भारत-कनाडा के संबंधों पर अलगाववादियों का कैसे पड़ा साया !

भारत-कनाडा के संबंधों पर अलगाववादियों का कैसे पड़ा साया, दोस्ती टूटी तो क्या होगा असर? 
खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों का समर्थन करना कनाडा के भारत से रिश्ते बिगड़ने का कारण है. अगर ये रिश्ते और बिगड़ते हैं तो इसका असर व्यापार और लोगों पर पड़ेगा.

कुछ समय पहले भारत और कनाडा के बीच काफी अच्छी दोस्ती थी, लेकिन अब अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले ने माहौल पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है.

जी20 सम्मेलन में भी भारत और कनाडा के बीच आई दरार साफ नजर आई. जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा में सिख अलगाववादियों के ‘आंदोलन’ और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा को उकसाने वाली घटनाओं को लेकर नाराजगी जताई थी, जबकि इसी मुद्दे पर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो का कहना था कि भारत कनाडा की घरेलू राजनीति में दखल दे रहा है.

इस समिट के बाद जस्टिन ट्रूडो को 10 सितंबर को कनाडा वापस जाना था. हालांकि, उनका विमान खराब हो गया, जिसके चलते उन्हें दो दिन और भारत में रुकना पड़ा. लेकिन जैसे ही वो अपने देश पहुंचे वहां से खबर आई कि कनाडा ने भारत के साथ ट्रेड मिशन को रोक दिया है. 

अलगाववादियों ने भारत-कनाडा के रिश्तों में डाली फूट
पिछले कुछ समय से कनाडा में ‘खालिस्तान’ समर्थक संगठनों की गतिविधियों की वजह से भारत-कनाडा के रिश्तों में काफी दरार आई है. इसी साल जुलाई में कनाडा में ‘खालिस्तान’ समर्थक संगठनों ने कुछ भारतीय राजनयिकों के पोस्टर लगा कर उन्हें निशाना बनाए जाने की धमकी दी थी. इसके बाद भारत ने कनाडा के राजदूत को बुला कर उनके देश में खालिस्तान के समर्थन में पनप रहीं गतिविधियों पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

कनाडा में खालिस्तान आंदोलन का इतिहास

  • वर्ष 1982 में वैंकूवर में सीमित स्थानीय सिख समर्थन के साथ ‘निर्वासित खालिस्तान सरकार’ के कार्यालय की स्थापना.सुरजन सिंह गिल इसका अगुवा था.  
  • 1980 के दशक में  पंजाब में उग्रवाद का असर कनाडा पर पड़ा. आतंकवाद के आरोपी तलविंदर सिंह परमार से निपटने के कनाडा के तरीके की भारत ने आलोचना की थी.
  • जून 1985 में खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा ने एयर इंडिया के विमान कनिष्क पर बमबारी की. कनाडा इस घटना का गवाह बना था.

भारत कनाडा के बीच पहले से हैं तनावपूर्ण संबंध
भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंध हाल ही में नहीं हुए, ये तनाव 50 के दशक से जारी हैं. 1948 में कनाडा ने जम्मू-कश्मीर जनमत संग्रह का समर्थन किया था जो भारत के रुख के खिलाफ था.

1998 में भी परमाणु परिक्षण के बाद कनाडा द्वारा अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया गया था जो दोनों देशों के बीच कड़वाहट का प्रतीक था. नई दिल्ली में किसानों के आंदोलन के दौरान भी कनाडा की ओर से कई प्रतिक्रियाएं आई थीं.  सत्ता में शामिल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी और लिबरल पार्टी ने खालिस्तान को लेकर भी जनमत का भी समर्थन किया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ गए थे. लेकिन इस बार इस कुछ ज्यादा ही कड़वाहट बढ़ती जा रही है.

दोनों देशों के बीच बढ़ा है व्यापार

भारत साल 2022 में कनाडा का दसवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार  था.  साल 2022 और 2023 में भारत ने कनाडा को 4.10 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था. जो 2021-22 में 3.76 अरब डॉलर का था. इसके अलावा कनाडा ने भारत को 2022-23 में 4.05 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था. जो 2021-22 में 3.13 अरब डॉलर का था. जहां तक सर्विस ट्रेड की बात है तो कनाडाई पेंशन फंडों ने भारत में 55 अरब डॉलर का निवेश किया. कनाडा ने 2000 से लेकर अब तक भारत में 4.07 अरब डॉलर का सीधे निवेश किया है.

भारत में कम से कम 600 कनाडाई कंपनियां चल रही हैं. जबकि 1000 कंपनिया फिलहाल यहां अपना बिजनेस सेट करने की कोशिशों में लगी हैं. वहीं भारतीय कंपनियां भी कनाडा में आईटी, सॉफ्टवेयर, नेचुरल रिसोर्सेज और बैंकिंग सेक्टर में काम कर रही हैं. भारत की ओर से कनाडा को निर्यात किए जाने वाली प्रमुख चीजें आभूषण, बेशकीमती पत्थर, फार्मा प्रोडक्ट, रेडिमेड गारमेंट, ऑर्गेनिक केमिकल्स, लाइट इंजीनियरिंग सामान, आयरन एंड स्टील प्रोडक्ट जैसी चीजें शामिल हैं. जबकि भारत कनाडा से दालें, न्यूजप्रिंट, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप, खनिज, इंडस्ट्रियल केमिकल मंगाता है.

कनाडा पेंशन फंड ने कई भारतीय कंपनियों में मोटा निवेश किया हुआ है. पब्लिक डिस्क्लोजर के मुताबिक कनाडा पेंशन प्लान इंवेस्टमेंट बोर्ड के छह भारतीयों कंपनियों में निवेश का वैल्यू 16000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. इन कंपनियों में जोमैटो, पेटीएम, इंडस टावर, नायका, कोटक महिंद्रा बैंक, डेल्हीवरी शामिल है. 

दोनों देशों की दोस्ती टूटने पर क्या होगा असर

  • दोनों देशों द्वारा लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोप से आपसी तनाव बढ़ सकता है जिससे संबंध प्रभावित होंगे.
  • भरोसा और विश्वास खत्म हो सकता है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी सहयोग करना मुश्किल हो सकता है.
  • इन संबंधों की खटास दोनों देशों के बीच होने वाले आयात-निर्यात पर भी असर डाल सकता है.
  • दोनों देशों में जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद-रोधी और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों में सहयोग पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
  • दोनों देशों में आवागमन करने वाले नागरिकों पर्यटन पर भी असर हो सकता है.
  • ऐसी स्थिति में कनाडा अपनी प्रवासी नीतियों की समीक्षा कर सकता है या उन्हें सख्त करने का काम कर सकता है.

अब तक क्या हुआ
भारत ने कनाडा के नागरिकों को वीजा देने पर फिलहाल रोक लगा दी है.  दोनों देशों के राजदूतों को अपने-अपने देश जाने का आदेश इन संबंधों में बढ़ती खटास को दर्शाता है. लगातार बढ़ती बयानबाजियों का असर दोनों देशों में रह रहे भारत और कनाडा के लोगों पर साफ देखा जा रहा है.

दोनों देशों के व्यापार में भी इसका असर दिखने लगा है. आनंद महिंद्रा की महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कनाडा में अपने ऑपरेशन को बंद करने का ऐलान कर दिया है. कंपनी ने कनाडा बेस्ड अपनी कंपनी रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन, कनाडा को वोंल्ट्री बेसिस पर बंद करने का फैसला किया है. रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन में इसकी 11.18 फीसदी हिस्सेदारी थी. 

ट्रुडो के रहते नहीं हो पाएगा संबंधों में सुधार!
जस्टिन ट्रूडो की बात करें तो फिलहाल उनकी लिबरल पार्टी की सरकार अल्पमत में है. उसे न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन लेना पड़ा. एनडीपी का नेता जगमीत सिंह खुलेआम खालिस्तानियों की वकालत करता नजर आता है. जस्टिन ट्रूडो भी खालिस्तानियों का समर्थन करते दिखाई देते हैं.  कनाडा में 2 प्रतिशत सिख हैं, जिनका समर्थन कर जस्टिन ट्रूडो अपनी सरकार बचाने की पूरी कोशिशें कर रहे हैं.

हालांकि, इस मुद्दे पर अपने ही देश में ट्रूडो बुरी तरह घिर चुके हैं. कनाडा में विपक्षी दलों ने ही इसका विरोध करते हुए कहा कि कनाडा के चुनावों में गड़बड़ी हुई है. विपक्षी दलों का कहना है कि चुनावों में दखलअंदाजी करते  ट्रूडो के उम्मीदवारों को पैसा उपलब्ध करवाया गया है.

कनाडा में बसे सिखों को ट्रूडो अपने साथ लेकर चलना चाहते हैं इसीलिए वो खालिस्तानियों का भी खुलकर समर्थन कर रहे हैं. इन सब को देखते हुए ये मुश्किल ही माना जा रहा है कि ट्रूडो के रहते हुए भारत और कनाडा के बीच के रिश्तों में कोई सुधार हो सकता है.

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