फाइनेंशियल लिटरेसी’ की कमी लगा रही लाखों की चपत !

50% कामगारों पर कर्ज का बोझ:‘फाइनेंशियल लिटरेसी’ की कमी लगा रही लाखों की चपत, ऐसे दुरुस्त रखें अपना बटुआ

जी नहीं! नंबर सुनकर आप चौंक जाएंगे। सिर्फ 2022 में फाइनेंशियल इललिटरेसी की वजह से अमेरिकियों को 436 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अब इस पैसे को जरा भारतीय रुपए में बदलकर देखिए। 36 लाख करोड़ रुपए से भी ऊपर।

क्या आपको लगता है कि ये कहानी सिर्फ अमेरिकियों की है। जी नहीं, दुनिया के और देशों खासतौर पर एशियाई देशों के हालात तो इससे भी ज्यादा बुरे हैं।

यहां एक बात और समझने की है कि क्या ये नुकसान इसलिए हुआ कि कोई उन लोगों के करोड़ों रुपए लूटकर भाग गया। नहीं, ऐसा नहीं है। यह नुकसान पैसे को समझने, बरतने, इंवेस्ट करने, पैसे से पैसा बनाने, गलत कर्ज लेने, कर्ज समय पर न चुका पाने, क्रेडिट कार्ड को लेकर लापरवाही बरतने के कारण हुआ कुल मिलाकर कहें तो पैसे से जुड़े फैसलों में विवेक, समझदारी और फाइनेंशियल नॉलेज के अभाव के कारण।

आर्थिक समझदारी न होने के कारण लोग पैसे का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते। कई बार वो अपनी कमाई से अधिक खर्च करने लगते हैं तो कई बार गलत जगह इन्वेस्ट करके अपनी जमा पूंजी गंवा बैठते हैं। फिजूलखर्ची करने से उनके पास पर्याप्त बचत भी नहीं होती और फिर उनकी जिंदगी में एंट्री होती है लोन यानी कर्ज की। कर्ज एक ऐसा दलदल है कि अगर समझदारी से उसमें कदम न रखा जाए तो आप धंसते ही चले जाएंगे।

क्रेडिट इनफॉर्मेशन कंपनी (CIC) की एक रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की आधी कामकाजी आबादी कर्ज में है।

आइये बात करते हैं कि हमें कर्ज कब और क्यों लेना चाहिए और अगर आप इस दलदल में फंस गए हैं तो इससे बाहर कैसे निकलें।

क्यों फंसते हैं हम कर्ज के महा-जंजाल में

लोन के महा-जंजाल में फंसने का एकमात्र कारण है कि हमें लोन आसानी से मिल जाता है। मान लीजिए एक व्यक्ति है केशव। उसकी सैलरी 50 हजार रुपए है और उसने कभी एक साथ पांच लाख रुपए भी नहीं देखे। केशव को बैंक 15 लाख रुपए तक का लोन ऑफर कर रहा है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या केशव को इस 15 लाख की जरूरत है? अगर वह ये लोन किसी की जिंदगी बचाने, बच्चे को अच्छे कॉलेज भेजने या फिर घर खरीदने के लिए ले रहा है तो इसे फिर भी जस्टीफाई किया जा सकता है। लेकिन अगर यह लोन घर में बेहतर मार्बल लगवाने, बड़ी गाड़ी लेने, धूमधाम से शादी करने या थाइलैंड घूमने के लिए लिया जा रहा है तो ये लोन नहीं, चक्रव्यूह है। ऐसा चक्रव्यूह है, जिसमें घुसने के बाद बाहर निकलने का रास्ता बहुत मुश्किल है।

बैंक ने 15 लाख का लोन ऑफर किया और केशव का जी ललचा गया। लोग पैसे ले तो लेते हैं, लेकिन लेते वक्त भूल जाते हैं कि ये पैसे बैंक ने उन्हें मुफ्त में नहीं दिए। इसे चुकाना भी है। और चुकाई जाने वाली रकम मूल कर्ज की रकम से चार गुना ज्यादा है।

वहीं अगर केशव लोन न लेकर अपनी सैलरी का 50% हिस्सा, मतलब 25 हजार रुपए हर महीने बचा ले तो 5 साल में वो 15 लाख रुपए जमा कर लेगा। इनफैक्ट पांच साल में नहीं, SIP में ये पैसा डालकर चार साल में ही इतनी रकम जमा हो जाएगी। क्या अब केशव अपने जमा किये हुए पैसों को गैर-जरूरी चीजों पर खर्च करेगा? नहीं!

क्योंकि पंद्रह लाख बचत करने के प्रोसेस में उसमें एक मैच्योरिटी आ गई है। उसे अब पैसे की सही वैल्यू पता है।

यूरोप में एक कहावत है कि जो व्यक्ति जितनी आसानी से कर्ज ले लेता है, उसके लिए उसे चुकाना उतना ही मुश्किल होता है।

अगर भगवान भी ऋषियों के तप करने से पहले ही उन्हें लोन पर आशीर्वाद दे देते तो क्या ऋषि-मुनि इतने तपस्वी हो पाते? वो तो हजारों-लाखों वर्ष जी भी नहीं पाते बल्कि कुछ ही सालों में वरदान के कर्ज तले, उसे एन्जॉय किए बिना टेंशन से मर जाते।

अमीर दिखने का शौक
अमेरिकन फाइनेंशियल एक्सपर्ट मॉर्गन हाउजल की एक किताब है- ‘द साइकोलॉजी ऑफ मनी।’ न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्टसेलर इस किताब की अब तक 30 लाख से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं और दुनिया की 53 भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है।

मॉर्गन हाउजल अपनी किताब में लिखते हैं, “पैसे खर्च करके लोगों को दिखाना कि आपके पास कितना पैसा है, यह पैसे कम करने का सबसे तेज और आसान तरीका है।”

अमीर बनने के लिए पैसे खर्च नहीं किए जाते बल्कि पैसे कमाए और बचाए जाते हैं। अगर आपकी इतनी बचत नहीं है कि वो आपके शौक पूरे कर सके तो पहले बचत बढ़ाइए और शौक को धीमी आंच पर पकाइए।

सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग और कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। आपका लिया लोन आपको ही चुकाना पड़ेगा। उसे आपके पड़ोसी या बिट्टू के मामा चुकाने नहीं आएंगे।

खुद को खुश रखने के लिए पैसे खर्च करना

जिसके पास करोड़ों की कार है, लाखों का फोन है, जो 5 स्टार में खाना खाता है, क्या वो खुश है? बेशक वो खुश भी हो, लेकिन कर्ज लेकर आप कभी खुश नहीं रह पाएंगे। आप अगर मटेरियल चीजों में आंतरिक ख़ुशी ढूंढ रहे हैं तो भगवान कुबेर की सारी संपत्ति भी आपको ज्यादा देर तक खुश नहीं रख पाएगी। इसलिए अपने आपको मात्र एंटरटेन करने के लिए पैसे खर्च न करें।

फाइनेंशियल समझ की कमी

कर्जे में फंसने वाले ज्यादातर लोगों में पैसों की समझ कम पाई गई है। ऐसे लोग पैसे को नॉन-कॅल्क्युलेटेड ढंग से खर्च करते हैं। जैसे-

  • कम मार्जिन वाले बिज़नेस के लिए भी ज्यादा इंटरेस्ट पर लोन उठा लेना
  • अनसिक्योर्ड लोन लेना
  • बिना पॉलिसी पढ़े ही लोन ले लेना
  • कमाई से ज्यादा पैसे का EMI बनवा लेना

प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री एलन ग्रींसपैन कहते हैं कि मौजूदा वैश्विक अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी खामी लोगों में फाइनेंशियल लिटरेसी का न होना है।

कहने का मतलब ये है कि अगर हमें पैसे की समझ या उसकी वैल्यू नहीं है तो हम ज्यादा जल्दी कर्जे में फंसेंगे और उतनी ही मुश्किल होगी, कर्जे के जंजाल से बाहर निकलने में।

लोन जरूरत है या इच्छा?

इच्छाएं और जरूरतें, ये दोनों अलग चीजें हैं। लेकिन कई बार हम अपनी इच्छाओं को भी जरूरत समझ लेते हैं और इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए लोन पर लोन लेते चले जाते हैं। ऐसे में हमें ये समझना होगा कि हमारी बेसिक जरूरतें क्या हैं और इच्छाएं क्या हैं?

जरूरत वो है जो हमारे सर्वाइवल और हमारे सिक्योर फ्यूचर के लिए ज़रूरी है और इच्छाएं वो हैं, जिनका कभी अंत नहीं होता।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हम लोन को दो कैटेगरी में बांट सकते हैं। गुड लोन और बैड लोन। इसे नीचे दिए गए क्रिएटिव से ऐसे समझें।

लोन चुकाने के तरीके

लोन चुकाने का सबसे सही तरीका है लोन न लेना। सेविंग्स इतनी रखें कि कभी लोन लेने की जरुरत ही न पड़े। जब भी अचानक कोई बड़ा खर्चा आये तो आप उसकी पूर्ति अपनी सेविंग्स से करें और अगर कभी ऐसी नौबत आ जाये कि आपकी सेविंग्स खत्म हो गई हों तो वापस सेव करने में लग जायें।

फिर भी कभी आपको लोन लेना पड़ जाए और इससे निकलना मुश्किल लग रहा हो तो आप ये तरीके अपना सकते हैं।

