासी धर्मराज गुप्ता के बेटे का अपहरण हो गया था। पुलिस ने तत्कालीन विधायक अमरमणि त्रिपाठी के लखनऊ स्थित आवास से बच्चे को बरामद किया था। इस मामले में 9 आरोपी हैं, जिसमें अमरमणि, नैनी शर्मा और शिवम उर्फ रामयज्ञ गैरहाजिर चल रहे हैं। मामले में 22 साल से कोर्ट की कार्यवाही चल रही है।
- अब आइए जानते हैं, अमरमणि ने 11 साल 5 महीने की सजा के दौरान गोरखपुर जेल में सिर्फ 16 महीने कैसे काटे…
कत्ल, गवाहों को धमकी, फिर केस देहरादून ट्रांसफर
लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या हुई। CBI जांच के दौरान अमरमणि पर गवाहों को धमकाने के आरोप लगाए गए, तो मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।
कोर्ट ने मामले में 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, मधुमणि और अमरमणि के भतीजे रोहित चतुर्वेदी सहित 2 अन्य लोगों को हत्या की साजिश रचने और मधुमिता की हत्या करने के लिए दोषी ठहराया था। जुलाई 2012 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी दोषियों को CBI कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने अमरमणि के एक अन्य सहयोगी प्रकाश पांडे को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
10 साल में सिर्फ 16 महीने जेल में रहे अमरमणि
मधुमणि त्रिपाठी 4 दिसंबर, 2008 को उत्तराखंड के हरिद्वार जेल से ट्रांसफर होकर गोरखपुर जेल आई थी। 2008 में महराजगंज के एक चेक बाउंस के एक मामले में मुकदमे का सामना करने के लिए उसे उत्तराखंड से गोरखपुर जेल लाया गया था। इसके बाद से वह वापस नहीं गई। मधुमणि को 16 अप्रैल 2012 को जेल के एक डॉक्टर की सिफारिश पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेजा गया था।
बीआरडी में काटी हत्या की सजा
जबकि, अमरमणि 13 मार्च, 2012 को हरिद्वार जेल से ट्रांसफर होकर गोरखपुर जेल आए। फिर 27 फरवरी, 2014 को अमरमणि को भी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुआ। यहां आने के बाद उसे एक प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराया गया। इसके बाद दोनों वापस नहीं गए और अब तक बीआरडी में ही भर्ती हैं। इस तरह 11 साल 5 महीने गोरखपुर जेल में रहने के दौरान अमरमणि ने सिर्फ 16 महीने ही जेल में रहा। जबकि, बाकी का समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीता।
हॉस्पिटल का कमरा नंबर 16 मिटा कर बना दिया घर
सजा के दौरान अमरमणि और उसकी पत्नी कहने को तो जेल में रहे, लेकिन उनकी जिंदगी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कटी। अमरमणि को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय के प्राइवेट वार्ड के कमरा नंबर-8 में रखा गया था। हालांकि, अधिकांश दिन, वह उसी गलियारे में ऊपर कमरा नंबर 16 में पाया जाता था, जहां उसकी पत्नी भर्ती थी।
लोगों की नजरों से बचने को दरवाजे के पर्दे हमेशा खिंचे रहते थे। खिड़कियां सील कर दी जाती थीं। इस कमरे के ऊपर नंबर भी नहीं लिखा गया। यह कमरा सीढ़ियों से सटा है, इसके बाहर हमेशा लोग रहते हैं। कमरे के बाहर पुलिसकर्मी तैनात रहते थे।
कोर्ट के आदेश पर हटाए गए थे प्रिंसिपल, SIC और डॉक्टर
हालांकि, बीआरडी में भर्ती रहने के दौरान इस मामले ने कई बार तूल पकड़ा। साल 2015 में मधुमिता हत्याकांड की पैरवी कर रही निधि शुक्ला की शिकायत पर कोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से भी बीमारी के बारे में जानकारी पूछ लिया। उस वक्त भी कोई संतोषजनक जवाब न दे पाने पर कोर्ट ने तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. आरपी शर्मा के साथ ही SIC डॉ. बीएन शुक्ला और सर्जरी विभाग के डॉक्टर आरडी रमन को तत्काल प्रभाव हटाने का आदेश दिया।
कार्रवाई के बाद फिर बीआरडी में हो गए भर्ती
कोर्ट की सख्ती के बाद महानिदेशक चिकित्सा ने प्रिंसिपल को चिकित्सा कार्यालय से संबद्व कर दिया। जबकि, डॉ. बीएन शुक्ला को महराजगंज और आरडी रमन को जिला अस्पताल भेज दिया। कुछ समय के लिए अमरमणि और मधुमणि भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज से जेल भेज दिए गए, लेकिन, दोबारा तबीयत बिगड़ने पर फिर प्राइवेट वार्ड में भर्ती हो गए।
अमरमणि को ऐश कराने पर पुलिसवाले भी हुए थे सस्पेंड
लोगों का कहना है कि मधुमणि ज्यादातर अस्पताल तक ही सीमित रहती थी, लेकिन अमरमणि हर सुबह जेल से बाहर जाता था। मेडिकल कॉलेज में फीजियोथेरैपी के लिए और अपने प्राइवेट गाड़ियों में घूमता था। मई 2012 में, जब इस मामले को मीडिया में उजागर किया गया, तो प्रशासन ने अमरमणि की सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात एक सब-इंस्पेक्टर सहित चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया।