गोरखपुर दंगे का मुख्य आरोपी शमीम 16 साल बाद गिरफ्तार ! 11 दिन जेल में रहे थे योगी
गोरखपुर दंगे का मुख्य आरोपी शमीम 16 साल बाद गिरफ्तार:रातों-रात हेलीकॉप्टर से भेजे गए थे DM-SSP; 11 दिन जेल में रहे थे योगी
12 मार्च 2007, योगी आदित्यनाथ संसद में बोलने के लिए खड़े हुए और फूट-फूटकर रोने लगे। पीछे बैठे सांसद ने कंधे पर हाथ रखा और बगल बैठे सांसद ने रुमाल से योगी के आंसू पोछे। स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने कहा,”योगी जी, रोइए नहीं। आराम से अपनी बात कहिए।”
योगी के रोने के पीछे गोरखपुर की एक घटना थी। जिसमें योगी आदित्यनाथ को 11 दिन जेल में रहना पड़ा था। योगी की गिरफ्तारी के बाद शहर में जगह- जगह आगजनी शुरू हो गई। कई दुकानों और गाड़ियों को जला दिया गया और क्षतिग्रस्त हो गया। जिसके बाद शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
इधर शहर के व्यापारियों ने खुद ही अपनी दुकानों को बंद कर दिया। योगी के जेल में रहने तक दुकानें 11 दिन तक गोरखपुर की सभी बंद रहीं। कई दिनों तक आगजनी की घटनाएं होती रहीं और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करनी पड़ी। हालत इतनी खराब हो गई कि रातों-रात डीएम और SSP तक हटा दिए गए। हेलिकॉप्टर ने नए डीएम और SSP गोरखपुर भेजे गए।
16 साल बाद गिरफ्तार हुआ शमीम
दरअसल, इस मामले का मुख्य आरोपी शमीम को गोरखपुर की कोतवाली पुलिस ने 12 सितंबर को 16 साल के बाद गिरफ्तार किया है। शमीम शहर के कोतवाली इलाके के नसीराबाद का रहने वाला है। हालांकि, इस घटना के बाद भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। लेकिन, चूंकि उस वक्त उस पर आरोप तय नहीं हुए थे, जिसकी वजह से 16 अगस्त 2007 को ही शमीम जमानत कराकर जेल से बाहर आ गया और तभी से वह फरार चल रहा था। वह एक बार भी केस के दौरान कोर्ट में हाजिर तक नहीं हुआ।
हालांकि, इस मामले में कोर्ट ने अन्य आरोपियों को साल 2012 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं, कोर्ट ने आरोपी शमीम के खिलाफ NBW (वारंट) जारी किया था। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
- अब आइए आज उस पूरी घटना को जानते हैं…
मोहर्रम के जुलूस में छेड़खानी के बाद दूसरे गुट के युवक की हत्या हुई
25 जनवरी 2007, जगह- गोरखपुर के कोतवाली का बक्शीपुर। मोहर्रम के जुलूस में छेड़खानी की बात पर दो गुटों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि चाकू निकल आया और एक युवक पर उसी चाकू से हमला हो गया। अगले दिन घायल व्यक्ति की मौत हो गई। हत्या का आरोप एक गुट के दो लड़कों पर था। उनमें एक गिरफ्तार हुआ आरोपी शमीम भी है।
इलाके में दूसरा गुट एकजुट होने लगा। पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया और सरकारी जीप में बैठाकर थाने ले जाने लगी। इतने में दूसरे गुट वालों ने पुलिस की जीप से निकालकर आरोपियों पर तलवार से हमला कर दिया। इसमें दूसरे गुट के एक शख्स राजकुमार अग्रहरी की हत्या कर दी। यहां से स्थिति बदल गई और पूरे इलाके में दंगे शुरू हो गए।
गोरखपुर में नहीं थे योगी
उस समय के सांसद और वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में नहीं थे। वे कुशीनगर गए थे। वहीं से उन्होंने गोलघर के चेतना तिराहे पर धरना और जनसभा का आह्वान कर दिया। योगी के आह्वान पर उनके सिपेहसालार और पहली बार विधायक चुने गए डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी, तत्कालीन हिंदु युवा वाहिनी के अध्यक्ष सुनील सिंह के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन और भाषणबाजी शुरू हो गई।
कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ भी आने वाले थे। वे कुशीनगर के लिए चल दिए। जिसके बाद उस समय के सूबे के मुखिया मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार करने का निर्देश आया।
जगदीशपुर में छावनी बना दिया गया
योगी आदित्यनाथ कुशीनगर से गोरखपुर के लिए रवाना हो चुके थे। वह तेजी से आगे बढ़ गए थे। इधर तत्कालीन डीएम डॉ. हरिओम ने उनके गिरफ्तारी का खाका तैयार कर लिया। शहर में प्रवेश करते ही उन्हें गिरफ्तार करने का प्लान बना। क्योंकि शहर में उनकी गिरफ्तारी मुश्किल हो जाती।
जगदीशपुर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। इधर गिरफ्तारी की भनक लगते ही बीजेपी और हिंदु युवा वाहिनी के कार्यकर्ता भी जगदीशपुर पहुंच गए। जैसे ही योगी आदित्यनाथ का काफिला जगदीशपुर पहुंचा उन्हें रोककर गिरफ्तार कर लिया गया।
इस दौरान गिरफ्तारी का योगी के कार्यकर्ता विरोध करने लगे। हाथापाई शुरू हो गई। सेना से रिटायर्ड एक बीजेपी अनुसूचित मोर्चे के कार्यकर्ता रामभूषण पासी ने एक सीओ रैंक के अधिकारी को पटक दिया। किसी तरह पुलिस योगी को पुलिस लाइंस लाई। वहां से योगी को वज्र वाहन में बैठाकर जेल ले जाया जाने लगा। कार्यकर्ता विरोध पर उतर आए वे भी गिरफ्तारी देने को कहने लगे।
4 किलोमीटर का सफर तय करने में लगे 8 घंटे
पुलिस की गाड़ी के आगे कार्यकर्ता लेटने लगे। भारी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी। पुलिस को योगी को जेल तक पहुंचाने में 8 घंटे का समय लगा। जबकि दूरी महज 4 किलोमीटर थी। योगी की गिरफ्तारी के बाद शहर में जगह जगह आगजनी शुरू हो गई। कई दुकानों और गाड़ियों को जला दिया गया और क्षतिग्रस्त हो गया। जिसके बाद कर्फ्यू लगा दिया गया। इधर शहर के व्यापारियों ने स्वतः ही दुकानों को बंद कर दिया। योगी के जेल में रहने तक दुकानें 11 दिन तक बंद रहीं। कई दिनों तक आगजनी की घटनाएं होती रहीं और पैरामिलीट्री फोर्स मार्च करती रही।
जेल में मिलने वालों का लगा रहा तांता
योगी आदित्यनाथ को जेल के मिलेनियम बैरक में रखा गया था। उनके साथ तत्कालीन नगर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल, सुनील सिंह, तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी, कई व्यापारी नेता, रामभूषण पासवान सहित सैकड़ों कार्यकर्ता थे। जेल में मिलने वालों का पूरे दिन तांता लगा रहता था। योगी के मुलाकातियों की संख्या देखकर जेल में चेकिंग बंद कर दी गई थी। जेल के दीवार को तोड़कर योगी के बैरक तक जाने का रास्ता बना दिया गया था। लोग आते बैरक के बाहर बैठे योगी का पैर छूते और फिर कुछ देर समय बीताने के बाद चले जाते। बैकर में भूजा आदि का दौर चलता रहता था।
जेल में भी नियम के पक्के थे योगी
धारा 144 के उल्लंघन और शांतिभंग के आरोप में जेल गए योगी को खूब लोकप्रियता मिली। पूर्वांचल के लोग उन्हें जननायक के तौर पर देखने लगे। योगी जेल में थे तो जेल के कैदियों ने भी उनकी बैरक में मंदिर जैसा माहौल बना दिया था। मिलेनियम बैरक सात दिनों तक जप-तप और योग-साधना का केन्द्र बना रहा।
लोग योगी का दर्शन करने जेल पहुंचने लगे। आस्था ऐसी कि जो मिलने जाता वह बाहर आने को तैयार नहीं होता था। योगी जेल में भी नियम के पक्के थे। वे सुबह चार बजे उठ जाते थे। नित्यक्रिया के बाद योग और फिर स्नान और ध्यान लगाने के बाद ही उनके दिन की शुरुआत होती थी। रूटीन में सुबह छह बजे बैरक खुलता है लेकिन योगी की भोर में उठने की आदत के चलते सुबह चार बजे ही उनका बैरक खुल जाता था।
जेल से छूटने के बाद खुली दुकानें
इधर मामले को गर्म होता देख इस ठंडा करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने डीएम हरिओम और SSP राजा श्रीवास्तव को हटा दिया। हेलीकाप्टर से नए डीएम राकेश गोयल और SSP एसके भगत को रातों रात गोरखपुर भेजा गया। धीरे- धीरे मामला ठंडा हुआ। योगी 11 दिन बाद 7 फरवरी 2007 को रिहा हुए। जिसके बाद शहर की दुकानें खुलीं। जिसके बाद योगी ने इस मुद्दे को 12 मार्च 2007 को संसद में भी उठाया और पूर्वाग्रह के तहत गिरफ्तार करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। इस दौरान वे संसद में फूट फूटकर रो पड़े थे। तत्कालीन स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने शून्यकाल के दौरान योगी आदित्यनाथ को अपनी बात रखने का मौका दिया था।
योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी के पीछे सरकार की मंशा
उस समय इस बात की चर्चा थी कि मुलायम सिंह यादव ने तुष्टिकरण के लिए योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कराया था।मुलायम सिंह को यह लगता था कि इस गिरफ्तारी से उनकी अल्पसंख्यक समाज में पैठ बढ़ेगी। मुलायम सिंह की दूसरी आशंका ये थी कि अगर साम्प्रदायिक तनाव बढ़ता गया तो मतों का ध्रुवीकरण भाजपा की तरफ हो सकता है।अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने थे। अपनी छवि बनाने और भाजपा को रोकने की गरज से मुलायम सिंह ने त्वरित कार्रवाई के लिए आदेश दिया।
लेकिन ऐसा करने के बाद भी मुलायम सिंह मुस्लिम समुदाय को खुश नहीं कर सके। जब विधानसभा के चुनाव हुए तो मुस्लिम समुदाय ने बसपा का समर्थन कर दिया। मायावती ने 206 सीटें जीत कर पहली बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी।
जब घूमा वक्त का पहिया
2017 में योगी मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 20 अधिकारियों का तबादला किया। इसे रुटीन फेरबदल बताया गया। लेकिन तबादले की इस सूची में डॉ. हरिओम का भी नाम था। उस समय हरिओम संस्कृति विभाग में सचिव थे। जिन 20 अधिकारियों का तबादला किया गया उनमें हरिओम समेत 7 को वेटिंग फॉर पोस्टिंग में डाल दिया गया। तब ये कहा गया था कि योगी आदित्यनाथ ने हरिओम से अपना पुराना हिसाब चुकता किया है।
बाद में 2022 विधानसभा चुनाव से पहले मार्च महीने में डॉ हरिओम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे। आईएएस हरिओम ने ट्विटर पर सीएम योगी के साथ मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि “मैंने उन्हें जीत की बधाई देने के साथ अपनी पुस्तक ‘कैलाश मानसरोवर यात्रा:आस्था के वैचारिक आयाम’ भेंट की।”
फरवरी 2018 में हाईकोर्ट से मिली राहत
योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 22 फरवरी 2018 को बड़ी राहत मिली। अदालत ने गोरखपुर के 2007 दंगों के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के कथित भड़काऊ बयान की जांच की मांग से जुड़ी याचिका को ठुकरा दिया। जस्टिस कृष्णा मुरारी और एसी शर्मा की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत ने पुलिस की जांच में कोई खामी नहीं पाई है। याचिका को नवबंर 2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज नाम के शख्स ने दायर किया था। याचिका में योगी आदित्यनाथ को भड़काऊ भाषण देने का जिम्मेदार ठहराया गया था।