  • सारे कर्जे की एक लिस्ट बना लें- सभी कर्ज़ों को एक लिस्ट में इस तरह कॉलम बनाकर लिखिए जिसमें लोन का टाइप, टोटल आउटस्टैंडिंग अमाउंट और उसका इंटरेस्ट रेट आ जाए। उसमें से पहले आपका फोकस ज्यादा इंटरेस्ट वाले लोन को चुकाने पर होना चाहिए। जिससे आपको कम से कम ब्याज भरना पड़े और ओवर ऑल आपका लोन जल्दी चुक जाए।
  • खर्च सीमित रखें – जब तक लोन खत्‍म नहीं हो जाता, तब तक महंगे कॉफ़ी शॉप का आनंद एक चाय की टपरी पर उठाइए। मतलब गैर-जरूरी सारे खर्चे बंद या बहुत कम कर दीजिए। महंगे रेस्टोरेंट में जाना छोड़ दीजिए, सिनेमा का मजा टीवी पर लीजिए, ब्रांडेड कपड़े खरीदने बंद कर दीजिए। महंगे बार में जाना, बर्थडे पार्टी में हजारों खर्च कर देना, ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन लेना, ये सभी फिजूल खर्च के उदाहरण हैं।
  • बजटिंग करें- एक पेपर पर आप हर महीने होने वाले अपने खर्चों को लिख लें और उसी हिसाब से खर्च करें। महीने के अंत में जांचें कि क्या खर्चे आपके बजट के अनुसार हुए हैं? इससे आपका दिमाग खर्च के प्रति सचेत हो जाएगा और आप गैर-जरूरी खर्चों से बचेंगे।
  • गैर-जरूरी सामान बेचें- अगर हम अपने घर में एक बार नजर घुमाएं तो हमें कई सारे ऐसे सामान दिख जायेंगे जिन्हें हम पिछले साल-दो साल से इस्तेमाल में नहीं लाये। ऐसे सामान की लिस्ट बनाएं और उसे तुरंत बेच डालें। वॉरेन बफेट का एक फेमस कोट है, “अगर आप गैरजरूरी चीजें खरीदते रहेंगे तो एक दिन जरूरत की चीजें बेचने की नौबत आ जाएगी।” इसलिए ऐसी नौबत आने से पहले गैर-जरूरी सामान बेच डालिए। फिर उस पैसे से जरूरी EMI चुका दीजिये।
  • Loan Restructure करवाएं- हो सकता है कि जितना EMI अभी आ रहा है उतना चुकाने में आप असमर्थ हों या ये भी हो सकता है कि EMI भरने के बाद भी आपके पास कुछ पैसे बच रहे हों तो दोनों ही परिस्थिति में आप अपने बैंक एक्जीक्यूटिव से बात करके अपनी EMI को अपनी सुविधा के अनुसार कम या ज्यादा करवा लीजिये।
  • एक नया और सस्ता लोन लें- अगर आपके पास बहुत सारे अलग-अलग लोन हैं या कुछ ही लोन हैं लेकिन इंटरेस्ट रेट ज्यादा है तो आप एक सिंगल और कम ब्याज दर वाले लोन के लिए अप्लाई करें और उससे मिले पैसे से सारे लोन चुका दें। इससे आपके पैसे भी बचेंगे और आपको मानसिक शांति भी मिलेगी।
  • अपनी आय बढ़ाएं- हो सकता है कि हमारे ऊपर लोन इतना हो गया हो कि हम उसके मासिक ब्याज के आसपास की ही रकम चुका पा रहे हों। ऐसे में तो हम सिर्फ ब्याज ही भरते रह जायेंगे। फिर हम मूलधन कब चुकाएंगे? इसका एकमात्र विकल्प है कि हम अपनी आय बढ़ाएं। हम ओवरटाइम कर सकते हैं, ऑफिस के बाद ट्यूशन पढ़ा सकते हैं, फ्रीलांसिंग कर सकते हैं, अपनी कार का इस्तेमाल करके ola या uber से जुड़ सकते हैं, बाइक का इस्तेमाल करके swiggy, zomato, rapido जैसी कंपनी से जुड़ सकते हैं। इसके अलावा और भी कई सही तरीके हैं पैसे कमाने के। बस हमारे अंदर चाह होनी चाहिए।
  • साल में एक EMI एक्स्ट्रा भरें- साल में एकाध बार अगर एक्स्ट्रा पैसे आ जाएं जैसे बोनस, इंश्योरेंस, मैच्योरिटी तो इस पैसे का उपयोग एक एक्स्ट्रा EMI भरने में करें। इससे हमें अपने लोन टेन्योर में एक जादुई सुधार देखने को मिलेगा। इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए आप अपने बैंक एक्जीक्यूटिव की मदद ले सकते हैं।

कनाडा के बिजनेस डेवलपमेंट और फाइनेंशियल एक्सपर्ट फिलिप्पे ब्लेइस कहते हैं, “लोन दो ही तरीके से चुकाया जा सकता है, पहला तरीका है ज्यादा कमाई और दूसरा तरीका है ज्यादा बचत।”

बाकि अपनी फाइनेंशियल समझ बढ़ाने के लिए आप कुछ किताबें भी पढ़ सकते हैं

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